क्या आपका बच्चा किसी कोचिंग सेंटर में पढ़ता है ? आपके लिए बड़ी जरूरी खबर !

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सुभाष चौधरी /The Public World 

नई दिल्ली :  देश की राजधानी दिल्ली सहित देश के सभी राज्यों की राजधानियां एवं जिला स्तर से लेकर उपमंडल स्तर तक के शहरों में बड़ी संख्या में चलने वाले कोचिंग सेंटर्स ,कोचिंग इंस्टिट्यूट और ट्यूशन सेंटर्स पर लगाम कसने के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने सभी राज्यों के लिए विशेष गाइडलाइंस जारी की है । केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग की ओर से “ गाइडलाइंस फॉर रेगुलेशन ऑफ कोचिंग सेंटर” जनवरी 2024 में जारी की गई है। इस गाइडलाइन के तहत सभी राज्य सरकारों से अपने कानून बनाने को कहा गया है जिसके माध्यम से प्राइवेट कोचिंग इंस्टिट्यूट को नियंत्रित किया जा सकेगा । हालांकि कुछ राज्यों में पहले से ही इसको लेकर कानून बनाए गए हैं लेकिन ठीक से लागू नहीं होने के कारण प्राइवेट कोचिंग इंस्टिट्यूट का धंधा अनियंत्रित और स्तरहीन हो गया लगता है. इसका खामियाजा स्टूडेंट और पेरेंट्स दोनों को भुगतना पड़ रहा है।

 

सवाल यह है कि  भारत सरकार को गाइडलाइन क्यों जारी करनी पड़ी ?

 

प्राइवेट कोचिंग इंस्टिट्यूट में पढ़ने वाले छात्रों में आत्महत्या की घटनाएं बेतहाशा बढ़ने लगी। कोचिंग सेंटर में आग लगने की कई घटनाएं दिल्ली व गुजरात सहित अलग-अलग राज्यों में देखने को मिली जिसमें स्टूडेंट की मृत्यु भी हुई और बड़ा नुकसान झेलना पड़ा। कोचिंग संस्थानों में आवश्यक सुविधाओं का अभाव रहता है जबकि पढ़ाने के तौर तरीके भी सरकार और विशेषज्ञों द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुरूप नहीं होते हैं। इस प्रकार की शिकायतें सरकार के पास और अदालत में बड़े पैमाने पर आने लगी थी। एक तरफ अदालत में जवाब तलब तो दूसरी तरफ दिल हिला कर रख देने वाली कई वीभत्स दुर्घटनाओं में स्टूडेंट की मौत होने की घटनाओं का दबाव केंद्र सरकार पर इतना बढ़ने लगा था कि दिल्ली , राजस्थान, गुजरात जैसे राज्यों में यह एक बड़ा राजनीतिक सवाल बनकर खड़ा होने लगा ।

 

हल के वर्षों में बिना किसी कानूनी प्रावधान के प्राइवेट कोचिंग सेंटर की देश में बाढ़ आ गई है. कोचिंग सेन्टरों में झूठे वायदे, आधारहीन दावे और सुनहले सपने दिखा कर स्टूडेंट से मनमानी फीस वसूली जा रही है। स्टूडेंट्स और अभिभावक दोनों ही तनाव से गुजरने को मजबूर हैं । नतीजतन स्टूडेंट द्वारा आत्महत्या करने की घटनाएं हर सप्ताह सुनने को मिलने लगी हैं । सुविधाओं की कमी कारण कोचिंग सेंटर में आग लगने और अन्य दुर्घटनाओं के कारण भी छात्रों की जान गई।

 

इस मामले में देश में गंभीर बहस छिड़ गई थी. यहां तक की कई बार अलग-अलग राज्यों के सांसदों ने इस विषय को लेकर संसद के दोनों सदनों में सवाल भी उठाये और सरकार पर हमला बोला ।

 

इस पर केंद्र सरकार ने भी काफी विचार विमर्श किया लेकिन 12वीं तक की शिक्षा की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की होने के कारण ऐसे कोचिंग संस्थानों को रेगुलेट करने की जिम्मेदारी भी राज्य सरकारों की ही मानी गई।

 

इस मसले पर अदालत और विशेषज्ञों ने क्या कहा ?

 

इस मामले को लेकर स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ़ इंडिया की ओर से देश की सुप्रीम कोर्ट में एक पी आई एल याचिका भी दायर की गई थी। इसमें केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को भी पार्टी बनाया गया था। सुनवाई के बाद देश की सर्वोच्च अदालत ने 3 फरवरी 2017 को केंद्र सरकार को इस संबंध में दिशा निर्देश जारी किया । अदालत ने इसे एक नीतिगत मसला बताते हुए संबंधित सरकारों से आवश्यक कदम उठाने को कहा ।

 

मामला इतना गरमाया कि इस पर संसद में भी जोरदार बहस हुई। सांसदों ने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर प्राइवेट कोचिंग इंस्टिट्यूट और कोचिंग सेंटर, प्राइवेट स्कूलों को नियंत्रित करने के लिए तत्काल कानूनी प्रावधान बनाने की मांग की । दूसरी तरफ अशोक मिश्रा कमेटी की रिपोर्ट में भी इस मामले को अति गंभीर बताते हुए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए। केंद्र सरकार ने सांसदों के सुझाव और मिश्रा कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर देश के सभी राज्य सरकारों को ऐसे कोचिंग इंस्टिट्यूट को रेगुलेट करने और नियम विरुद्ध सेंटर चलाने वालों के खिलाफ सख्त दंडात्मक कार्रवाई करने का प्रावधान बनाने को कहा।

 

केंद्र सरकार ने 2017 में ही सभी राज्य सरकारों को पत्र भेज कर जस्टिस रूपनवाल कमीशन ऑफ इंक्वायरी द्वारा सुझाए गए 12 बिंदुओं पर तत्काल कदम उठाने को कहा था। इस कमीशन ने स्टूडेंट की बढती आत्महत्या की घटनाओं को लेकर गंभीर चिंता जताई थी।

 

 

केंद्र सरकार का क्या है मानना ?

