देश में आज भी शल्य मामा मौजूद : मोदी

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कंपनी सेक्रेटरीज संस्था के स्थापना दिवस समारोह में आलोचकों पर बरसे पीएम् 

आर्थिक फैसलों पर उठ रहे सवालों का मजबूती से दिया जवाब 

कहा , पिछली सरकार में 8 बार ऐसे मौके आए जब विकास दर 5.7 या उससे नीचे गिरी 

सुभाष चौधरी /प्रधान संपादक 

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कंपनी सेक्रेटरीज संस्था के स्थापना दिवस समारोह अवसर पर सरकार के आर्थिक फैसलों पर उठ रहे सवालों का मजबूती से जवाब दिया। उन्होंने आलोचकों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कई वर्षों से लटका जीएसटी लागू किया. देश में नोटबंदी लागू करने की हिम्मत भी हमारी ही सरकार ने ही दिखाई.  पीएम ने कहा कि पिछली सरकार में 8 बार ऐसे मौके आए जब विकास दर 5.7 या उससे नीचे गिरी थी. उन्होंने याद दिलाया कि इस देश ने ऐसी अर्थ व्यवस्था की तिमाही भी देखी है, जब विकास दर 0.2 फीसदी, 1.5 फीसदी तक गिर गई थी.  उन्होंने अपने तर्क से अपने विरोधियों जम कर हमला बोला और अपनी सरकार की अब तक की नीतियों की प्रशंसा की . 

 

पढ़िए , पीएम नरेन्द्र मोदी के भाषण का ओरिजिनल टेक्स्ट :   

 

मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी कॉरपोरेट अफेयर्स राज्यमंत्री श्री पी पी चौधरी जी, 

Institute of Company Secretaries of India के प्रेसिडेंट डॉक्टर श्याम अग्रवाल जी और 

इस कार्यक्रम में उपस्थित अन्य महानुभाव 

आज ICSI अपने 50वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। इस अवसर पर मैं इस संस्था से जुड़े सभी लोगों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। 

आज मुझे बहुत खुशी है कि मैं ऐसे विद्वानों के बीच आया हूं जो इस बात के लिए जिम्मेदार हैं कि देश में मौजूद प्रत्येक कंपनी –

कानून का पालन करे, अपने बही-खातों में गड़बड़ी ना करे, 

पूरी पारदर्शिता रखे। 

आप अपनी जिम्मेदारी जिस तरह से निभाते हैं, उसी से देश का corporate culture तय होता है। 

आपकी संस्था का motto भी है- “सत्यम वद्, धर्मम चर्” यानि सत्य बोलो और नियम-कानून का पालन करो। 

आपकी दी हुई सही या गलत सलाह देश के corporate governance को प्रभावित करती है। 

साथियों, कई बार ऐसा भी होता है, जब शिक्षा एक दी गई हो, लेकिन उसे ग्रहण करने वालों का आचरण भिन्न रहता है। 

जैसे एक ही शिक्षा युद्धिष्ठिर ने भी ली थी, दुर्योधन ने भी ली थी। लेकिन बर्ताव दोनों का बिल्कुल अलग रहा। 

महाभारत में दुर्योध्न ने कहा है- जानामि धर्मम न च मे प्रवॄत्ति: जानामि अधर्मम न च मे निवॄत्ति: यानि “ऐसा नहीं है की मैं धर्म और अधर्म के बारे में नहीं जानता था। 

लेकिन धर्म के मार्ग पर चलना मेरी प्रवृत्ति नहीं बन पाई और अधर्म के मार्ग से मैं निवॄत्त नहीं हो सका”। 

ऐसे ही लोगों को आपका संस्थान “सत्यम वद्, धर्मम चर्” का पाठ याद दिलाता है। 

देश में ईमानदारी को, पारदर्शिता को institutionalise करने में आपके संस्थान की बहुत बड़ी भूमिका है। भाइयों और बहनों, आचार्य चाणक्य ने कहा है- 

एकेन शुष्क वृक्षेण 

दह्य मानेन वह्नि ना। 

दह्यते तत वनम सर्वम कुपुत्रेण कुलम यथा।। 

यानि जैसे पूरे वन में अगर एक ही सूखे वृक्ष में आग लग जाए तो पूरा वन जल जाता है। उसी प्रकार परिवार में कोई एक भी गलत काम करे तो पूरे परिवार की मान-मर्यादा, इज्जत, प्रतिष्ठा सब धूल में मिल जाती है। 

साथियों, ये बात देश के लिए भी शत-प्रतिशत लागू होती है। हमारे देश में भी मुट्ठी भर लोग ऐसे हैं, जो देश की प्रतिष्ठा को, हमारी ईमानदार सामाजिक संरचना को कमजोर करने का काम करते रहे हैं।

