नई दिल्ली : नीति आयोग ने “विकास और समृद्धि के लिए समावेशी व्यापार” पर एक विषयगत कार्यशाला का आयोजन किया, जिसमें विकास और समृद्धि के लिए समावेशी व्यापार तथा लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं के क्षेत्रों में नई दिल्ली लीडर्स डिक्लेरेशन (एनडीएलडी) के परिणामों की घरेलू पहुंच, स्वामित्व और कार्यान्वयन को व्यापक बनाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया। इस विषयगत कार्यशाला का आयोजन भारत की जी-20 अध्यक्षता वाले शिखर सम्मेलन के तहत नई दिल्ली लीडर्स घोषणा (एनडीएलडी) की अनुवर्ती कार्यवाही के रूप में किया गया था। इसमें सभी के विकास और समृद्धि के लिए मजबूत, टिकाऊ, संतुलित तथा समावेशी व्यापार को अपनाने पर जोर दिया गया था।
नीति आयोग के सीईओ बी.वी.आर. सुब्रमण्यम ने अपने मुख्य भाषण में एक भेदभाव रहित और समावेशी व्यापार प्रणाली की जरूरत पर प्रकाश डाला, जो विकास और समृद्धि के इंजन के रूप में व्यापार को सुविधाजनक बनाती है। इसके अलावा, उन्होंने भारत को वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं (जीवीसी) के साथ एकीकृत और उभरती व्यापार प्रणालियों को तेजी से अनुकूल बनाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
नीति आयोग के सदस्य डॉ. अरविंद विरमानी ने ‘मैपिंग ग्लोबल वैल्यू चेन’ शीर्षक वाले पहले सत्र को संबोधित किया करते हुए श्रम-गहन आपूर्ति श्रृंखलाओं, नीति निर्धारण के लिए संस्थागत कारकों और कराधान प्रणाली को सरल बनाने तथा एमएसएमई के लिए एककृत भुगतान, रिफंड और निर्यात ऋण प्रणाली को विशेष रूप से मजबूत करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। डॉ. विरमानी ने विभिन्न एंटी-डंपिंग मुद्दों से निपटने तथा संभावित भागीदारों के साथ एफटीए को बढ़ावा देने की जरूरत को भी रेखांकित किया।
‘मैपिंग ग्लोबल वैल्यू चेन’ पर अयोजित सत्र में कुशल आपूर्ति श्रृंखला के लिए लॉजिस्टिक्स को मजबूत बनाने, प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए विनिमय दर प्रबंधन, बहुराष्ट्रीय कंपनियों (एमएनसी) के रणनीतिक उपायों का उपयोग, उत्पत्ति के संचयी नियमों का प्रावधान, संभावित प्रतिस्पर्धी खंडों की पहचान, पारदर्शी और पता लगाने योग्य जीवीसी, स्टार्टअप और औद्योगिक नीति को व्यापार नीति के साथ एकीकृत करने जैसे विषयों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
‘विकास के लिए समावेशी व्यापार को बढ़ावा देना’ विषय पर आयोजित दूसरे सत्र की अध्यक्षता नीति आयोग के माननीय सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद ने की। इस सत्र में जिन मुख्य बिंदुओं पर प्रकाश डाला गया, उनमें एलडीसी की क्षमता और बुनियादी ढांचे के विकास को मजबूत करना; गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करना; विशेष रूप से विकासशील और अल्प विकसित देशों में एमएसएमई के लिए व्यापार हेतु सहायता बढ़ाने के लिए संसाधन जुटाना ; बुनियादी ढांचे, कौशल और डेटा स्वामित्व जैसे तीन क्षेत्रों में डिजिटल समावेशन; मानक सेटिंग; तकनीकी प्रगति; पारदर्शिता; और व्यापार प्रणालियों में जलवायु सिद्धांतों का समावेश शामिल हैं।
इस कार्यशाला के समापन सत्र ‘समावेशी व्यापार की चुनौतियों का समाधान’ की अध्यक्षता डब्ल्यूटीओ के पूर्व डीडीजी डॉ. हर्ष वर्धन सिंह ने की। उन्होंने भारत के पारंपरिक निर्यात को बढ़ाने, व्यापार में महिला श्रम शक्ति की भागीदारी बढ़ाने; आपूर्ति श्रृंखला और व्यापार में राज्य/जिला स्तरीय एकीकरण (जिलों को निर्यात केंद्र के रूप में बढ़ावा देना); एमएसएमई के जीवीसी में एकीकरण को सुविधाजनक बनाना; लॉजिस्टिक्स और वित्तीय सहायता; एमएसएमई के लिए सूचना तक पहुंच; पोषक अनाजों को बढ़ावा देने और सेवाओं के निर्यात में तेजी लाने के साथ जलवायु लचीली कृषि; व्यापार के संबंध में दस्तावेज़ों का डिजिटलीकरण; और रीस्किलिंग तथा अपस्किलिंग सहित केंद्रित कौशल विकास पर ध्यान केन्दित करते हुए उन्हें मजबूत प्रदान करने के बारे में ध्यान आकर्षित किया।
नीति आयोग नई दिल्ली लीडर्स डिक्लेरेशन (एनडीएलडी) के प्रमुख एजेंडों पर विषयगत कार्यशालाओं की एक श्रृंखला का आयोजन कर रहा है। इसका उद्देश्य देश के विकास और समृद्धि को गति प्रदान करने के लिए लागू की जाने वाली कार्यशील रणनीतियों और योजनाओं को तैयार करना है। अन्य विषयगत कार्यशालाएं एसजीडी, पर्यटन के लिए रोडमैप, डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा, भारत और अफ्रीकी संघ सहयोग, विकास के लिए डेटा, महिला नेतृत्व विकास आदि विषयों पर केन्द्रित हैं।