एआई प्रौद्योगिकी से केस विश्लेषण व सूचनाओं का बढ़ा डाटा, आसानी से हो सकता है उपलब्ध
गोपनीयता की रक्षा के लिए अधिक सजग रहने की जरूरत
नई दिल्ली,24 फरवरी। हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग समाज के हर पहलू में बढ़ा है। एआई का लाभ कानूनी प्रणालियों को मजबूत व पारदर्शिता में भी उल्लेखनीय वृद्धि की संभावना को दर्शाता है। इस से त्वरित न्याय मिलने की संभावना बढेगी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जहां सूचनाओं व विशलेषण में मददगार होगा, वहीं इसी से जुड़ी चुनौतियां पर भी विचार मंथन किया जाना चाहिए।
हरियाणा के राज्यपाल श्री दत्तात्रेय शनिवार को नई दिल्ली के डॉ. बीआर अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस: लीगल इम्प्लिकेशन्स एंड चैलेंजेज (कानूनी आशय और चुनौतियां) पर राष्ट्रीय सेमिनार में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। इस कार्यक्रम में केंद्रीय कानून एवं न्याय, संसदीय मामले और सांस्कृतिक राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल, सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति श्री राजेश बिंदल, न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा, भारत के विधि आयोग के चेयरमैन श्री ऋतुराज अवस्थी, डा. बीआर अंबेडकर नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी की कुलपति डा. अर्चना मिश्रा, डीन एकेडमिक अफेयर्स डॉ. आशुतोष ने भी विचार रखे। इस मौके पर राज्यपाल ने पुस्तिका का भी विमोचन किया।
हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि आज टेक्रालॉजी का युग है और हमे टेक्नोलॉजी के साथ ही आगे बढऩा है। टेक्नोलॉजी के साथ रिसर्च पर भी ध्यान केंद्रित करना होगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बढ़ते दौर में गोपनीयता, दायित्व, बौद्धिक संपदा और मानवाधिकार जैसे विभिन्न विषयों में एआई के प्रयोग के बाद कानूनी आशयों और चुनौतियों को भी देखना होगा। एआई प्रौद्योगिकियों की तीव्र प्रगति ने संबंधित कानूनी ढांचे के विकास में बदलाव ला दिया है, जिससे अब जवाबदेही, रेगुलाइजेशन जैसे विषयों पर अब चर्चा कर चिंताए की जाने लगी है। डेटा स्वामित्व, सहमति और पारदर्शिता से संबंधित प्रश्न बहस के केंद्र में हैं, खासकर उन संदर्भों में जहां एआई सिस्टम महत्वपूर्ण परिणामों के साथ स्वायत्त निर्णय लेने की क्षमता रखने लगे है।
राज्यपाल ने कहा कि एआई का प्रयोग समाज के हर पहलू में नजर आने लगा है इसलिए संभावित जोखिमों को कम करने और डिजिटल युग में जवाबदेही सुनिश्चित करते के लिए एआई से जुड़े जटिल कानूनी परिदृश्यों से निपटना अनिवार्य होने लगा है। एआई प्रौद्योगिकियों के एकीकरण से कानूनी प्रणालियों की मजबूती और पारदर्शिता में उल्लेखनीय वृद्धि होने की संभावना है, जिससे त्वरित न्याय वितरण होने में आसानी होगी। एआई-संचालित उपकरण दस्तावेज़ समीक्षा, केस विश्लेषण और अनुबंध प्रबंधन जैसे नियमित कार्यों को स्वचालित करके कानूनी प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित कर सकते हैं, जिससे कानूनी पेशेवरों पर बोझ कम हो सकता है और मुकदमेबाजी का तेजी से निपटान हो पाएगा।
हरियाणा के राज्यपाल ने नौकरियों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ( एआई) के बढ़ते प्रभाव को भी छूते हुए कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस स्वचालन से श्रम बाजार में बदलाव आएगा। कार्यबल को भी उसी अनुरूप फिर से प्रशिक्षित करने की आवश्यकता होगी। इस बदलाव को संभालने के लिए न्यायसंगत तरीके ढूंढना और यह गारंटी देना कि एआई के फायदे पूरे समाज में व्यापक रूप से सांझा किए जाएं, पर ध्यान दिया जाना चाहिए। एआई की पूरी क्षमता को निष्पक्ष और न्यायसंगत तरीके से समझने के लिए नवाचार और व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा और समाज के कल्याण के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता है।
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि जब हम एआई के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श करते हैं, तो हमें कुछ प्रश्नों के उत्तर भी देने की आवश्यकता होती है। यदि कोई एआई नुकसान पहुंचाता है या कोई गलती करता है, तो किसे जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए? यह एक बड़ा कानूनी प्रश्न है जिसका उत्तर दिया जाना आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि एआई प्रौद्योगिकी को नियंत्रित करने के लिए नए कानून बनाने की आवश्यकता हो सकती है। इसमें कानूनी डेटा गोपनीयता, भेदभाव और सुरक्षा मानकों जैसी चीजों को कवर कर सकते हैं।
एआई सिस्टम अक्सर लोगों के बारे में भारी मात्रा में डेटा एकत्र और विश्लेषण करते हैं। लोगों की गोपनीयता की रक्षा के लिए कानून मौजूद हैं, लेकिन एआई के साथ, यदि डेटा का दुरुपयोग किया जाता है या अनुचित तरीके से उपयोग किया जाता है, तो उस गोपनीयता का उल्लंघन होने का जोखिम है। एआई सिस्टम से हैकिंग या हेराफरी के प्रति जवाबदेही को लेकर साइबर सुरक्षा और एआई सिस्टम को दुर्भावनापूर्ण तत्वों से सुरक्षित रखने की कानूनी जिम्मेदारियों के बारे में भी चिंताएं की जानी चाहिए।