इन लोगों को सिस्टम और संस्थाओं से हटाने के लिए सरकार ने पहले दिन से स्वच्छता अभियान शुरू किया हुआ है।

– इसी स्वच्छता अभियान के तहत सरकार बनते ही Special Investigation Team – SIT बनाई गई
– विदेश में जमा काले धन के लिए Black Money Act बनाया गया 
– कई नए देशों के साथ टैक्स ट्रीटीज की गईं और पुराने टैक्स समझौतों में बदलाव किया गया 
– Insolvency और Bankruptcy Code बनाया गया,
– 28 साल से अटका हुआ बेनामी संपत्ति कानून लागू किया गया
– कई वर्षों से लटका हुआ Good And Simple Tax- GST लागू किया गया
– Demontisation का फैसला लेने की हिम्मत भी इसी सरकार ने दिखाई 
भाइयों और बहनों, 
इस सरकार ने देश में संस्थागत ईमानदारी को मजबूत करने का काम किया है। 
ये सरकार के अथक परिश्रम का ही परिणाम है कि आज देश की अर्थव्यवस्था कम Cash के साथ चल रही है।
Demontisation के बाद Cash to GDP Ratio अब 9 प्रतिशत पर आ गया है। 

8 नवंबर 2016 से पहले ये 12 प्रतिशत से ज्यादा हुआ करता था। 

अगर देश में, देश की अर्थव्यवस्था में ईमानदारी का नया दौर शुरू नहीं हुआ होता तो क्या ऐसा संभव था?

आपसे अच्छा इसे कौन जानता है कि पहले जिस तरह आसानी से black money का लेन-देन होता था, अब वैसा करने से पहले लोग 50 बार सोचते हैं !

साथियों, 

महाभारत में ही एक और किरदार थे- शल्य।

शल्य कर्ण के सारथी थे, और युद्ध के मैदान में जो दिखता था, उसे वो हतोत्साहित करते रहते थे, निराशा का वातावरण फैलाते रहते थे।

शल्य महाभारत में थे, लेकिन शल्यवृत्ति आज भी है। 

कुछ लोगों को निराशा फैलाने में आनंद आता है। ऐसी वृत्ति के लोगों के लिए आजकल एक क्वार्टर की ग्रोथ कम होना ही सबसे बड़ी खबर हो गई है। 

साथियों, 

ऐसे लोगों के लिए जब Data अनुकूल होता, तो उन्हें Institute और Process सही लगता है।

लेकिन जैसे ही ये data उनके प्रतिकूल होता है तो ये संस्थान और उसकी प्रक्रिया पर सवाल खड़े करने लगते हैं। किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले इन्हें पहचानना बहुत जरूरी है। 

भाइयों और बहनों, क्या आपको लगता है कि ऐसा पहली बार हुआ है कि देश में जीडीपी की ग्रोथ किसी तिमाही में 5.7 प्रतिशत तक पहुंची है? नहीं। 

पिछली सरकार के 6 साल में 8 बार ऐसे मौके आए जब विकास दर 5.7 प्रतिशत या उससे नीचे गिरी। 
देश की अर्थव्यवस्था ने ऐसे क्वार्टर्स भी देखे हैं, जब विकास दर 0.2 प्रतिशत, 1.5 प्रतिशत तक गिरी। 
ऐसी गिरावट अर्थव्यवस्था के लिए और ज्यादा खतरनाक थी, क्योंकि इन वर्षों में भारत Higher Inflation, Higher Current Account Deficit और Higher Fiscal Deficit से जूझ रहा था। साथियों, 

अगर 2014 के पहले के दो वर्षों को यानि साल 2012-13 और 13-14 को देखें, तो औसत वृद्धि 6 प्रतिशत के आसपास थी। अब कुछ लोग ये कह सकते हैं कि आपने दो ही साल क्यों लिए? 

साथियों, दो साल का संदर्भ मैंने इसलिए लिया क्योंकि इस सरकार के तीन साल और पिछली सरकार के आखिरी दो सालों में GDP Data तय करने का तरीका एक ही रहा है।

जब सेंट्रल स्टेटिस-टिक्स ऑफिस –CSO- ने इस सरकार के दौरान GDP में 7.4 प्रतिशत की वृद्धि का data रिलीज किया था, तो कुछ लोगो ने इसे खारिज कर दिया था। 

उनका कहना था कि Ground reality का उनका अपना जो अनुमान है, उससे ये data मैच नहीं करता। 

ऐसे लोग कहते थे कि उन्हें ये Feel ही नहीं हो रहा कि अर्थव्यवस्था इतनी तेजी से आगे बढ़ रही है। 

