नोट्बंदी, भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के लिए बहुत बड़ा कदम था : जेटली

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 नई दिल्‍ली: केन्द्रीय वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने नोटबंदी के एक साल पूरा होने की पूर्व संध्‍या पर कहा कि यह फैसला भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के लिए बहुत बड़ा कदम था. देश की अर्थव्‍यवस्‍था की भलाई के लिए यह निर्णय लिया गया.  वित्‍त मंत्री ने कहा कि कैश का बोलबाला किसी भी इकोनॉमी के लिए अच्‍छी बात नहीं है. कैश करेंसी का 86 प्रतिशत हिस्‍सा बड़े नोटों के रूप में हो गया था. उन्होंने दावा किया कि ज्‍यादा कैश से भ्रष्‍टाचार पनपता है. कैश कम होने से भ्रष्‍टाचार कम होता है. तर्क दिया कि ज्‍यादा कैश का लेन-देन अर्थव्‍यवस्‍था के लिहाज से अच्‍छी बात नहीं है. साथ ही यह भी कहा कि कैश जमा होने का मतलब यह नहीं है कि यह निर्णय फेल हो गया. नोटबंदी में जिस तरह से नए नोट लाए गए, वह अपने आप में एक रिकॉर्ड है. जब कोई पैसा बैंक में आता है तो पता चलता है कि उसका मालिक कौन है.

वित्त मंत्री ने कटाक्ष किया कि हमने फैसला न लेने का पुराना चलन बदला. हमने देश हित में फैसला लिया. कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि नोटबंदी पर कांग्रेस ने हमारा विरोध किया लेकिन 10 साल तक लगातार उससे पहले वे सत्‍ता में रहे तो उन्‍होंने कुछ भी नहीं किया.

इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज अहमदाबाद में नोटबंदी को लूट करार दिया. इस पर अरुण जेटली ने उनका जवाब देते  हुए कहा कि नोटबंदी को लूट करार देने वाले 2जी, कोयला घोटाला को क्‍या कहेंगे? लूट वो है जो 2जी में हुई. पूर्व पीएम 2014 और आज की अर्थव्‍यवस्‍था की तुलना करें.

श्री जेटली ने यह कहते हुए तंज कसा कि कांग्रेस परिवार की सेवा करती है और हम देश की सेवा करते हैं. 10 साल तक फैसले नहीं लेने वाली सरकार थी. हमने हालात बदले. पीएम मोदी देश को आगे ले जाने की दिशा में लगातार काम कर रहे हैं.

अरुण जेटली ने कही ये बड़ी बातें…

– 2014 में सरकार बनने के बाद हमारी सरकार ने काले धन के खिलाफ एक के बाद एक कदम उठाएं है।
– नोटबंदी एक समाधान है और इससे सारी समस्याएं खत्म हो जाएंगी ऐसा नहीं है लेकिन इससे एजेंडा बदला है।
– नोटबंदी के कारण टेरर फंडिंग पर लगाम लगी।
– ऐंटी-ब्लैक मनी एक नैतिक कदम है। लूट तो वह होती है जो 2जी, CWG में हुआ।
– कांग्रेस पार्टी का उद्देश्य परिवार की सेवा करना है और हमारा मुख्य उद्देश्य देश की सेवा करना है।
– जांच चल रही है। जो प्रक्रिया हमने पनामा पेपर्स में अपनाई थी वही प्रक्रिया हम पैराडाइज पेपर्स के मामले में भी अपनाएंगे।
– कैश का बैंकों के अंदर आना। इसलिए चाहे उसका एक्सपेंडिचर म्युचुअल फंड में हो, इंश्योंरेंसेज में हो। इन सब क्षेत्रों में अगर हम देखें तो पिछले एक साल में रिर्सोस बढ़े हैं। बैंकों के पास पैसा आया। फॉर्मल इकोनॉमी में पैसा और सुधार आया। नोटबंदी हर समस्या का हल नहीं है। लेकिन, इसने एजेंडा बदला।
– एसआईटी, ब्लैक मनी लॉ, विदेशों से ट्रीटी को संशोधित करना। ट्रांसपेरेंसी ज्यादा लाना। खर्च किस तरह से हो। उस पर कंडीशन लगाना, बेनामी कानून लाना। इन डायरेक्ट व्यवस्था बदलना। इसके कई स्वाभाविक परिणाम हमने साल भर में देखे हैं।
– बड़े नोट कम हुए। टेरर फंडिंग पर काफी हद तक रोक लगी।
– 10 लाख ऐसे हैं जिन्हें टैक्स नेट में आना पड़ा।
– शेल कंपनियों का पता लगाना सरल हुआ।
– केवल बैंक में चला जाना, उससे नोटबंदी की सफलता और विफलता का पता नहीं चलता।
– 10 साल तक पॉलिसी पैरालिसिस था कुछ नहीं किया गया। प्रधानमंत्री जी ने एक स्ट्रक्चरल रिफॉर्म करके बदलाव लाने का प्रयास किया है।

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