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-दिल्ली में ‘मोटे अनाज का उपयोग, स्वस्थ मानव जीवन व सुरक्षित पर्यावरण’ विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार
-प्रधानमंत्री ने मोटे अनाज को विश्व में दिलाई अलग पहचान,हरियाणा सरकार भी मोटे अनाज को दे रही है बढ़ावा
-बाजरा को बढ़ावा देने के लिए हरियाणा में बनाया जा रहा पोषक-अनाज अनुसंधान केन्द्र-राज्यपाल
नई दिल्ली, 08 नवंबर : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में ‘मोटे अनाज का उपयोग स्वस्थ मानव जीवन व सुरक्षित पर्यावरण’ विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार आयोजित किया गया। इस सेमिनार का समापन समारोह मंगलवार देर सायं आयोजित किया गया जिसमें हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने शिरकत की। इस अवसर पर श्री दत्तात्रेय ने भोजन में मोटे अनाज के उपयोग पर बल देते हुए कहा कि मोटा अनाज सेहत के लिए अत्यंत फायदेमंद है इसलिए इसे अपने दैनिक भोजन में जरूर शामिल करें।
दिल्ली के राजघाट स्थित गांधी दर्शन सभागार में आयोजित इस सेमिनार के समापन समारोह में अपने सम्बोधन में राज्यपाल श्री दत्तात्रेय ने कहा कि हरियाणा सरकार मोटा अनाज विशेषकर बाजरा की पैदावार बढ़ाने पर जोर दे रही है और इस दिशा में किसान को समृद्ध करने के लिए बाजरा को भावांतर भरपाई योजना में शामिल किया गया है। प्रदेश में बाजरा की खेती को बढ़ावा देने के लिए पहले कदम के रूप में, इस वर्ष भिवानी जिला में एक पोषक-अनाज अनुसंधान केन्द्र बनाया जा रहा है। सरकार की योजना बाजरे की खपत को लोकप्रिय बनाने और बाजरे पर आधारित विभिन्न वस्तुओं के बारे में एक रेसिपी बुक लाने की भी है। उन्होंने कहा कि सरकार बाजरे का प्रबंधन, प्रसंस्करण और ब्रांडिंग को बढ़ावा देगी जिससे बाजरा उत्पादक किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी।
राज्यपाल ने बताया कि भारत सरकार के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (एमओएफपीआई) ने 2022-23 से 2026-27 के दौरान 800 करोड़ रूपए के परिव्यय के साथ बाजरा आधारित उत्पादों (पीएलआईएसएमबीपी) को खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी है। उन्होंने बताया कि आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत शुरू की गई प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम उपचारिकीकरण (पीएमएफएमई) योजना वर्तमान में पैतीस राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू की जा रही है।
उन्होंने बताया कि मोटे अनाज का प्रयोग छोड़ देने के कारण देश में कई तरह की बीमारियां बढ़ी है, खासकर शुगर, ब्लड प्रेशर दिल, किडनी, कैंसर जैसी रोगों से ग्रस्त मरीजों की संख्या में बड़े स्तर पर इजाफा हुआ है। राज्यपाल ने कहा कि जब तक भोजन में अनाज नहीं बदलेंगे तो देश का स्वास्थ्य नहीं बदल सकता है, इसलिए मोटे अनाज का प्रयोग हमें बड़े स्तर पर करना होगा।
राज्यपाल श्री दत्तात्रेय ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने मोटे अनाज को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है और संयुक्त राष्ट्र ने भी उनके आग्रह पर मोटे अनाज को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के रूप में घोषित किया है। मोटे अनाज को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने के इस अभियान में केंद्र सरकार की ओर से इसी वर्ष इसे प्रोत्साहित करने का फैसला किया गया है और केंद्र ने एक नई योजना श्रीधान्य की शुरुआत की है।
श्री दत्तात्रेय ने कहा कि पहले सभी के भोजन में मोटे अनाज को शामिल किया जाता था। मोटे और छोटे अनाज ही हमारे भारत का पारंपरिक पौष्टिक आहार रहे हैं। हमारे पूर्वज इसी आहार को खाकर तथा हमारे देशवासी सक्रिय, स्वस्थ्य एवं दीर्घायु जीवन व्यतीत करते रहे हैं। लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बम और गोला- बारूद को बनाने के लिए जो रासायनिक सामग्री उन्नत देशों ने तैयार की थी और जो सामग्री उस समय बच गई, उसी को धान, गेहूं और गन्ना का उत्पादन बढ़ाने के नाम पर भारत जैसे विकासशील देशों में गलत ढंग से प्रचारित किया गया जिसकी वजह से मोटा अनाज हमारे आहार से लुप्त हो गया।
राज्यपाल बोले, बचपन में खाते थे ज्वार की रोटी, मां की शुगर भी हुई ठीक
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने अपने बचपन को याद करते हुए कहा कि 1954 में जब वे बाल्य अवस्था में थे तो उनका परिवार गरीब रहा । माँ हर रोज ज्वार की रोटी खिलाती थी, हम सभी एक स्वस्थ जीवन यापन कर रहे थे। बड़े होने पर शहर जा कर रहने लगे। तब तक मामा जी अफसर बन गये थे। इस से घर में चावल खाने की शुरूआत हुई। चावल लगातार खाने से माँ को शुगर की बीमारी हो गई। मैने देखा कि ज्वार की रोटी छोड़ने से माँ को शुगर की बीमारी हुई। हम सभी ने फिर से ज्वार की रोटी को अपने भोजन में इस्तेमाल करना शुरू किया। ज्वार की रोटी से माँ फिर से स्वस्थ हो गई। मोटे अनाज की यह अहमियत है जो हमे समझने पड़ेगी। पहले ज्वार की रोटी को गरीब और मजदूर वर्ग का भोजन कहा जाता था लेकिन आज ये श्रीधान्य भारत में ही नहीं विदेशों में भी अपनाया जा रहा है।
इस राष्ट्रीय सेमिनार को पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी, पदमश्री डा. खादर वली, पद्मश्री राम बहादुर राय, आर.के. सिन्हा, विजय गोयल, डा. सच्चिदानंद जोशी, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय ने भी संबोधित किया। इस सेमिनार में अनाज के बदलाव से स्वास्थ्य में आई गिरावट पर चर्चा की गई और मोटे अनाज का प्रयोग बढ़ाने पर बल दिया गया।