इसलिए इन चंद लोगो ने ये प्रचार करना शुरू कर दिया कि GDP तय करने के नए तरीके में कुछ गड़बड़ है। तब ये लोग data के आधार पर नहीं अपनी Feeling के आधार पर बातें कर रहे थे और इसलिए उन्हें अर्थव्यवस्था में विकास होता नहीं दिख रहा था। भाइयों और बहनों,

लेकिन जैसे ही पिछले दो क्वार्टर में विकास दर 6.1 प्रतिशत और 5.7 प्रतिशत हुई, उन्हीं अर्थशास्त्रियों को ये data सही लगने लगा। भाइयों और बहनों, मैं ना कोई अर्थशास्त्री हूं और ना ही कभी मैंने ऐसा claim किया है, लेकिन आज जब अर्थव्यवस्था पर इतनी चर्चा हो रही है, तो मैं आपको flash-back में भी लेकर जाना जाता हूं। 

भाइयों और बहनों, एक दौर वो था जब अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में भारत को एक नए ग्रुप का हिस्सा बनाया गया था। ये ग्रुप जी-7, जी-8, जी-20 जैसा ग्रुप नहीं था। 

इस ग्रुप का नाम था- Fragile Five इसे ऐसा Dangerous ग्रुप माना गया था जिसकी खुद की अर्थव्यवस्था तो एक समस्या थी ही, बल्कि ये वैश्विक अर्थव्यवस्था की Recovery में भी बाधा बन रहे थे।

मेरे जैसे अर्थशास्त्र के कम जानकार को अब भी ये समझ नहीं आता कि उस समय बड़े-बड़े अर्थशास्त्रियों के रहते ऐसा कैसे हो गया था। आपको अवश्य याद होगा कि:- 

· हमारे देश में उस समय GDP ग्रोथ से ज्यादा Inflation में ग्रोथ की चर्चा होती थी 

· Fiscal Deficit और Current Account Deficit में ग्रोथ पर बातें होतीं थीं।

· रुपए के मुकाबले डॉलर की कीमत में ग्रोथ होने पर हेडलाइन खबरें बनती थीं

· यहां तक की Interest Rate में ग्रोथ भी सभी की चर्चा में शामिल थी।

देश के विकास को विपरीत दिशा में ले जाने वाले ये सभी पैरामीटर्स तब कुछ लोगो को पसंद आते थे। 

अब जब वही पैरामीटर्स सुधरे हैं, विकास को सही दिशा मिली है तो ऐसे अर्थशास्त्रियों ने आंखों पर पर्दा डाल लिया है। इस पर्दे के कारण उन्हें दीवार पर स्पष्ट लिखी चीजें भी नहीं दिखाई दे 

रहीं। जैसे: · 10 प्रतिशत से ज्यादा की Inflation कम होकर अब इस साल औसतन 2.5 प्रतिशत पर आ गई है।

· लगभग 4 प्रतिशत का Current Account Deficit, औसतन 1 प्रतिशत के आसपास ले आया गया है।

· इन सारे पैरामीटर्स को सुधारते समय, केंद्र सरकार अपना Fiscal Deficit पिछली सरकार के साढ़े 4 प्रतिशत से घटाकर साढ़े 3 प्रतिशत पर ले आई है। 

· आज विदेशी Investors भारत में रिकॉर्ड निवेश कर रहे हैं।

भारत का Foreign Exchange Reserve लगभग 30 हजार करोड़ डॉलर से बढ़कर 40 हजार करोड़ डॉलर के पार पहुंच गया है। अर्थव्यवस्था में ये सुधार, 

ये विश्वास, ये सफलताएं शायद उनकी नजर में कोई मायने नहीं रखतीं। 

इसलिए देश के लिए अभी ये सोचने का समय है कि कुछ अर्थशास्त्री देशहित साध रहे हैं या किसी का राजनीतिक हित। 

साथियों, 

ये बात सही है कि पिछले तीन वर्षों में 7.5 प्रतिशत की औसत ग्रोथ हासिल करने के बाद इस वर्ष अप्रैल-जून की तिमाही में GDP ग्रोथ में कमी दर्ज की गई। 

लेकिन ये बात भी उतनी ही सही है कि सरकार इस ट्रेंड को रिवर्स करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।

भाइयों और बहनों, 

कई जानकारों ने इस बात पर सहमति जताई है कि देश की अर्थव्यवस्था के fundamentals strong हैं। 

हमने reform से जुड़े कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं और ये प्रक्रिया लगातार जारी रहेगी। 

देश की financial stability को भी maintain रखा जाएगा। निवेश बढ़ाने और आर्थिक विकास को गति देने के लिए हम हर आवश्यक कदम उठाते रहेंगे।

मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि सरकार द्वारा लिए गए कदम देश को आने वाले वर्षों में विकास की एक नई league में रखने वाले हैं। 

वर्तमान में अगर इन structural reform की वजह से किसी सेक्टर को तत्काल सहायता की आवश्यकता है, तो सरकार उसके प्रति भी सजग है। 

वो चाहे MSME सेक्टर हो, या Export सेक्टर हो या हमारी Non-Formal Economy का हिस्सा हो। 

आज इस मंच पर मैं अपनी एक बात फिर दोहराना चाहूंगा कि बदलती हुई देश की इस अर्थव्यवस्था में अब ईमानदारी को प्रीमियम मिलेगा, ईमानदारों के हितों की सुरक्षा की जाएगी। 

मुझे ये पता है कि मुख्यधारा में लौट रहे कुछ व्यापारियों को डर लग रहा है कि कहीं उनके पुराने रिकॉर्ड ना खंगाले जाएं।

साथियों,

जो कोई वर्ग ईमानदारी से देश के विकास में शामिल हो रहा है, मुख्यधारा में आ रहा है, उसे मैं ये पूरा भरोसा दिलाना चाहता हूं कि उन्हें परेशान नहीं होने दिया जाएगा।

GST व्यवस्था में जैसे-जैसे बदलाव की आवश्यकता होगी, हम परिवर्तन और सुधार करते रहेंगे।

छोटे व्यापारियों के हित में हमने कुछ बदलाव किए हैं और आगे भी देशहित में बदलाव करने के लिए हम बिना संकोच हर पल तैयार हैं। भाइयों और बहनों, 

वर्तमान आर्थिक स्थिति की चर्चा करते हुए मैं कुछ जानकारियां आपके सामने रख रहा हूं। इन जानकारियों से क्या मतलब निकलता है, उसका निर्णय आप पर, देशवासियों पर छोड़ रहा हूं।

साथियों, 

मुझे पक्का यकीन है कि जब आपने अपनी पहली गाड़ी खरीदी थी, तो मजबूरी में नहीं खरीदी होगी। 

गाड़ी खरीदने से पहले आपने रसोई का बजट देखा होगा, बच्चों की पढ़ाई का खर्च देखा होगा, बड़े-बुजुर्गों की दवाई का खर्च देखा होगा। इसके बाद कुछ पैसे बचते हैं, तब जाकर घर या गाड़ी के बारे में सोचते हैं।

· ये हमारे समाज की बहुत basic सोच है और ऐसे में अगर देश में जून के बाद पैसेंजर कारों की बिक्री में लगभग 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई हो, तो आप क्या कहेंगे?

· आप क्या कहेंगे जब आपको पता चलेगा कि जून के बाद कमर्शियल गाड़ियों की बिक्री में भी 23 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि हुई है? 

· आप क्या कहेंगे जब देश में दो पहिया वाहनों की बिक्री में 14 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि हुई है।

· आप क्या कहेंगे जब Domestic Air Traffic यानि हवाई जहाज से यात्रा करने वाले लोगों की संख्या में भी पिछले दो महीने में 14 प्रतिशत की बढोतरी हुई है।

· आप क्या कहेंगे जब अंतरराष्ट्रीय Air freight ( फ्रेट ) Traffic यानि हवाई जहाज के जरिए माल ढुलाई में लगभग 16 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

· आप क्या कहेंगे जब देश में टेलीफोन सब्सक्राइबर्स में भी 14 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि हुई है।

भाइयों और बहनों, 

ये वृद्धि संकेत दे रही है कि लोग गाड़ियां खरीद रहे हैं, फोन कनेक्शन ले रहे हैं, हवाई यात्राएं कर रहे हैं। 

ये Indicators शहरी क्षेत्रों में Demand की ग्रोथ को दर्शाते हैं। 

· अब अगर ग्रामीण Demand से जुड़े Indicators को देखें तो हाल के महीनों में ट्रैक्टर की बिक्री में 34 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि हुई है।

· FMCG के क्षेत्र में भी Demand ग्रोथ का ट्रेंड सितंबर महीने में बढ़ा हुआ दिख रहा है।

साथियों, 

ऐसा तब होता है जब देश के लोगों का विश्वास बढ़ता है। जब देश के लोगों को लगता है कि हां, अर्थव्यवस्था मजबूत है। 

· अभी रिलीज हुआ PMI का Manufacturing Index Expansion Mode को दर्शा रहा है। और Future Output Index तो 60 का आंकड़ा पार कर चुका है।

· हाल में आए आंकड़ों को देखें तो कोयले, बिजली, स्टील और नैचुरल गैस से production में भी काफी अच्छी वृद्धि दर्ज की गई है।

