केंद्र सरकार का दावा : ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर में गिरावट का रूख

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नई दिल्ली : सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) द्वारा कराए गए आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के माध्यम से रोजगार और बेरोजगारी पर आंकड़े 2017-18 से एकत्र किए जा रहे हैं। सर्वेक्षण अवधि हर साल जुलाई से जून होती है। नवीनतम उपलब्ध वार्षिक पीएलएफएस रिपोर्ट जुलाई, 2022 से जून, 2023 की अवधि के लिए है। यह जानकारी केन्‍द्रीय श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

नवीनतम उपलब्ध वार्षिक पीएलएफएस रिपोर्ट के अनुसार, 2020-21 से 2022-23 के दौरान 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए सामान्य स्थिति पर अनुमानित बेरोजगारी दर (यूआर) इस प्रकार है:

(% में)

वर्ष ग्रामीण शहरी All India
2020-21 3.3 6.7 4.2
2021-22 3.2 6.3 4.1
2022-23 2.4 5.4 3.2

स्रोत: पीएलएफएस, एमओएसपीआई

आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले कुछ वर्षों में देश में ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में बेरोजगारी दर में गिरावट का रुख है।

रोजगार सृजन के साथ रोजगार क्षमता में सुधार सरकार की प्राथमिकता है। तदनुसार, भारत सरकार ने देश में ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में रोजगार उत्‍पन्‍न करने के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं।

भारत सरकार ने व्यापार को प्रोत्साहन देने और कोविड 19 के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए आत्मनिर्भर भारत पैकेज की घोषणा की है। इस पैकेज के तहत, सरकार ने सत्ताईस लाख करोड़ रुपये से अधिक का वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किया है। इस पैकेज में देश को आत्मनिर्भर बनाने और रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए विभिन्न दीर्घकालिक योजनाएं/कार्यक्रम/नीतियां शामिल हैं।

नए रोजगार सृजन और कोविड-19 महामारी के दौरान रोजगार के नुकसान की बहाली के लिए नियोक्ताओं को प्रोत्साहित करने के लिए आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना (एबीआरवाई) 1 अक्टूबर, 2020 से शुरू की गई थी। लाभार्थियों के पंजीकरण की अंतिम तिथि 31.03.2022 थी। योजना के आरंभ होने से योजना के अंतर्गत दिनांक 23.09.2023 तक 60.47 लाख लाभार्थियों को लाभ प्रदान किया जा चुका है।

सरकार ने 01 जून, 2020 से प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि योजना) लागू कर रखी है ताकि स्ट्रीट वेंडरों को अपने व्यवसाय फिर से शुरू करने के लिए सुरक्षा जमा मुक्त कार्यशील पूंजी ऋण की सुविधा मिल सके, जिस पर कोविड -19 महामारी के दौरान प्रतिकूल प्रभाव पड़ा था। 23.11.2023 तक, योजना के तहत 78.08 लाख ऋण स्वीकृत किए गए।

सरकार द्वारा स्वरोजगार की सुविधा के लिए प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) शुरू की गई। पीएमएमवाई के तहत, 10 लाख रुपये तक सुरक्षा जमा मुक्त ऋण सूक्ष्म/लघु व्यापार उद्यमों और व्यक्तियों को अपनी व्यावसायिक गतिविधियों को स्थापित करने या विस्तारित करने के लिए दिए गए। 17.11.2023 तक, योजना के तहत 44.41 करोड़ से अधिक ऋण खाते स्वीकृत किए गए।

सरकार 2021-22 से शुरू होने वाले 5 वर्षों की अवधि के लिए 1.97 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना कार्यान्वित कर रही है, जिसमें 60 लाख नई नौकरियां पैदा होंगी।

पीएम गतिशक्ति आर्थिक वृद्धि और निरंतर विकास के लिए एक परिवर्तनकारी दृष्टिकोण है। यह दृष्टिकोण सात इंजनों अर्थात्, सड़क, रेलवे, हवाई अड्डे, बंदरगाह, जन परिवहन, जलमार्ग और लॉजिस्टिक अवसंरचना द्वारा संचालित है। यह दृष्टिकोण स्वच्छ ऊर्जा और सबका प्रयास द्वारा प्रेरित है जिससे सभी के लिए बड़े पैमाने पर नौकरी और उद्यमशीलता के अवसर पैदा होते हैं।

भारत सरकार पर्याप्त निवेश और सार्वजनिक व्यय वाली विभिन्न परियोजनाओं जैसे प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी), महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (एमजीएनआरईजीएस), रोजगार सृजन के लिए पं. दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (डीडीयू-जीकेवाई) और दीन दयाल अंतोदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (डीएवाई-एनयूएलएम) जैसी योजनाओं को प्रोत्साहित कर रही है। सरकार ग्रामीण स्वरोजगार और प्रशिक्षण संस्थानों (आरएसईटीआई) के माध्यम से उद्यमिता विकास के लिए ग्रामीण युवाओं को कौशल प्रदान करने के लिए एक कार्यक्रम लागू कर रही है।

इसके अलावा, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) युवाओं की रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) के माध्यम से राष्ट्रीय प्रशिक्षुता संवर्धन योजना (एनएपीएस), प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई), जन शिक्षण संस्थान (जेएसएस) योजना और शिल्पकार प्रशिक्षण योजना (सीटीएस) लागू कर रहा है।

इन पहलों के अलावा, सरकार के विभिन्न प्रमुख कार्यक्रम जैसे मेक इन इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया, स्टैंड-अप इंडिया, डिजिटल इंडिया, सभी के लिए आवास आदि भी रोजगार के अवसर पैदा करने की ओर अग्रसर हैं।

इन सभी पहलों से सामूहिक रूप से राष्‍ट्रीय आय पर प्रभाव के माध्यम से मध्‍यम से लंबी अवधि में रोजगार उत्पन्न होने की उम्मीद है।

 

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