प्रमुख 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर होगा मंथन
सुभाष चौधरी /The Public World
नई दिल्ली : देश के प्रमुख 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व गहन मंथन करने वाला है। खबर है कि इसके लिए आज यानी बुधवार को बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक पार्टी मुख्यालय में होने जा रही है। इस महत्वपूर्ण बैठक में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत चुनाव समिति के सभी सदस्यों के शामिल होने की संभावना है। समझा जाता है कि 2023 के अंत में पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टी नेतृत्व अपनी रणनीति पर मंथन करेगा।
हालांकि विधानसभा चुनाव में अभी थोड़ा वक्त है लेकिन देश में सरगर्मियां तेज हो चली हैं। संबंधित राज्यों में भाजपा और कांग्रेस सहित अन्य दलों ने भी अपनी राजनीतिक गतिविधियां बढ़ा दी हैं। शिलान्यास, उद्घाटन और चुनावी वायदे करने का दौर भी चरम पर है। भाजपा और कांग्रेस के सभी बड़े नेता अब तक कई बड़ी राजनीतिक रैलियां कर चुके हैं।
विधानसभा चुनाव से पहले ही भारतीय जनता पार्टी की चुनाव समिति की बैठक होने के साफ संकेत मिल रहे हैं कि पार्टी नेतृत्व इस बार विधानसभा चुनाव में कोई कमी नहीं छोड़ना चाहता है। हालांकि भाजपा चुनाव समिति की बैठक अक्सर चुनाव की घोषणा के बाद केवल प्रत्याशियों के चयन को अंतिम रूप देने के लिए होती रही है लेकिन इस बार समय से पहले सतर्कता बरतने का यह प्रयास चौंकाने वाला है।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि हाल ही में देश में कांग्रेस पार्टी सहित कई क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के साथ इंडिया नामक नया राजनीतिक गठबंधन खड़ा होने के कारण इस बार पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव, 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। एक तरफ एनडीए तो दूसरी तरफ इंडिया एलायंस अपने-अपने सहयोगी दलों के साथ मैदान में उतरने को ताल ठोक रहे हैं।
पूरे 5 वर्ष चुनावी मोड में रहने वाली भारतीय जनता पार्टी के लिए उन पांचों राज्यों में सफलता हासिल करना इस बार बड़ी चुनौती होगी। जाहिर है इस दृष्टिकोण से भाजपा नेतृत्व समय रहते ही अपनी रणनीति को तैयार करने और उसे धरातल पर उतारने की तैयारी में जुट गया है।
कहां जा रहा है कि उन पांचों राज्यों की ऐसी सभी विधानसभा सीटों पर भाजपा चुनाव समिति मंथन करेगी जहां पिछले विधानसभा चुनाव में उन्हें कम मतों से या फिर सर्वाधिक मतों से हार मिली थी। दूसरी तरफ चुनाव के दौरान अलग-अलग दलों की ओर से मतदाताओं को लुभाने के लिए किए जाने वाले लुभावने वादों की भरमार से भी चुनावी स्पर्धा और बढ़ जाती है। इसको लेकर भी भाजपा नेतृत्व पशोपेश में है कि रेवड़ी की राजनीति का क्या इलाज ढूंढा जाए।
राजनीतिक गलियारों में चर्चा इस बात की भी है कि चुनाव समिति संबंधित राज्यों के भाजपा विधायकों के परफॉर्मेंस को लेकर भी आकलन करेगी।
उल्लेखनीय है कि इस वर्ष मिजोरम, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश और तेलंगाना जैसे पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होना निश्चित है. इन राज्यों में से भाजपा को मध्य प्रदेश और मिजोरम में अपनी सत्ता बरकरार रखने की कठिन चुनौती का सामना करना पड़ रहा है वही छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना में अपनी पार्टी को सत्ता में लाने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ेगी। साथ ही भाजपा नेतृत्व 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले होने वाले इन राज्यों के विधानसभा चुनाव में किसी भी प्रकार के पराजय को जोखिम भरा मानकर चल रहे हैं।