· साथियों, पर्सनल लोन के डिस्बर्सल में भी तेज वृद्धि देखी जा रही है। 

· Housing Finance Companies और Non-Banking Finance Companies के द्वारा दिए गए लोन में भी काफी वृद्धि हुई है।

· इतना ही नहीं, कैपिटल मार्केट में अब म्यूचुअल फंड और इंश्योरेंस में अधिक निवेश हो रहा है।

· कंपनियों ने IPO’s के द्वारा इस साल पहले 6 महीने में ही 25 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि mobilise की है। पिछले साल पूरे वर्ष में ये राशि 29 हजार करोड़ रुपए थी।

· Non-Financial Entities में कॉरपोरेट बॉन्ड और Private Placement के द्वारा सिर्फ चार महीने में ही 45 हजार करोड़ रुपए का निवेश किया गया है।

ये सारे आंकड़े देश में Financing के broad base को दर्शाते हैं, यानि भारत में अब financing केवल बैंकों के लोन तक ही सीमित नहीं रह गई है।

साथियों, 

इस सरकार ने समय और संसाधन, दोनों के सही इस्तेमाल पर लगातार जोर दिया है। पिछली सरकार के तीन साल के काम की रफ्तार और हमारी सरकार के तीन साल के काम की रफ्तार में फर्क साफ नजर आता है।

· पिछली सरकार के आखिरी तीन सालों में गांवों में 80 हजार किलोमीटर सड़क बनी थी। 

हमारी सरकार के तीन सालों में 1 लाख 20 हजार किलोमीटर सड़क बनी है। यानि 50 प्रतिशत से ज्यादा ग्रामीण सड़कों का निर्माण हुआ है। 

· पिछली सरकार ने अपने आखिरी के तीन साल में 15 हजार किलोमीटर नेशनल हाईवे बनाने के काम अवार्ड किया था। 

हमारी सरकार ने अपने तीन साल में 34 हजार किलोमीटर से ज्यादा ने नेशनल हाईवे बनाने का काम अवार्ड किया है।

· अगर इसी सेक्टर में Investment की बात की जाए, तो पिछली सरकार ने अपने आखिरी के तीन वर्षों में भूमि लेने और सड़कों के निर्माण पर 93 हजार करोड़ की राशि खर्च किए थे। 

इस सरकार में ये राशि बढ़कर 1 लाख 83 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा हो गई है। यानि लगभग दोगुना investment इस सरकार ने किया है। 

आपको भी पता होगा कि Highways के निर्माण में सरकार को कितने प्रशासनिक और वित्तीय कदम उठाने पड़ते हैं। ये आंकड़े दिखाते हैं कि कैसे सरकार ने Policy Paralysis से निकलकर Policy Maker और Policy Implementor का रोल अदा किया है। 

इसी तरह रेलवे सेक्टर की बात करें तो:

· पिछली सरकार के आखिरी तीन वर्षों में लगभग 1100 किलोमीटर नई रेल लाइन का निर्माण हुआ था। 

इस सरकार के तीन वर्षों में ये 2100 किलोमीटर से ज्यादा तक पहुंच गया। यानि हमने लगभग दोगुनी गति से नई रेलवे लाइन बिछाई है।

· पिछली सरकार के आखिरी तीन सालों में 1300 किलोमीटर रेल लाइनों का दोहरीकरण हुआ था। इस सरकार के तीन सालों में 2600 किलोमीटर रेल लाइन का दोहरीकरण हुआ है। यानि हमने दोगुनी रफ्तार से रेल लाइनों का दोहरीकरण भी किया है।

· साथियों, 

पिछली सरकार के आखिरी के तीन वर्षों में लगभग 1 लाख 49 हजार करोड़ का capital expenditure किया गया था। इस सरकार के तीन वर्षों में लगभग 2 लाख 64 हजार करोड़ रुपए का capital expenditure किया गया है। यानि ये भी 75 प्रतिशत से ज्यादा है।

अगर अब मैं Renewable Energy सेक्टर में हो रहे विकास की बात करूं तो:

· पिछली सरकार के आखिरी के तीन वर्षों में कुल 12 हजार मेगावॉट की Renewable Energy की नई क्षमता जोड़ी गई थी। 

अगर इस सरकार के तीन सालों की बात करें, तो 22 हजार मेगावॉट से ज्यादा Renewable Energy की नई क्षमता को ग्रिड पावर से जोड़ा गया है। यानि यहां भी सरकार का Performance लगभग दोगुना अच्छा है।

· पिछली सरकार ने अपने आखिरी के तीन सालों में Renewable Energy पर 4 हजार करोड़ रुपए खर्च किए थे। 

हमारी सरकार ने अपने तीन साल में इस सेक्टर पर 10 हजार 600 करोड़ रुपए से भी अधिक खर्च किए हैं