 

दरअसल स्कूल लेवल तक के लिए कोचिंग सेंटर को रेगुलेट करने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है. इसलिए इस विषय को राज्य सरकार के क्षेत्राधिकार का ही माना गया। केंद्र सरकार ने 14 अगस्त 2019 को फिर सभी राज्य सरकारों को पत्र लिखकर कोचिंग सेंटर्स के रेगुलेशन की दृष्टि से आवश्यक कदम उठाने को कहा।

केंद्र सरकार ने 24 दिसंबर 2020 को भी सभी राज्यों को पत्र लिखकर आवश्यक कानूनी प्रावधान बनाकर कोचिंग सेंटर में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य के लिए कदम उठाने को कहा था। केंद्र सरकार ने अपने पत्र में इन प्राइवेट संस्थानों में स्टूडेंट और अभिभावकों के अनावश्यक दोहन होने की ओर भी ध्यान दिलाते हुए कानून बनाने को कहा था।

 

इस मामले पर नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 में क्या है प्रावधान?

मैं आपको बताता चलूँ कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020,  29 जुलाई 2020 को जारी किया गया। इस पॉलिसी में दशकों पुराने चले आ रहे पुरानी परीक्षा पद्धति से तौबा करते हुए रेगुलर फॉर्मेटिव एसेसमेंट फॉर लर्निंग पर फोकस किया गया है । एजुकेशन पॉलिसी बनाने वालों ने यह माना है की परीक्षा की पुरानी पद्धति के कारण ही बच्चे स्कूल लेवल में भी कोचिंग सेंटर्स में जाने को मजबूर हो रहे हैं। दशकों पुरानी इस  पद्धति के कारण ही देश में कोचिंग कल्चर को बढ़ावा मिला. इसका खामियाजा बच्चों और अभिभावक दोनों को भुगतना पड़ रहा है। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 के पैरा नंबर 4.36 में साफ तौर पर यह कहा गया है कि सेकेंडरी स्कूल एग्जाम्स जिसमें बोर्ड एग्जाम्स और एंट्रेंस एग्जाम भी शामिल है की वर्तमान यानी पुरानी परीक्षा पद्धति के कारण ही अनैतिक कोचिंग सेंटर देश में फल फूल रहे हैं. ये कोचिंग सेंटर्स वर्तमान पीढ़ी के लिए ही नहीं भविष्य के लिए भी हानिकारक हैं।

नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 में कोचिंग सेंटर्स की क्लासेस की आवश्यकता को पूरी तरह समाप्त करने के लिए पुरानी बोर्ड और एंट्रेंस एग्जाम के तौर तरीके में जबरदस्त बदलाव की वकालत की गई है ।

इस पॉलिसी ने स्टूडेंट के लिए परीक्षा का लचीला प्रारूप तैयार करने की वकालत की है. स्टूडेंट के लिए दो परीक्षाओं में से एक सबसे बेहतर अटेम्प्ट को चुनने का विकल्प भी दिया है । यह कहते हुए की कोचिंग कल्चर के दबाव को स्टूडेंट के सिर से समाप्त करने के लिए बोर्ड एग्जाम के मॉडल को भविष्य के अनुसार परिवर्तन करने पर बल दिया गया है ।

नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 में ही यूनिवर्सिटी एंट्रेंस एग्जाम्स जैसे विकल्प देश के सामने रखा गया जिसमें नेशनल टेस्टिंग एजेंसी को हाई क्वालिटी वाला एप्टीट्यूड टेस्ट के साथ-साथ स्पेशलाइज्ड कॉमन सब्जेक्ट एग्जाम्स भी कंडक्ट करने की जिम्मेदारी दी गई। साल में इस प्रकार के एग्जाम्स दो बार आयोजित कराने का सुझाव दिया गया जिससे छात्र- छात्राओं के लिए कोचिंग की जरूरत को पूरी तरह समाप्त किया जा सके।

 

कोचिंग कलर को समाप्त करने के लिए नेशनल केरिकुलम  फ्रेमवर्क में क्या कहा गया ?

 

कोचिंग कलर को पूरी तरह समाप्त करने की दृष्टि से ही नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क में भी गहन मंथन किया गया। यही कारण है कि  सरकार ने एक तरफ सी यू ई टी जैसे राष्ट्रीय स्तर का यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट देश के 13 क्षेत्रीय भाषाओं में आयोजित करना शुरू किया। साथ ही हायर एजुकेशन इंस्टिट्यूट की सीट्स में भी वृद्धि की गई और बड़े पैमाने पर नए हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूशंस की स्थापना भी हाल के वर्षों में की गई । सरकार का मानना है कि नेशनल केरिकुलम फ्रेमवर्क के माध्यम से इस दिशा में मजबूत कदम उठाये जा रहे हैं।

 

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का क्या है कहना ?

