– भेंटवार्त्ता के दौरान भारत सरकार के डीएसटी शोध प्रोजेक्ट पर की विस्तृत चर्चा
-प्रोजेक्ट- बिना टच किए डिजिटल एक्स-रे की मदद से कुछ ही पलों में होगी covid-19 जैसे संक्रामक रोगो की पहचान
-जीयू के साथ शोध प्रोजेक्ट पर कार्य करने के उद्देश्य से लैब ,क्लास रूम, एवं प्रयोगशाला का निरक्षण किया
-स्वास्थ्य सेवाओं में आर्टिफिशियल तकनीक का इस्तेमाल होने से बेहतर होंगी देश की स्वास्थ्य सेवाएं : प्रो. दिनेश कुमार
गुरुग्राम, 16 मई। कोविड 19 जैसे संक्रामक रोगो की पहचान के लिए ऑटो इंटेलिजेंस सिस्टम तैयार करने के उद्देशय से एक शोध प्रोजेक्ट पर काम कर रही यूआईईटी संस्थान की शिक्षिका डॉ. रीटा दहिया प्रोजेक्ट के इस विषय पर चर्चा करने और इस दिशा में गुरुग्राम विश्वविद्यालय के साथ मिलकर काम करने की संभावनाओं का पता लगाने के उद्देश्य से मंगलवार 16 मई को गुरुग्राम विश्वविद्यालय पहुंची । जीयू के कुलपति प्रो. दिनेश कुमार और यूआईईटी की शिक्षिका डॉ. रीटा दहिया ने इस विषय पर व्यापक रूप से विचार विमर्श किया ।
आगे उन्होंने जीयू के कुलपति प्रो. दिनेश कुमार से प्रोजेक्ट की आगामी रुपरेखा पर विस्तृत चर्चा की । गुरुग्राम विवि. के साथ इस शोध प्रोजेक्ट पर कार्य करने के उद्देश्य से मलेशिया के संयुक्त विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. नोर आसिदी मत के साथ जीयू के इंजीनियरिंग विभाग का निरीक्षण किया। उन्होंने वहां की लैब ,क्लास रूम, एवं प्रयोगशाला का निरक्षण किया। आगे उन्होंने प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस प्रोजेक्ट में कोरोना महामारी जैसे संक्रामक रोगों की पहचान के लिए ऑटो इंटेलिजेंस सिस्टम तैयार किया जाएगा ताकि संक्रामक रोगों की जाँच के लिए रोगियों के सम्पर्क में आये बगैर कुछ ही पलो में उनकी जाँच हो सके ।
आगे उन्होंने जानकारी दी कि इसके लिए एक्स-रे मशीन के डिजिटल एक्स-रे के साथ कंप्यूटर में ऑटो इंटेलिजेंस सिस्टम को विकसित किया जायेगा बता दे कि पूरे सिस्टम को तैयार करने के लिए भारत सरकार के डीएसटी की एसईआरबी एजेंसी से यूआईईटी की शिक्षिका डॉ. रीटा दहिया को यह शोध प्रोजेक्ट मिला है। इस मौके पर गुरुग्राम विवि के प्रो. दिनेश कुमार ने यूआईईटी की शिक्षिका डॉ. रीटा दहिया के प्रोजेक्ट की तारीफ़ करते हुए कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक द्वारा स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांति आएगी! उन्होंने कहा स्वास्थ्य सेवाओं में अगर तकनीक का इस्तेमाल हो तो महामारी से लड़ने के साथ-साथ देश की स्वास्थ्य सेवाएं और भी बेहतर हो सकती हैं।