· पिछली सरकार की तुलना में शिपिंग इंडस्ट्री में विकास की बात करें तो पहले जहां कार्गो हैंडलिंग की ग्रोथ Negative थी, वहीं इस सरकार के तीन सालों में 11 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि हुई है।

साथियों, 

देश के फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े रेल-सड़क-बिजली जैसे महत्वपूर्ण सेक्टरों के साथ-साथ, सरकार सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने पर भी पूरा ध्यान दे रही है।

हमने affordable Housing के क्षेत्र में ऐसे-ऐसे नीतिगत निर्णय लिए हैं, वित्तीय सुधार किए हैं, जो इस क्षेत्र के लिए अभूतपूर्व हैं।

· भाइयों और बहनों, 

पिछली सरकार ने अपने पहले के तीन वर्षों में सिर्फ 15 हजार करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी थी। 

इस सरकार ने अपने पहले के तीन वर्षों में 1 लाख 53 हजार करोड़ रुपए की परियोजनाओं को मंजूरी दी है। 

ये गरीबों को, मध्यम वर्ग को घर देने के हमारे कमिटमेंट को दर्शाता है। 

भाइयों और बहनों, 

देश में हो रहे इन चौतरफा विकास कार्यों के लिए अधिक पूंजी निवेश की भी आवश्यकता है। ज्यादा से ज्यादा विदेशी पूंजी कैसे भारत आए, इस पर भी सरकार बल दे रही है।

मुझे उम्मीद है कि आप में से कुछ को याद होगा कि जब देश में इंश्योरेंश सेक्टर में Reform की चर्चा शुरू हुई थी, तो अखबारों की हेडलाइन बनती थी, कि अगर ऐसा हो गया तो बहुत बड़ा आर्थिक फैसला होगा। 

ये पिछली सरकार के समय की बात है। वो सरकार चली गई, लेकिन इंश्योरेंश सेक्टर में Reform हो नहीं पाया। ये रीफॉर्म हमने किया, इस सरकार में हुआ। 

लेकिन कुछ लोगो की मानसिकता ऐसी है कि क्योंकि ये Reform उस दौर में नहीं हुआ, उनकी पसंद की सरकार ने नहीं किया, इसलिए उन्हें ये Reform भी बड़ा नहीं लगता।

Reform-Reform के गीत गाने वालों को मैं बताना चाहता हूं कि पिछले तीन वर्षों में 21 सेक्टरों से जुड़े 87 छोटे-बड़े Reform किए गए हैं।

Defence सेक्टर, 

Construction सेक्टर, 

Financial Services, 

Food Processing, जैसे कितने ही सेक्टरों में निवेश के नियमों में बड़े बदलाव हुए हैं।

देश के आर्थिक क्षेत्र को खोलने के बाद से लेकर अब तक जितना विदेशी निवेश भारत में हुआ है, उसकी तुलना अगर पिछले तीन वर्षों में हुए निवेश से करें, तो आपको पता चलेगा कि हमारी सरकार जो Reform कर रही है, उसका नतीजा क्या मिल रहा है।

भाइयों और बहनों, 

· कंस्ट्रक्शन सेक्टर में अब तक के Total विदेशी पूंजी निवेश का 75 प्रतिशत पिछले तीन वर्षों में हुआ है।

· एयर ट्रांसपोर्ट सेक्टर में भी अब तक के Total विदेशी पूंजी निवेश का 69 प्रतिशत, पिछले तीन वर्षों में ही हुआ है।

· माइनिंग सेक्टर में अब तक के Total विदेशी पूंजी निवेश का 56 प्रतिशत, पिछले तीन सालों में ही हुआ है।

· कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर में भी अब तक के Total विदेशी पूंजी निवेश का 53 प्रतिशत पिछले तीन वर्षों में ही हुआ है।

· इलेक्ट्रिकल इक्विपमेंट्स में भी अब तक के Total विदेशी पूंजी निवेश का 52 प्रतिशत, इसी सरकार के तीन वर्षों में हुआ है।

· Renewable Energy सेक्टर में भी अब तक के कुल विदेशी पूंजी निवेश का 49 प्रतिशत, इसी सरकार के तीन सालों में आया है।

· टेक्सटाइल्स सेक्टर में अब तक के कुल विदेशी पूंजी निवेश का 45 प्रतिशत, पिछले तीन वर्षों में ही हुआ है।

· आपके लिए ये भी चौंकने का विषय हो सकता है कि ऑटोमोबिल इंडस्ट्री, जिसमें पहले से ही काफी विदेशी पूंजी निवेश हो चुका है, उस सेक्टर में भी अब तक के कुल विदेशी पूंजी निवेश का 44 प्रतिशत पिछले तीन सालों में हुआ है।