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि नीट यूजी और पी जी , जे ई ई  मेंस में एंट्रेंस एग्जामिनेशन के लिए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की ओर से मोबाइल ऐप लॉन्च किए गए हैं।  जिससे बच्चों को ऑनलाइन फ्री ऑफ़ कॉस्ट हाई क्वालिटी मॉक टेस्ट की सुविधा मिली है।

केंद्र सरकार ने प्राइवेट कोचिंग सेंटर्स में स्टूडेंट और अभिभावकों के  साथ हो रहे अनैतिक दोहन को डिपार्मेंट आफ कंज्यूमर अफेयर्स के ध्यान में लाते हुए कंज्यूमर प्रोटक्शन एक्ट 1986 के तहत भी ऐसे कोचिंग सेंटर्स और प्राइवेट हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूशंस के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है। सरकार ने यह कदम कोचिंग इंस्टीट्यूशंस द्वारा दिन प्रतिदिन अखबारों एवं अन्य पब्लिसिटी के माध्यम में कोचिंग सेंटरों की ओर से प्रकाशित किए जाने वाले फर्जी और आधारहीन एवं झूठे दावे करने वाले विज्ञापन पर लगाम लगाने के लिए उठाया।

 

कोचिंग सेंटरों के लिए किस-किस राज्य में बना है कानून ?

चौकाने वाली बात यह है कि केंद्र सरकार की ओर से बारंबार राज्य सरकारों को पत्र लिखने का कुछ राज्यों पर ही असर पड़ा। इसको लेकर देश में सबसे अधिक कोचिंग और ट्यूशन क्लासेस चलने वाले राज्य बिहार ने बिहार कोचिंग इंस्टिट्यूट कंट्रोल एंड रेगुलेशन एक्ट 2010 पारित किया। इनके अलावा गोवा कोचिंग क्लासेस एक्ट 2001, उत्तर प्रदेश रेगुलेशन कोचिंग एक्ट 2002, कर्नाटक ट्यूटोरियल इंस्टीट्यूशंस रेगुलेशन रूल्स 2001 और मणिपुर कोचिंग इंस्टीट्यूट रेगुलेशन बिल 2023 देखने को मिला। इनमें से कुछ ने तो काफी पहले ही कानून बना लिया था लेकिन उसे ठीक से लागू नहीं किया. अब हरियाणा सरकार ने भी हरियाणा कोचिंग सेंटर्स रेगुलेशन एंड कंट्रोल बिल 2024 लाने का फैसला किया है। इसके अलावा राजस्थान में भी राजस्थान कोचिंग इंस्टीट्यूट कंट्रोल एंड रेगुलेशन बिल 2023 लाया और कोचिंग इंस्टिट्यूट से जुड़ने वाले स्टूडेंट्स के मेंटल हेल्थ को लेकर स्पेशल गाइडलाइन जारी की गई। आपको इस बात की जानकारी अवश्य होगी कि राजस्थान देश का अकेला ऐसा राज्य है जहां कोटा शहर में कोचिंग में पढने वाले स्टूडेंट की आत्महत्या की घटना प्रत्येक 15 दिन से एक माह में सुनने को मिलती है. लगातार होने वाली इन घटनाओं ने देश को हिला कर रख दिया है।

आश्चर्यजनक रूप से इन राज्यों कू छोड़ कर अब तक देश के अन्य राज्यों में प्राइवेट कोचिंग इंस्टिट्यूट पर अंकुश लगाने या उसका माहौल सुधारने को लेकर खास पहल नहीं की गई है। एक तरफ प्राइवेट स्कूल की भारी भरकम फीस का बोझ और दूसरी तरफ सब स्टैण्डर्ड प्राइवेट कोचिंग सेंटरों का बढ़ता अनैतिक व्यापार बच्चे के भविष्य से खुले आम खेल रहे हैं.

जाहिर है इन स्थितियों ने केंद्र सरकार को प्राइवेट कोचिंग इंस्टिट्यूट में हो रही बेतहाशा और अनियंत्रित फीस वृद्धि पर अंकुश लगाने के लिए पूरे देश के लिए एक मॉडल गाइडलाइन और पॉलिसी फ्रेमवर्क जारी करने को बाध्य किया। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने इसके लिए एक मॉडल गाइडलाइंस पॉलिसी तैयार कर सभी राज्य सरकारों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासकों को जारी कर इसे लागू करने के लिए आवश्यक प्रावधान बनाने का निर्देश दिया। इसे “गाइडलाइंस फॉर रजिस्ट्रेशन एंड रेगुलेशन का कोचिंग सेंटर 2024” का नाम दिया गया है।

केंद्र सरकार की ओर से जारी मॉडल गाइडलाइंस में क्या है खास ?

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से जारी मॉडल गाइडलाइंस को ऐसे कोचिंग सेंटर पर अंकुश लगाने की दृष्टि से बेहतरीन कदम माना जा रहा है जिससे सभी प्रकार के स्टडी प्रोग्राम्स, कॉम्पिटेटिव एग्जामिनेशन और अकादमिक सपोर्ट लेने वाले स्टूडेंट्स के अधिकारों की रक्षा की जा सकेगी। अगर राज्य सरकारों ने इस पर अमल किया तो स्टूडेंट को अनावश्यक और अनैतिक दोहन से बचाया जा सकेगा जबकि उन्हें अनावश्यक के मानसिक तनाव से भी मुक्ति दिलाई जा सकेगी।

इस गाइडलाइन के माध्यम से कोचिंग सेंटर्स के रजिस्ट्रेशन और रेगुलेशन का फ्रेमवर्क बनाना संभव होगा जबकि स्टूडेंट के लिए न्यूनतम निर्धारित आवश्यकताओं का पालन भी करवाया जाएगा। प्राइवेट कोचिंग सेंटर्स में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा के साथ-साथ उनके समग्र विकास को लेकर आवश्यक शैक्षणिक गतिविधियों को अपनाने के रास्ते भी बताये गए हैं । साथ ही इस गाइडलाइंस में स्टूडेंट को कैरियर गाइडेंस और साइकोलॉजिकल परामर्श भी मुहैया कराने का प्रावधान खास तौर से शामिल किया गया है।

 

 कोचिंग इंस्टिट्यूट की क्या है परिभाषा ? कौन आएगा दायरे में कौन नहीं ? इसे कौन नियंत्रित करेगा ?

