दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भरद्वाज ने नकली दवाइयां आपूर्ति करने के आरोप को खारिज किया

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नई दिल्ली : दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भरद्वाज ने दिल्ली के अस्पतालों में कथित नकली  दवाइयां आपूर्ति करने के आरोप को सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने कहा  कि दवाइयों जांच करना और उसे निर्धारित मापदंडों के अनुसार नहीं पाए जाने पर वापस कर उसकी पेमेंट रोकने की नियमित प्रक्रिया है. कोई भी दवाई नकली नहीं है. स्वास्थ्य मन्त्री ने आरोप लगाया कि भाजपा और एलजी के दफ्तर से यह जानबूझ कर अफवाह फैलाई जा रही जिससे दिल्ली के लोगों में आशंका पैदा हो. इससे दिल्ली के लोगों का नुकसान होगा.

स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भरद्वाज ने आज प्रेसवार्ता में कहा कि  मीडिया के माध्यम से ही यह जानकारी मिली कि दिल्ली सरकार के कुछ अस्पतालों के अंदर कुछ दवाइयों के सैंपल्स निर्धारित स्टैंडर्ड के अनुसार नहीं पाए.  यह एलजी साहब  के दफ्तर से मिडिया को खबर दी गई हालांकि मेरे पास उनके आदेश की ऑफिशियल कॉपी नहीं पहुंची थी.  उसके अंदर अलग-अलग सैंपल्स के विषय में बताया गया कि करीब 43 सैंपल्स दिल्ली सरकार के तीन हॉस्पिटल से लिए गए थे. उन 43 सैंपल्स के अंदर पांच सैंपल्स मापदंडों के अनुरूप नहीं पाए गए .

स्वास्थ्य मंत्री भरद्वाज ने जोर देते हुए कहा कि इस आधिकारिक रिपोर्ट के अंदर यही शब्द बार-बार इस्तेमाल किया गया है नोट ऑफ स्टैंडर्ड क्वालिटी. इसमें कहीं भी यह नहीं कहा गया कि यह दवाई नकली है, जहर है या स्प्यूरीयस है . ऐसा कहीं नहीं कहा गया क्योंकि क्योंकि ऐसा था नहीं.

 

उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के लोगों ने यह खबर प्लांट कर दवाई को नकलीबताया गया है.  मैंने विजिलेंस की रिपोर्ट जो एल जी को भेजी गई और उसे एलजी ने सीबीआई को भेजी उसका मैंने अध्ययन किया. उन्होंने कहा कि कुछ डाक्टरों और फार्मासिस्ट से बात करने पर जो जानकारी मिली उससे मुझे बड़ी हैरान करने वाली बातें पता चली .

 

उन्होंने कहा कि जो रिपोर्ट एल जी को भेजी गई उसमें दवाइयों को नोट ऑफ स्टैंडर्ड क्वालिटी का बताया गया है. ये नकली नहीं हैं . इनकी वेट , साल्ट, कंटेंट और इसके घुलने की जांच की जाती है. कुछ में घुलने का मापदंड ठीक नहीं था . इसलिए इसे नकली नहीं कहा जा सकता. इस प्रकार की अफवाहें जानबूझ कर फैलाई गईं हैं.

 

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि दवाइयों के सैम्पल की जांच करने की नियमित प्रक्रिया है. जो मापदंडों के अनुसार नहीं पाई जाती उसके बैच बदले जाते हैं और उसकी पेमेंट रोक डी जाती है. उसके बदले दूसरी दवाईयां सप्लाई के लिए कही जाती है. इससे उक्त दवा कम्पनी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती. यह हमेशा होता रहा है . वही कम्पनियाँ केंद्र सरकार के अस्पतालों और भाजपा शासित राज्यों के अस्पतालों में भी दवाइयों की सप्लाई कर रही हैं.

 

जिन दवाइयों को मापदंड के अनुसार नहीं पाया जाता है तो उनके इस्तेमाल पर रोक लगा दी जाती है. उसका पूरा पूरा बैच कंपनी को वापस कर दिया जाता है. कंपनी के खिलाफ कोई कार्रवाई करना किसी विधान में नहीं है .

 

स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि उन्होंने दिल्ली के सीपीएस से जो रिपोर्ट तलब की तो पता चला कि वर्ष 2022-23  के अंदर 281 सैंपल उठाए गए जिसके अंदर 12 सैंपल नोट ऑफ स्टैंडर्ड क्वालिटी के पाए गए थे . वर्ष 2023-24 के 651 सैंपल उठाए गए जिसमें 20 सैंपल नोट ऑफ स्टैंडर्ड क्वालिटी के पाए गए.

 

उन्होंने कहा कि वे दिल्ली की जनता को आश्वस्त करना चाहते हैं कि अस्पतालों में कोई भी नकली दवा कि सप्लाई नहीं है . भारतीय जनता पार्टी केवल अफवाह फैला कर लोगों को इलाज से वंचित रखना चाहती है .

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