कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा की व्यवस्था पर सवाल खड़े किये …..

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सुभाष चौधरी/The Public World 

नई दिल्ली : 18 वीं लोकसभा के पहले सत्र में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच की उत्पन्न राजनीतिक तनातनी संसद सत्र के अनिश्चितकालीन स्थगन के बाद अब मीडिया और राजधानी की गलियों में भी देखने को मिलने लगी है. एक दिन पूर्व प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राष्ट्रपति के गया है. विपक्षी सांसदों के हंगामे का दृश्य दिखाने वाली लोकसभा की सीसीटीवी फुटेज मिडिया में जारी होने को लेकर कांग्रेस पार्टी ने आज लोकसभा की मर्यादा भंग करने का आरोप सत्ता पक्ष पर लगाया है.  कांग्रेस पार्टी की ओर से सोशल मीडिया एक्स पर जारी सीसीटीवी फुटेज जिसमें विपक्ष के मणिपुर के लोकसभा सांसदों को वेल ऑफ़ दी हाउस में आकर हंगामा करते दिखाया गया है साझा करते हुए लोकसभा की व्यवस्था पर सवाल खड़े किये गए हैं. पार्टी की और से जारी सवालों की सूची में यह कहते हुए पूछा गया है कि  “आज सत्ता पक्ष सदन की CCTV फुटेज लीक करके मर्यादा का पाठ पढ़ा रहा है। ” क्या मर्यादा की सारी सीमाएं सिर्फ विपक्ष के लिए हैं ?

बता दें कि जब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी सदन में बोल रहे थे तब संसद टी वी पर जारी लोकसभा की कार्यवाही के सीधा प्रसारण में मणिपुर के सांसदों का विरोध जताते हुए फुटेज नहीं दिखाया गया था. केवल लोकसभा अध्यक्ष ओम बिडला की और से विपक्ष के नेता और सांसदों को आगाह करते हुए दिखाया गया था और मणिपुर के सांसदों सहित सभी विपक्षी दलों के सांसदों की नारेबाजी की आवाज सुनाई पद रही थी. उसी शोरगुल में प्रधान मंत्री मोदी अपना भाषण देते रहे.

सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तकरार इसलिए हुई क्योंकि प्रधान मंत्री मोदी के जवाब से पूर्व मणिपुर जीत कर आये सांसद अपनी बात रखना चाह रहे थे . इसकी मांग का कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों के नेताओं और सांसदों ने समर्थन किया लेकिन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने उन्हें बोलने की अनुमति नहीं दी और पीएम मोदी को अपनी बात रखने की अनुमति दी. इसके विरोध में लागातार नारेबाजी चलती रही और पीएम बोलते रहे. इसी घटना की सी सी टी वी फुटेज ही अब सोशल मीडियापर तैरने लगी है जिसको लेकर कांग्रेस पार्टी ने आपत्ति जताते हुए कई सवाल पूछे हैं .

कांग्रेस पार्टी के सवाल :

ये मर्यादा कहां थी..

• जब विपक्ष के 146 सांसदों को एक साथ सस्पेंड कर दिया जाता है

• जब जनता की आवाज उठाने पर विपक्ष का माइक बंद कर दिया जाता है

• जब नेता प्रतिपक्ष के भाषण के दौरान स्पीकर को दिखाया जाता है

• जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मणिपुर को उसके हाल पर जलने के लिए छोड़ देते हैं

• जब अपने 2 घंटे 14 मिनट के भाषण में प्रधानमंत्री मणिपुर को नजरअंदाज कर देते हैं

सच्चाई ये है कि..

कल लोकसभा में मणिपुर के दो सांसद मौजूद थे, जो मणिपुर के दो अलग समुदायों से जुड़े थे।

सदन में एक समुदाय के सांसद को बोलने का मौका दिया गया, लेकिन दूसरे सांसद को बोलने का मौका नहीं मिला।

इसलिए विपक्ष के सांसद चाहते थे कि मणिपुर के दोनों समुदायों के सांसदों को बोलने का मौका दिया जाए, यही विपक्ष की मांग थी।

इस बात को लेकर पूर्वोत्तर के सांसद खड़े हुए और उनके साथ पूरा विपक्ष खड़ा हुआ, क्योंकि सब जानते थे कि अगर दो समुदायों के किसी एक सांसद को ही अपनी बात रखने का मौका मिला, तो इसका बेहद गलत संदेश जाएगा।

लेकिन BJP के मीडिया सेल ने सारी मर्यादाओं को लांघकर ये प्रोपेगेंडा फैलाने की कोशिश की कि विपक्ष सदन चलने नहीं दे रहा।

विपक्ष की असली मर्यादा- निडर और बेखौफ होकर जनता की आवाज उठाने में है, जनता के लिए लड़ने में है, सच का साथ निभाने में है।

और जनता की आवाज है कि पिछले एक साल से नफरत की आग में जल रहे मणिपुर को न्याय मिले। मणिपुर में शांति बहाल हो।

मणिपुर को न्याय दिलाने के लिए अगर हमें हजार बार भी आवाज उठानी पड़ी तो हम उठाएंगे, पीछे नहीं हटेंगे।

हम हर कीमत पर विपक्ष की जिम्मेदारी और धर्म निभाएंगे। मणिपुर को न्याय दिलाकर रहेंगे।

https://x.com/INCIndia/status/1808490398160929265

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