केंद्र सरकार की ओर से जारी गाइडलाइंस में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि ऐसे कोचिंग इंस्टिट्यूट या ट्यूशन सेंटर जिसमें 50 से अधिक स्टूडेंट दाखिला लेंगे वह सभी इसकी सीमा में आएंगे। ऐसे कोचिंग सेंटर्स जहां किसी भी प्रकार के स्टडी प्रोग्राम, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी और एकेडमिक सपोर्ट के लिए स्कूल कॉलेज एवं यूनिवर्सिटी लेवल के 50 से अधिक विद्यार्थी नामांकन लेंगे उन पर यह गाइडलाइन लागू होगी।

ऐसे इंस्टीट्यूशंस जिसमें राज्य और केंद्र सरकारों के बोर्ड और नियमों के अंतर्गत गठित और नियंत्रित किए जाने वाले स्कूल,  कॉलेज, एसोसिएटेड कॉलेज, यूनिवर्सिटी या फिर अन्य शैक्षणिक संस्थान शामिल होंगे।  ऐसा संस्थान जिसे कोई व्यक्ति, व्यक्तियों का समूह कॉर्पोरेट बॉडी, ट्रस्ट, फर्म, समिति या कोई अन्य संस्थान चला रहा है इसके अंतर्गत होगा ।

इस दायरे में संस्थान चलाने वाला एक व्यक्ति या फिर एक से अधिक व्यक्ति सभी शामिल होंगे।

इन कोचिंग इंस्टीट्यूशंस में पढ़ने वाले ट्विटर भी कानूनी प्रावधान के दायरे में होंगे।

यहां मैं आपकी जानकारी के लिए यह स्पष्ट कर दूं कि इस दायरे में कोई भी काउंसलिंग सेंटर्स ,स्पोर्ट ट्रेनर्स, डांस ट्रेंनिंग सेंटर्स, थिएटर और दूसरे अन्य क्रिएटिव गतिविधियां चलने वाले सेंटर्स नहीं आएंगे।

इन कोचिंग सेंटर को रेगुलेट करने की जिम्मेदारी राज्य सरकार द्वारा गठित प्राधिकरण या जिला समिति की होगी। किसी भी प्रकार के विवाद के निपटारे के लिए संबंधित राज्य सरकार द्वारा नियुक्त या अधिकृत जिला प्राधिकरण होगा या जिला समिति होगी ।

 

अब सवाल है कि इनके कैसे नियंत्रित किया जाएगा ? क्या कोचिंग सेंटर्स के लिए रजिस्ट्रेशन का प्रावधान होगा ? इनका रजिस्ट्रेशन कैसे होगा ?

 

केंद्र सरकार या राज्य सरकार द्वारा जारी गाइडलाइंस या निर्धारित नियमों के अनुसार किसी भी व्यक्ति या संस्थान को प्राइवेट कोचिंग सेंटर्स चलाने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना होगा।

केंद्र सरकार या राज्य सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन के 3 महीने के अंदर ऐसे कोचिंग सेंटर जो पहले से ही चल रहे हैं के संचालकों को रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन करना होगा।

राज्य सरकार द्वारा अधिकृत संबंधित जिला प्राधिकरण या जिला समिति द्वारा निर्धारित फीस और आवश्यक डॉक्यूमेंट भी प्रस्तुत करने होंगे। यहां यह जानना भी बेहद जरूरी है कि ऐसे कोचिंग सेंटर्स जिनके  कई ब्रांच हैं, उन्हें अलग-अलग सभी ब्रांच का रजिस्ट्रेशन अलग-अलग करवाना होगा. यानी सभी ब्रांच के लिए अलग-अलग आवेदन जमा करवाने होंगे।

जिले में अधिकृत अथॉरिटी या जिला समिति आवेदन जमा करवाने के  3 महीने के अंदर रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट जारी करेंगे या उनके आवेदन को निरस्त करने की जानकारी कारण सहित बताएंगे। इस बात को अच्छी तरह समझ लें कि कोई भी प्राधिकरण या समिति किसी भी कोचिंग सेंटर के आवेदन को निरस्त करने से पहले उन्हें पक्ष रखने का पूरा समय देंगे।

रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट की वैलिडिटी जिला प्राधिकरण या जिला समिति या राज्य सरकार द्वारा निर्धारित नियमों के अनुरूप तय की जाएगी।

कोचिंग सेंटर/ स्कूल को अपने रजिस्ट्रेशन के रिन्यूअल के लिए सर्टिफिकेट की वैलिडिटी समाप्त होने से दो माह पहले ही आवेदन करना होगा . इसके लिए शुल्क और आवश्यक कागजात जिला प्राधिकरण ही तय करेगा।

जिला प्राधिकरण, सर्टिफिकेट के नवीनीकरण का निर्णय या इसे निरस्त करने का निर्णय वैलिडिटी समाप्त होने से पहले लेगा। अगर इसे निरस्त किया जाता है तो उसका कारण भी अथॉरिटी को लिखित में एक्सप्लेन करना होगा। कोचिंग संचालकों को अपनी बात रखने का पूरा मौका दिया जाएगा।

राज्य सरकारों को प्राइवेट कोचिंग सेंटर्स के रजिस्ट्रेशन के लिए अलग से वेब पोर्टल ऑनलाइन मेकैनिज्म लॉन्च करने को कहा गया है।

 

आपको यह भी जानना चाहिए कि कोचिंग सेंटर के रजिस्ट्रेशन की शर्तें क्या होगी ?