भारत में FDI inflow का बढ़ना इस बात का सबूत है कि विदेशी निवेशक देश की अर्थव्यवस्था पर कितना भरोसा कर रहे हैं। 

ये सारे निवेश देश के विकास की गति को तेज करने और Job Creation में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं।

भाइयों और बहनों, 

मेहनत से कमाए गए आपके एक एक पैसे की कीमत ये सरकार समझती है। इसलिए सरकार की नीतियों और योजनाओं में इस बात का भी ध्यान रखा जा रहा है कि वो गरीबों और मध्यम वर्ग की जिंदगी तो आसान बनाएं हीं, उनके पैसों की भी बचत कराएं। 

· साथियों, 

ये सरकार की लगातार कोशिश का ही नतीजा है कि पिछली सरकार के समय जो LED बल्ब 350 रुपए तक का मिला करता था, अब उसकी कीमत ये सरकार उजाला स्कीम के तहत 40 से 45 रुपए पर ले आई है।

· अब तक देश में 26 करोड़ से ज्यादा LED बल्ब बांटे गए हैं। अगर एक बल्ब की कीमत में औसतन 250 रुपए की भी कमी मानें तो देश के मध्यम वर्ग को इससे लगभग साढ़े 6 हजार करोड़ रुपए की बचत हुई है। 

इतना ही नहीं, ये बल्ब हर घर में बिजली की खपत कम कर रहे हैं, बिजली बिल कम कर रहे हैं। इससे भी देश के मध्यम वर्ग की सिर्फ एक साल में 13 हजार 800 करोड़ रुपए से ज्यादा की अनुमानित बचत हुई है।

· सरकार की कोशिश की वजह से अब जहां-जहां local bodies अपनी स्ट्रीट लाइटों को LED बल्ब से बदल रही हैं, वहां पर भी उन्हें आर्थिक फायदा हो रहा है। 

अनुमान है कि एक टायर-टू सिटी में नगर निगम को औसतन 10 से 15 करोड़ रुपए की बचत इससे हो रही है। ये पैसे अब शहर के विकास में खर्च किए जा रहे हैं।

· सरकार ने मध्यम वर्ग को घर बनाने के लिए पहली बार ब्याज दर में राहत भी दी है। 

भाइयों और बहनों, 

मध्यम वर्ग का बोझ कम करने, 

निम्न मध्यम वर्ग को अवसर प्रदान करने, और 

गरीबों का सशक्तिकरण करने के लिए ठोस कदम उठाने होते हैं, 

नीतियां बनानी होती हैं,और 

उसे समयबद्ध तरीके से लागू करना होता है। 

इस मकसद को पूरा करने के लिए हम हर कदम उठाते रहे हैं।

मैं जानता हूं कि रेवड़ी बांटने के बजाय, लोगों और देश को Empower करने के काम में, कई बार मुझे आलोचना का भी सामना करना पड़ेगा, 

लेकिन मैं अपने वर्तमान की चिंता में, देश के भविष्य को दांव पर नहीं लगा सकता।

साथियों, 

इस सरकार ने Private Sector और Public Sector के साथ Personal Sector पर भी जोर दिया है। 

Personal Sector, जो लोगों की Personal Aspiration से जुड़ा हुआ है। इसलिए ये सरकार ऐसे नौजवानों को हर संभव मदद दे रही है, जो अपने दम पर कुछ करना चाहते हैं, अपने सपने पूरे करना चाहते हैं।

· मुद्रा योजना के तहत, बिना बैंक गारंटी 9 करोड़ से ज्यादा खाता धारकों को पौने चार लाख करोड़ रुपए से ज्यादा कर्ज दिया गया है।

· इन 9 करोड़ में से 2 करोड़ 63 लाख नौजवान ऐसे हैं जो first timers हैं, यानि जिन्होंने पहली बार अपना कारोबार करने के लिए मुद्रा योजना के तहत कर्ज लिया है।

सरकार, स्किल इंडिया मिशन, स्टैंड अप इंडिया-स्टार्ट अप इंडिया जैसी योजनाओं के माध्यम से भी स्वरोजगार को बढ़ावा दे रही है। 

ज्यादा से ज्यादा लोगों को Formal सेक्टर में लाने के लिए कंपनियों को आर्थिक प्रोत्साहन भी दिया जा रहा है।

भाइयों और बहनों, 

Formal सेक्टर में Employment के कुछ indicators को देखें, तो

· मार्च 2014 के अंत में ऐसे 3 करोड़ 26 लाख कर्मचारी थे जो सक्रिय रूप से Employees Provident Fund Organisation में हर महीने PF का पैसा जमा करा रहे थे। 

