नई दिल्ली । प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (पैक्स) द्वारा की जाने वाली गतिविधियों के क्षेत्र का विस्तार करने के लिए, जिससे उन्हें वित्तीय रूप से मजबूत और टिकाऊ बनाया जा सके, एलपीजी डीलरशिप के लिए आवेदन करने की अनुमति दी गई है। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने एलपीजी डीलरशिप के लिए पैक्स को अर्हता प्रदान करने के लिए अपने दिशानिर्देशों में संशोधन किया है।
यह बात सहकारिता मंत्री, अमित शाह ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कही।
अपने व्यापक जमीनी स्तर के नेटवर्क और ग्रामीण समुदायों के बीच विश्वास के साथ, पैक्स दूरदराज के क्षेत्रों में एलपीजी वितरण में अंतर को पाटने के लिए अच्छी तरह से कार्यरत हैं। यह पहल न केवल एलपीजी आपूर्ति के व्यापक कवरेज को सुनिश्चित करती है बल्कि दूर के वितरकों पर निर्भरता को भी कम करती है, जिससे ग्रामीण परिवारों के लिए सुविधा को बढ़ावा मिलता है।
तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) के “एलपीजी डीलरशिप के चयन के लिए एकीकृत दिशानिर्देशों” के अनुसार, पैक्स द्वारा अधिकृत व्यक्ति को प्रशिक्षण दिया जाता है और उसे पूर्व-कमीशनिंग क्विज/टेस्ट में क्वालीफाइंग अंक, जो कि 80% है, प्राप्त करके पास करना होता है। पैक्स को एलपीजी डीलरशिप देने से पहले, ओएमसी द्वारा भंडारण सुविधाओं, प्रारंभिक पूंजी का सहयोग आदि जैसे पर्याप्त संसाधनों को सुनिश्चित किया जाता है, ताकि संचालन कुशलतापूर्वक और सुरक्षित रूप से किए जा सकें।
पैक्स के माध्यम से एलपीजी वितरण की शुरुआत, ग्रामीण परिवारों को खाना पकाने के पारंपरिक तरीकों जैसे कि जलाऊ लकड़ी के विकल्प के रूप में एक स्वच्छ, स्वस्थ विकल्प प्रदान करने में मदद करती है, जिससे स्वास्थ्य जोखिम और पर्यावरणीय नुकसान कम होता है। यह पहल अतिरिक्त राजस्व स्त्रोत तैयार कर और उनकी वित्तीय स्थाईत्व को बढ़ाकर पैक्स को मजबूत करने में मदद करती है। किसानों को एलपीजी तक सुविधाजनक पहुंच से सीधे लाभ मिलता है, जिससे समय और श्रम की बचत होती है, जिसे उत्पादक कृषि गतिविधियों की ओर पुनर्निर्देशित किया जा सकता है।