 

कोई भी कोचिंग सेंटर ग्रेजुएट से कम योग्यता वाले ट्यूटर नियुक्त नहीं कर सकेंगे। यानी ट्यूटर की योग्यता कम से कम बीए होनी चाहिए.

स्टूडेंट और पेरेंट्स को किसी प्रकार के झूठे वादे जैसे अच्छा रैंक दिलाने की गारंटी, अच्छे अंक दिलाने की गारंटी देने वाले कोचिंग सेंटर्स का  रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जाएगा।

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से जारी गाइडलाइन में सेकेंडरी स्कूल एग्जामिनेशन के बाद या 16 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को ही दाखिला लेने की अनुमति होगी।

किसी भी प्रकार के भ्रम फैलाने वाले, झूठे, प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर आधारहीन लुभावने विज्ञापन प्रकाशित करने वाले संस्थान प्रतिबंधित कर दिए जाएंगे।

यहां तक कि कोचिंग सेंटर्स में निर्धारित आवश्यक सुविधाएं मुहैया नहीं करने के खिलाफ भी कार्रवाई होगी जबकि अपने स्टूडेंट के झूठे रिजल्ट प्रकाशित कर लोगों को लुभाने की कोशिश करने वालों के खिलाफ कार्रवाई होगी।

स्टूडेंट के लिए निर्धारित न्यूनतम जगह की कमी पर भी रजिस्ट्रेशन रद्द हो जाएगा।

कोचिंग संस्थान किसी भी ऐसे ट्यूटर को अपने यहां नियुक्त नहीं कर पाएंगे जिनके खिलाफ किसी मामले में सजा घोषित की गई हो।

अगर कोचिंग संस्थान में काउंसलिंग की व्यवस्था नहीं होगी तो उन्हें रजिस्ट्रेशन नंबर नहीं दिया जाएगा।

सभी रजिस्टर्ड कोचिंग सेंटर्स को अपनी वेबसाइट पर नियम और शर्तों का पालन करने वाली सभी जानकारियां डिस्प्ले करनी होगी। इनमें कोचिंग में तैनात सभी ट्यूटर्स / शिक्षकों की योग्यता, कोर्सेज, करिकुलम, कोर्स कंप्लीट होने की ड्यूरेशन, अगर छात्रावास है तो वहां मौजूद सुविधा, स्टूडेंट की फी और एक्जिट पॉलिसी व फण्ड रिफंड पॉलिसी, दाखिला लेने वाले स्टूडेंट्स की संख्या के साथ-साथ वहां से निकलने वाले ऐसे स्टूडेंट्स जिन्होंने हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूशंस में दाखिला लिया की पूरी डिटेल वेबसाइट पर डालनी होगी। यह पूरी जानकारी अपने नोटिस बोर्ड पर भी डिस्प्ले करना अनिवार्य होगा। इसमें किसी भी प्रकार के परिवर्तन को वेबसाइट पर तत्काल अपडेट करना होगा जबकि नोटिस बोर्ड पर भी डिस्प्ले करना होगा।

सभी कोचिंग सेंटर्स को राज्य सरकार द्वारा निर्धारित नियमों ,प्रावधानों, शर्तों का पालन करना होगा जबकि जिला प्राधिकरण में रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा।

 

रजिस्टर्ड कोचिंग सेंटर को किन नियमों का पालन करना अनिवार्य होगा  ?

रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन करने वाले सभी कोचिंग सेंटर्स को हलफनामा /अंडरटेकिंग दायर करना पड़ेगा।

कोई भी कोचिंग सेंटर अपने बोर्ड, प्रोस्पेक्टस कॉरेस्पोंडेंस या स्टडी मैटेरियल पर अपने सेंटर के नाम के साथ रजिस्टर्ड कोचिंग सेंटर लिखेगा । उन्हें रिकॉग्नाइज्ड या अप्रूव्ड कोचिंग सेंटर लिखने की अनुमति नहीं होगी।

कोचिंग सेंटर को यूनिवर्सिटी कॉलेज या स्कूल के समय अपनी क्लासेस चलाने की अनुमति नहीं होगी।

सभी कोचिंग सेंटर्स को अपने लिए निर्धारित संख्या में ही स्टूडेंट्स का दाखिला लेने की अनुमति होगी।

रजिस्ट्रेशन रिन्यूअल के लिए आवेदन करने वाले कोचिंग सेंटर्स को अपने चार्टर एकाउंटेंट के द्वारा ऑडिट की गई स्टेटमेंट आफ अकाउंट्स भी जमा करने होंगे।

 

कोचिंग सेंटर कैसे करेंगे स्टूडेंट्स के लिए फीस का निर्धारण :

अलग-अलग प्रकार की कोर्सेस और करिकुलम के लिए किफायती शुल्क निर्धारित करना होगा और इसके लिए स्टूडेंट को रिसिप्ट भी जारी करने होंगे।

सभी कोचिंग सेंटर को अपना प्रोस्पेक्टस प्रिंट करना होगा जिसमें अलग-अलग प्रकार के कोर्सेज व करिकुलम का समय अंतराल, उसके पूर्ण होने की अवधि, क्लासेस की संख्या, लेक्चर्स ट्यूटोरियल के साथ-साथ छात्रावास की सुविधा और निर्धारित शुल्क, इसकी एक्जिट पॉलिसी, फी रिफंड पॉलिसी सहित सभी प्रकार की नियमावली और जानकारियां प्रकाशित करनी होगी. सभी डिटेल कोचिंग केंद्र के बिल्डिंग में प्रमुखता से डिस्प्ले करने होंगे।

