राष्‍ट्रपति ने 37वें भारतीय अंतर्राष्‍ट्रीय व्‍यापार मेला का उद्घाटन किया

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222 विदेशी कंपनियों सहित 3,000 प्रदर्शक आईआईटीएफ-2017 में शामिल

भारत के 32 राज्‍य और केंद्रशासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्‍व

सुभाष चौधरी/प्रधान संपादक 

नई दिल्ली : राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज (14 नवंबर, 2017) नई दिल्‍ली में 37वें भारतीय अंतर्राष्‍ट्रीय व्‍यापार मेला (आईआईटीएफ)–2017 का उद्घाटन किया। इस अवसर पर राष्‍ट्रपति ने कहा कि आईआईटीएफ एक व्‍यापार मेला या प्रदर्शनी से अधिक महत्‍वपूर्ण है। प्रतिवर्ष 14 नवंबर को शुरू होने वाला यह मेला वैश्विक मंच पर भारत को प्रदर्शित करता है। यह अंतर्राष्‍ट्रीय व्‍यापार के प्रति भारत की प्राचीन और चिरस्‍थाई प्रतिबद्धता का भी प्रतीक है।

उन्ह्नोने कहा कि हमारा समाज सहज रूप खुला है, जिसके द्वार मुक्‍त व्‍यापारिक प्रवाह और सांस्‍कृतिक आदान-प्रदान के लिए हमेशा खुले हैं। हमने हमेशा ही उदारवादी नियम आधारित अंतर्राष्‍ट्रीय व्‍यापार को महत्‍व दिया है। यह हमारे डीएनए का हिस्सा है और यह एक विरासत है जिस पर आधुनिक भारत तथा आईआईटीएफ का निर्माण हो रहा है।

राष्‍ट्रपति ने कहा कि इस वर्ष आईआईटीएफ ऐसे समय आयोजित किया जा रहा है जब वैश्विक अर्थव्‍यवस्‍था में भारत को उभरती हुई अर्थव्‍यवस्‍था के रूप में मान्‍यता दी गई है। विश्‍व ने भारत में कारोबार के वातावरण में परिवर्तन तथा व्‍यापार करने में सुगमता को स्‍वीकार किया है। वस्‍तु और सेवा कर शुरू करना एक असाधारण कदम है। इससे राज्‍यों के बीच की बाधाएं दूर हुई है। इससे आम बाजार और अधिक औपचारिक अर्थव्‍यवस्‍था तैयार करने के साथ ही विनिर्माण क्षेत्र के सुदृढ़ीकरण को बढ़ावा मिला है। इन प्रयासों के परिणाम से पिछले तीन वर्ष में प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में काफी बढ़ोतरी हुई है, जो 2013-14 में 36 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2016-17 में 60 बिलियन डॉलर हो गया।

श्री कोबिंद ने कहा कि 222 विदेशी कंपनियों सहित 3,000 प्रदर्शक आईआईटीएफ-2017 में शामिल हो रहे हैं। इसमें भारत के 32 राज्‍य और केंद्रशासित प्रदेश प्रतिनिधित्‍व कर रहे हैं। स्‍वयं सहायता समूह से लेकर बड़े व्‍यापारिक घरानों और लघु तथा मध्‍यम विनिर्माण उद्यमों से लेकर डिजीटल स्‍टार्ट-अप्‍स संस्‍थान इसमें भाग ले रहे हैं। आईआईटीएफ एक छोटा भारत है। यह विविधता का चित्र और उपमहाद्वीप की संपूर्ण ऊर्जा है।

राष्‍ट्रपति ने आश्वस्त किया कि भारत के आर्थिक सुधारों और नीतियों का केंद्र बिंदु गरीबी हटाना तथा लाखों सामान्‍य परिवारों को समृद्ध करना है। व्‍यापार से आम आदमी की मदद होनी ही चाहिए। वे ही अंतिम हितधारक हैं। भारत सरकार की मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया, स्टैंड-अप इंडिया, स्किल इंडिया, स्मार्ट सिटीज और किसानों की आमदनी दोगुनी करने के संकल्प जैसी प्रमुख पहलें जमीनी स्तर के लोगों के लिए अधिक सार्थक आर्थिक सुधार करने का प्रयास हैं।

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