छठी मईया की गोद में समायी बिहार कोकिला शारदा सिन्हा को सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र ने सजीव आकृति बना नम आंखों से दी विदाई

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पटना। आज उदीयमान सूर्य के अर्घ्य के साथ चार दिवसीय छठ महापर्व संपन्न हो गया। एक तरफ छठ महापर्व में शारदा सिन्हा जी के गानों से दुनिया गूंज रही थी तभी सोशल मीडिया पर एक अत्यंत ही हृदय विदारक खबर आई कि संगीत जगत में बिहार की स्वर कोकिला कही जाने वाली शारदा सिन्हा अब इस दुनियां में नहीं रही। इधर निधन का खबर सुनते ही भावुक हो उठे अंतरराष्ट्रीय रेत कलाकार मधुरेंद्र कुमार ने शुक्रवार की पूर्व संध्या पर अपने 48 घंटों के कठीन परिश्रम के बाद पटना के कंगन घाट पर लोक गायिका पद्मश्री और पद्मभूषण से सम्मानित शारदा सिन्हा की सजीव तस्वीर उकेर अपना भाव प्रकट किया। लोकसंगीत के माध्यम से दशकों तक जनजन की आत्मा की आवाज बानी बिहार कोकिला शारदा सिन्हा को मधुरेन्द्र ने अपनी कला के माध्यम से भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की ।

सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र ने बताया कि आस्था का प्रतीक माना जाने वाला महापर्व छठ बिहार के साथ-साथ पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। बिहार कोकिला शारदा सिन्हा के गीत आज भी घर-घर में गूंजते हैं। अगर छठ के समय उनके गाए गीत नहीं बजते हैं, तो पता ही नहीं चलता है कि छठ का पर्व मनाया जा रहा है। अब छठ पुत्री शारदा सिन्हा जी मईया के गोद में समा गई है। उनकी निधन से भोजपुरी संगीत को अपूरणीय क्षति हुई है। ऐसी आवाज बिड़ले ही धरती पर जन्म लेती हैं। शारदा सिन्हा अपनी सुमधुर आवाज के माध्यम से छठ महापर्व के साथ सदियों तक अमर रहेंगी। यह महज एक संयोग ही नहीं बल्कि छठी मईया ने उन्हें ऐसे समय सदगति प्रदान की कि वे छठ व्रत के साथ ही हर वर्ष लाखों लोगों को याद आएगी।

बता दें कि अपनी कलाकृति बनाकर नम आंखों से शारदा सिन्हा जी को विदाई देने वाले प्रख्यात सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र मूल रूप से बिहार के चंपारण के मूल निवासी है। ये देश दुनिया के सभी असामायिक घटनाओं व ज्वलंत मुद्दों पर अपनी विशेष कलाकृतियों से समाज को सकारात्मक संदेश देने में जुटे रहते हैं।

मौके पर उपस्थित प्रशासनिक अधिकारियों व हजारों छठव्रतियों ने भी मधुरेंद्र की कलाकृति की सराहना करते शारदा सिन्हा को श्रद्धांजलि दी।

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