प्रोस्पेक्टस क्लास नोट्स और अन्य स्टडी मैटेरियल, कोचिंग सेंटर की ओर से बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के  स्टूडेंट को मुहैया करने होंगे।

अगर किसी स्टूडेंट ने फुल कोर्स का पूरा पेमेंट जमा करा दिया है और कोर्स के बीच में ही वह कोचिंग सेंटर छोड़ना चाहता है तो उसे उसकी आधी फीस 10 दिनों के अंदर लौटनी होगी। अगर स्टूडेंट छात्रावास में रह रहा है तो हॉस्टल फी और मेस फी भी लौटनी होगी।

गाइड लाइन में यह भी कहा गया है कि कोर्स की अवधि के बीच में कोर्स फी बढ़ाने की अनुमति नहीं होगी।

 

कोचिंग सेंटर में इंफ्रास्ट्रक्चर किस लेवल का हो इसको लेकर भी स्पष्ट प्रावधान है   ?

कोचिंग सेंटर को प्रत्येक स्टूडेंट के लिए न्यूनतम एक स्क्वायर मीटर का एरिया आवंटित करना होगा। इसको ध्यान में रखते हुए समुचित इंफ्रास्ट्रक्चर की सुविधा छात्रों की संख्या के अनुरूप रखनी होगी।

सभी कोचिंग सेंटर बिल्डिंग को फायर सेफ्टी कोड्स, बिल्डिंग सेफ्टी कोड और अन्य निर्धारित स्टैंडर्ड का पालन करते हुए फायर और बिल्डिंग सेफ्टी सर्टिफिकेट भी हासिल करना होगा।

स्टूडेंट को आकस्मिक मदद मुहैया करने की दृष्टि से कोचिंग सेंटर में फर्स्ट एड किट और स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करवाने की सुविधा भी रखनी होगी. आकस्मिक स्थिति में रेफरल अस्पताल, डॉक्टर और एमरजैंसी सर्विसेज के साथ-साथ पुलिस हेल्पलाइन, फायर सर्विस हेल्पलाइन और  वीमेन हेल्पलाइन जैसे डिटेल भी बॉर्डर पर डिस्प्ले करने होंगे. इसकी जानकारी सभी स्टूडेंट्स को समय-समय पर देते रहनी होगी।

कोचिंग सेंटर की बिल्डिंग में अच्छी बिजली की व्यवस्था, वेंटीलेशन की सुविधा और पर्याप्त लाइटिंग की व्यवस्था होनी चाहिए।

कोचिंग सेंटर में सभी स्टूडेंट और स्टाफ के लिए शुद्ध पेयजल उपलब्ध करवाने होंगे।

कोचिंग सेंटर में सुरक्षा की दृष्टि से सीसीटीवी कैमरा इंस्टॉल करना आवश्यक होगा।

सभी कोचिंग सेंटर में कंप्लेंन बॉक्स या कंप्लेंन रजिस्टर की व्यवस्था करनी होगी जिसमें स्टूडेंट्स अपनी शिकायतें दर्ज कर सकेंगे. स्टूडेंट की शिकायतों के निवारण के लिए कोचिंग सेंटर को शिकायत निवारण समिति गठित करनी होगी।

कोचिंग सेंटर में छात्र और छात्रों के लिए अलग-अलग वॉशरूम की व्यवस्था करनी होगी।

 

करिकुलम की दृष्टि से किन नियमों का पालन करना होगा ?

प्रोस्पेक्टस में प्रकाशित निर्धारित समय /अवधि में ही कोर्स समाप्त करने होंगे।

कोचिंग क्लासेस का संचालन स्कूल कॉलेज या यूनिवर्सिटी की कार्य अवधि के दौरान चलाने की अनुमति नहीं होगी क्योंकि इससे स्टूडेंट की रेगुलर अटेंडेंस प्रभावित हो सकती है।

अगर किसी स्टूडेंट को एक्स्ट्रा क्लास की आवश्यकता होगी तो ऐसी व्यवस्था कोचिंग सेंटर को करनी पड़ेगी।

सभी कोचिंग क्लासेस के बीच में आवश्यक अंतराल रखना होगा जिससे कि स्टूडेंट्स पर अनावश्यक अतिरिक्त दबाव ना पड़े।

कोचिंग सेंटर्स को स्टूडेंट और ट्विटर के लिए साप्ताहिक अवकाश देना होगा।

कोई भी कोचिंग सेंटर स्टूडेंट के वीकली ऑफ़ के तत्काल बाद के दिन एसेसमेंट टेस्ट या एग्जाम नहीं लेंगे।

कोचिंग सेंटर को संबंधित क्षेत्र के अनुसार लोकप्रिय पर्व, त्यौहार और महत्वपूर्ण दिवसों पर अवकाश रखना होगा. जबकि इसकी व्यवस्था ऐसे करनी होगी जिससे स्टूडेंट अपने परिवार के साथ ऐसे समय व्यतीत कर  सकें।

कोचिंग सेंटर्स को ना ही अर्ली मॉर्निंग और ना ही लेट इवनिंग में क्लास चलाने की अनुमति होगी. साथ ही प्रतिदिन 5 घंटे से अधिक की क्लासेस संचालित करने की अनुमति नहीं होगी।