पिछले तीन साल में ये संख्या बढ़कर 4 करोड़ 80 लाख पहुंच गई है। 

कुछ लोग यहां भी ये भूल जाते हैं कि बिना रोजगार बढ़े ये संख्या नहीं बढ़ सकती।

साथियों, हम सारी योजनाओं को उस दिशा की तरफ ले जा रहे हैं जो गरीब, निम्न मध्यम वर्ग और मध्यम वर्ग की जिंदगी में Qualitative Change लाए। 

जनधन योजना के तहत अब तक 30 करोड़ से ज्यादा गरीबों के बैंक अकाउंट खोले जा चुके हैं, 

उज्जवला योजना के तहत 3 करोड़ से ज्यादा महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन दिया जा चुका है,

लगभग 15 करोड़ गरीबों को सरकार की बीमा योजनाओं के दायरे में लाया गया है। कुछ दिन पहले ही हर गरीब को मुफ्त बिजली कनेक्शन देने के लिए सौभाग्य योजना की शुरुआत की गई है।

सरकार की ऐसी योजनाएं गरीबों को सशक्त कर रही हैं। लेकिन उन्हें सबसे ज्यादा नुकसान अगर किसी चीज से होता है, तो वो है भ्रष्टाचार, वो है कालाधन।

भ्रष्टाचार और कालेधन पर रोक लगाने में आपके संस्थान और देश के कंपनी सेक्रेटरीज की बहुत बड़ी भूमिका है। 

नोटबंदी के बाद जिन तीन लाख संदिग्ध कंपनियों के बारे में पता चला था, जिनके माध्यम से कालेधन का लेन-देन किए जाने की आशंका है, उनमें से 2 लाख 10 हजार कंपनियों का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जा चुका है।

मुझे उम्मीद है कि Shell कंपनियों के खिलाफ इस सफाई अभियान के बाद डायरेक्टरों में भी जागरूकता बढ़ेगी और इसके असर से कंपनियों में पारदर्शिता भी आएगी।

साथियों, देश के इतिहास में ये कालखंड बहुत बड़े परिवर्तन का है, बहुत बड़े बदलाव का है। 

देश में ईमानदार और पारदर्शी शासन का महत्व समझा जाने लगा है।

Corporate Governance Framework के निर्धारण के समय ICSI Recommen- -dations की काफी सकारात्मक भूमिका रही थी। 

अब समय की मांग है कि आप एक नया बिजनेस कल्चर पैदा करने में भी सक्रिय भूमिका निभाएं। 

जीएसटी लागू होने के बाद Indirect Tax के दायरे में लगभग 19 लाख नए नागरिक आए हैं। छोटा व्यापारी हो या बड़ा, जीएसटी में समाहित ईमानदार व्यवस्था को अपनाए, 

इसके लिए व्यापारी वर्ग को प्रेरित करते रहना भी आपका काम है। 

आपके संस्थान से लाखों छात्र जुड़े हुए हैं। 

क्या आपका संस्थान ये बीड़ा उठा सकता है कि वो एक लाख नौजवानों को GST से जुड़ी छोटी-छोटी जानकारियों की भी ट्रेनिंग देगा।

हफ्ते-दस दिन की ट्रेनिंग के बाद ये छात्र अपने-अपने इलाकों में छोटे दुकानदारों को मदद कर सकते हैं, उन्हें GST नेटवर्क से जोड़ने और रिटर्न फाइल करने में मदद कर सकते हैं। 

साथियों, 

2022 में जब देश अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्ष का पर्व मनाएगा, तब के लिए मैं ICSI से कुछ वायदे चाहता हूं। इन वायदों में आपके संकल्प होंगे और उन संकल्पों को आपको सिद्ध करना होगा। 

· क्या आप 2022 तक देश को एक हाई tax complaint सोसाइटी बनाने का बीड़ा उठा सकते हैं?

· क्या आप ये सुनिश्चित कर सकते हैं कि 2022 तक देश में एक भी Shell कंपनी नहीं रहेगी?

· क्या आप ये सुनिश्चित कर सकते हैं कि 2022 तक देश में हर कंपनी ईमानदारी से टैक्स भरेगी?

· क्या आप अपनी मदद का दायरा बढ़ाकर 2022 तक देश में एक ईमानदार business culture स्थापित कर सकते हैं?

मैं उम्मीद करता हूं कि अपने गोल्डन जुबली वर्ष की शुरुआत में ICSI इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए अलग से कुछ दिशा-निर्देश तय करेगा और उन्हें अपनी कार्य संस्कृति में भी शामिल करेगा।

एक बार फिर आप सभी लोगों को बहुत-बहुत बधाई। 

 

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