कोचिंग सेंटर्स को स्टूडेंट के लिए सब्जेक्ट्स के क्लासेस के साथ-साथ काउंसलिंग सेशंस, स्किल ट्रेनिंग, साइंटिफिक टेंपर और एविडेंस बेस्ड थिंकिंग क्रिएटिविटी एंड इन्नोवेटिव, फिटनेस वैलनेस, इमोशनल बॉन्डिंग एंड मेंटल वेल बीइंग, एप्रुपरिएट चैलेंज मोटिवेशन कोलैबोरेशन और टीमवर्क प्रोबलम सॉल्विंग, लॉजिकल रीजनिंग ,एथिकल और मोरल रीजनिंग नॉलेज एंड प्रैक्टिस ऑफ़ ह्यूमन एंड कांस्टीट्यूशनल वैल्यूज, पर्सनल सेफ्टी, फंडामेंटल ड्यूटीज, सिटीजनशिप स्किल्स एंड वैल्यूज नॉलेज ऑफ़ इंडिया एनवायरमेंटल अवेयरनेस, सैनिटेशन एंड हाइजीन से संबंधित काउंसलिंग व प्रशिक्षण की व्यवस्था समय-समय पर करते रहनी होगी।

 

कोचिंग सेंटर्स के लिए कोड आफ कंडक्ट ?

कोचिंग सेंटर्स को प्रत्येक क्लास और बैच के लिए स्टूडेंट्स की संख्या प्रोस्पेक्टस में ही निर्धारित करनी होगी और इसे अपनी वेबसाइट पर भी प्रकाशित करना पड़ेगा। किसी भी परिस्थिति में क्लास या बैच में स्टूडेंट की संख्या कोर्स के बीच में बढ़ाने की अनुमति नहीं होगी।

टीचर और स्टूडेंट के साथ-साथ स्टूडेंट ट्यूटर और काउंसलर्स के बीच बेहतर रिलेशनशिप स्थापित करने के लिए टीचर स्टूडेंट का अनुपात और उसकी आवश्यकता मेंटेन करना होगा। क्लास में स्क्रीन या ब्लैकबोर्ड्स की व्यवस्था सुविधाजनक करनी होगी जिससे स्टूडेंट्स आसानी से देख सके और समझ सके।

सेकेंडरी स्कूल एग्जामिनेशन के बाद ही स्टूडेंट्स का दाखिला कोचिंग सेंटर में होगा। 16 वर्ष से कम उम्र के छात्रों का नामांकन करने की अनुमति नहीं होगी।

स्टूडेंट को कोचिंग सेंटर में नामांकन से पहले परीक्षा की कठिनाइयां, सिलेबस, कोर्सेस की तैयारी और स्टूडेंट को मेहनत करने की आवश्यकता के बारे में अच्छी तरह ब्रीफिंग करनी होगी।

स्टूडेंट के लिए एजुकेशनल एनवायरनमेंट कल्चरल लिविंग रियलिटी और स्कूल लेवल एग्जामिनेशन और कॉम्पिटेटिव एग्जामिनेशन की तैयारी के अंतर को अच्छी तरह समझाने की व्यवस्था करनी होगी।

इंजीनियरिंग और मेडिकल इंस्टिट्यूट में एडमिशन के ऑप्शन के साथ-साथ अन्य दूसरे करियर ऑप्शंस की जानकारी भी स्टूडेंट्स को देनी होगी. जिससे कि बच्चे अपने भविष्य को लेकर तनाव ग्रस्त ना हो और आवश्यकता अनुसार वैकल्पिक क्षेत्र में जा सके।

कोचिंग सेंटर्स नामांकन से पहले मॉक टेस्ट या बच्चों के आकलन के लिए टेस्ट आयोजित कर सकता है. इसके आधार पर बच्चों के इंटरेस्ट और उसकी क्षमता के बारे में उनके अभिभावकों को जानकारी देनी चाहिए जिससे स्टूडेंट सही निर्णय ले सकेंगे।

स्टूडेंट और पेरेंट्स को यह बताना आवश्यक होगा की कोचिंग सेंटर में एडमिशन लेने का मतलब मेडिकल, इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट या अन्य कंपटीशन में सफलता हासिल करने की गारंटी नहीं होगी।

कोचिंग सेंटर को मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल्स की मदद से 15 दिनों में वर्कशॉप्स, सेंसटाइजेशन सेशंस और मेंटल हेल्थ से संबंधित वर्कशॉप आयोजित करना होगा।

कोई भी कोचिंग सेंटर अपने स्टूडेंट के एसेसमेंट टेस्ट का रिजल्ट पब्लिश नहीं करेगा. इसका उपयोग केवल बच्चों के परफॉर्मेंस के आकलन के लिए करेगा। स्टूडेंट के परफॉर्मेंस में गिरावट को देखते हुए उसकी काउंसलिंग करनी होगी।

 

काउंसलर्स और साइकोलॉजिस्ट की व्यवस्था का प्रावधान

राज्य सरकार द्वारा गठित जिला प्राधिकरण या जिला समिति इस बात को सुनिश्चित करेगी की कोचिंग सेंटर में स्टूडेंट और पेरेंट्स के लिए काउंसलिंग की व्यवस्था की गई है । काउंसलर और साइकोलॉजिस्ट के नाम व कांटेक्ट डिटेल के साथ उनके द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली सेवाओं की समय अवधि की पूरी जानकारी स्टूडेंट और पेरेंट्स को समय-समय पर देनी होगी। इसके लिए प्रशिक्षित काउंसलर्स कोचिंग सेंटर में नियुक्त करने होंगे।

कोचिंग सेंटर को अपने पैनल पर करियर काउंसलर भी रखने होंगे जो समय-समय पर स्टूडेंट की रुचि और उसकी क्षमता के अनुरूप उन्हें गाइड कर सके।

पेरेंट्स को भी अपने बच्चों के साथ व्यवहार करने के लिए जागरूक करना होगा. इसके लिए समय-समय पर वर्कशाप आयोजित करना नितांत जरूरी होगा। खासकर स्टूडेंट्स को किसी प्रकार के नशे की लत से दूर रखने की दृष्टि से वर्कशॉप और सेमिनार जरूरी है।

समय-समय पर सब्जेक्ट की ट्रेनिंग और मेंटल हेल्थ इश्यूज को लेकर जागरूक करना पड़ेगा। सेंटर में ग्रुप डिस्कशन, ग्रुप कंपटीशन और प्रोजेक्ट आधारित गतिविधियां चलना जरूरी है।

कोचिंग सेंटर के ट्यूटर्स स्टूडेंट के संपर्क में रहेंगे जिससे कि उनके डॉट्स को आसानी से समय रहते सॉल्व करने में मदद मिले।

 

भेदभाव रहित व्यवस्था व सुविधा उपलब्ध करवाने की शर्तें  :

कोचिंग सेंटर में यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी स्टूडेंट या आवेदक के साथ धर्म, जाति, संप्रदाय, रंग, सेक्स, जन्म स्थान आदि के कारण कोई भेदभाव नहीं हो।

कोचिंग सेंटर में छात्रों दिव्यांग और पिछडा वर्ग के स्टूडेंट की संख्या का अनुपात बढ़ाने की व्यवस्था करनी होगी। सभी कोचिंग सेंटर बिल्डिंग दिव्यांग फ्रेंडली होना चाहिए और वहां दिव्यांग एक्ट 2016 के सभी प्रावधान लागू होने चाहिए।

कोचिंग सेंटर्स को बच्चों के क्लास और बैच को कोर्सेज के अवधि के मध्य में परिवर्तित करने की अनुमति नहीं होगी।

कोचिंग सेंटर संचालक को अपने सभी रिकॉर्ड्स मेंटेन करने होंगे। जिला अथॉरिटी या समिति द्वारा समय-समय पर मांगे जाने पर संबंधित डॉक्यूमेंट दिखाने होंगे। कोचिंग सेंटर को अपनी एनुअल रिपोर्ट संबंधित अथॉरिटी के समक्ष प्रस्तुत करना होगा।

रजिस्ट्रेशन के आवेदन में जिस स्थान पर कोचिंग सेंटर चलाने की जानकारी दी गई हो उस बिल्डिंग में ही कोचिंग क्लासेस चलाने होंगे .बिना अथॉरिटी के परमिशन के उस स्थान को बदलने की अनुमति नहीं होगी।

राज्य सरकार द्वारा अधिकृत एजेंसी, अथॉरिटी या अधिकारी किसी भी समय कोचिंग सेंटर का निरीक्षण करने को अधिकृत होंगे।

 

 शिकायत निवारण की व्यवस्था?

कोचिंग सेंटर में पढ़ने वाले स्टूडेंट, उनके अभिभावक, ट्विटर और कोई भी कर्मचारी, कोचिंग सेंटर के खिलाफ शिकायत संबंधित अथॉरिटी के पास कर सकेंगे. जबकि कोचिंग सेंटर भी स्टूडेंट और पेरेंट्स के खिलाफ शिकायत कर सकेंगे। संबंधित अथॉरिटी शिकायत दर्ज होने के 30 दिन के भीतर इसका निवारण करेंगे. अगर इसके लिए इंक्वारी कमिटी गठित करने की आवश्यकता हो तो इसका अधिकार भी राज्य सरकार द्वारा अधिकृत अधिकारी या प्राधिकरण को होगा।

संबंधित प्राधिकरण या इंक्वारी कमिटी आवश्यकता के अनुसार दोनों पक्षों की सुनवाई करने के बाद आर्थिक दंड या कोचिंग सेंटर का रजिस्ट्रेशन कैंसिल करने का निर्णय ले सकेंगे।

 

दंड का क्या है प्रावधान?

संबंधित अथॉरिटी के पास सिविल कोर्ट का पावर होगा। सिविल प्रोसीजर कोड 1908 के प्रावधान के तहत प्राधिकरण को सभी अधिकार प्रदत्त होंगे।

अथॉरिटी एविडेंस और प्रूफ एफिडेविट के माध्यम से एक्सेप्ट करेंगे।

मामले से संबंधित किसी भी पक्ष को प्राधिकरण की सुनवाई में समन कर सकेंगे और किसी भी व्यक्ति या गवाही को एग्जामिन कर सकेंगे।

सुनवाई के दौरान किसी भी प्रकार के डाक्यूमेंट्स प्रस्तुत करने का आदेश जारी कर सकेंगे। सेंटर संचालक को डॉक्यूमेंट प्रस्तुत करना होगा .निर्णय में प्राधिकरण संबंधित किसी भी पक्ष के लिए शिकायत और सुनवाई का खर्च भी तय कर सकेंगे।

सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन या नियम एवं शर्तों के अलावा किसी भी प्रकार के नियम का उल्लंघन करने वाले कोचिंग सेंटर को पहली बार गलती करने पर ₹25000 का जुर्माना लगाया जाएगा।

दूसरी बार गलती साबित होने पर ₹100000 का जुर्माना लगाया जाएगा जबकि तीसरी बार गलती साबित होने पर कोचिंग सेंटर का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जाएगा।

अगर किसी कोचिंग सेंटर को संबंधित अथॉरिटी की ओर से रजिस्ट्रेशन करने या उसका रिनुअल करने से मना कर दिया जाता है तो वह सरकार द्वारा निर्धारित एपिलेट अथॉरिटी के पास निर्धारित मानदंडों के अनुरूप 30 दिनों के अंदर अपील कर सकेगा।

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