जहानाबाद : हालांकि एक पखवारे से बाढ़ का दंश झेल रहे शहरवासियों को अब इससे निजात की उम्मीद लग रही है बावजूद अब भी दर्जनों झोपड़ियों में बाढ़ का पानी भरा हुआ है। स्थानीय साई मंदिर तथा गौरक्षणी के समीप पुलिए पर पानी का तेज धार बह रहा है। इधर जहानाबाद-एकंगरसराय राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 110 पर अवस्थित निजामुद्दीनपुर डायवर्सन पर भी दरधा के पानी का बहाव होने के कारण जिला मुख्यालय का नालंदा जिले से सड़क संपर्क भंग है। हालांकि शुक्रवार की रात नदी में पानी का रफ्तार बढ़ रहा था। जिला प्रशासन द्वारा नदी के किनारे रह रहे लोगों को विशेष सतर्कता बरते जाने की हिदायत दी जा रही थी। ध्वनि विस्तारक यंत्रों के माध्यम से यह कहा जा रहा था कि जिन लोगों का भी मकान नदी के किनारे हैं वे लोग अपने मकान को खाली कर सुरक्षित स्थान पर चले जाएं। शनिवार को सबेरे से हीं शहरवासियों को कुछ राहत मिलने लगी थी। हालांकि पानी काफी धीमी गति से कम रहा है जिसके कारण शहरवासियों की परेशानी दूर नहीं हुई है। इधर जमुने नदी का पानी भी घट रहा है लेकिन खदुमपुर-नवाबगंज मुख्य सड़क पर अभी भी बाढ़ का पानी बह रहा है। शनिवार को भी टेहटा में बाढ़ राहत केन्द्र का संचालन हुआ। वहां नेताओं का आना जाना भी लगा रहा। अब भी प्रशासन बाढ़ की आशंका को देखते हुए इससे निपटने को लेकर तैयार है।
बलदइया मोरहर नरम, गंगहर में उफान
बलदइया, मोरहर एवं गंगहर नदी में आई उफान से जिले के पश्चिमी इलाके की परेशानी बरकरार है। हालांकि शुक्रवार को बलदईया एवं मोरहर के जल स्तर में थोड़ी गिरावट आई है किंतु पुनपुन की शाखा गंगहर की जल स्तर में बढ़ोतरी हो रही है । जिससे जहानाबाद-अरवल मुख्य मार्ग के जहांगीरपुर डायवर्सन में पानी बढ़ गया है। वहीं कनसुआ पंचायत के कुंडिला,खुदाई गोराईया, गपोचक आदि गांव बाढ़ की चपेट में आ गया है। उधर बलदइया नदी के टूटे तटबंधों से पानी का बहाव जारी है। नतीजा नेहालपुर-शकुराबाद पथ पर श्रीविगहा के समीप अइरा-फौलादपुर पथ पर निरपुर के समीप, सेसम्बा-सिकंदरपुर पथ में भगवानपुर के समीप और कखौरा-पोखवां पथ में बिजलीपुर के समीप मुख्य पथों पर पानी का बहाव जारी है। जिससे लोगों को आवागमन में काफी परेशानी हो रही है। लोग मार्ग बदलकर आवागमन करने को मजबूर हैं। बलदईया नदी तट के किनारे मुरहारा,नारायणपुर, पंडौल, सेसम्बा,सिकंदरपुर, नोआवां, नेहालपुर पंचायत के दर्जनों गांव बाढ़ से प्रभावित है। सैकड़ों एकड़ में लगी धान की फसल डूब गई है। किसान त्राहिमाम कर रहे हैं।
चार दिनों से अंधेरे मे डूबे हैं दर्जनों गांव के लोग
चार दिन हो गए, बिजली के दर्शन नहीं हुए। आगे भी बिना बिजली के दिन गुजारने पड़ सकते हैं। बिना बिजली मानों जीवन की गाड़ी ही ठहर सी गई है। इन चार दिनों में बिना बिजली का जो हाल है, वह पिछले एक साल में कभी नहीं हुआ था। सुबह आंख खुलने से लेकर रात गुजरने तक, पल-पल समस्याओं के बीच जीवन की गाड़ी खींची चली जा रही है। खासकर नल के जल का उपयोग करने के आदि हो चुके घरों की स्थिति ज्यादा खराब है। यह स्थिति टेहटा पावर सबस्टेशन से जुडे गांवों की है। ज्यादा असर टेहटा में हो रहा है। जहां बिजली नहीं रहने से पीने के पानी से लेकर सुबह नित्यक्रम की समस्याओं से लोग जूझ रहे हैं। दरअसल टेहटा पावर सबस्टेशन में बाढ़ का पानी आ जाने से मंगलवार के दोपहर से ही विद्युत आपूर्ति काट दी गई है। नतीजा है कि करीब दो दर्जन से अधिक गांवों के लोग बिना बिजली का गुजारा कर रहे हैं। सुबह नींद खुली तो शौच की समस्या, उसके बाद स्नान करने और खाने-पीने की समस्या, रात हुई तो सोने की समस्या। इन सबों में सर्वाधिक पीने के पानी की समस्या से लोग जूझ रहे हैं। दरअसल जिन घरों में मोटर संचालित पेयजल व्यवस्था है वहां बिजली नहीं रहने के कारण पानी की किल्लत हो गई है। मजबूरी में लोग जेनरेटर भाड़ा पर लेकर मोटर चालू कर टंकी भर रहे हैं। लेकिन सवाल है कि एक बार टंकी भरने के बाद एक दिन की समस्या हल हो सकती है। लेकिन यहां तो चार दिन हो गए। जिन घरों में मोटर संचालित नल के साथ चापाकल की व्यवस्था है वहां कुछ हद तक समस्या कम है लेकिन जहां सिर्फ मोटर संचालित नल के जल पर आश्रित है उनके सामने चार दिन ही बहुत भारी पड़ रहे हैं। इधर शनिवार को बिजली विभाग के अधिकारी टेहटा पावर सबस्टेशन का मुआयना करने पहुंचे। उन अधिकरियों के मुताबिक जब तक पानी निकल नहीं जाता है तबतक बिजली आपूर्ति बहाल नहीं की जा सकती है। लोगों का मानना है कि मखदुमपुर पावर सबस्टेशन से तत्काल कुछ क्षेत्रों में बिजली सप्लाई की जा सकती है। मगर विभाग इसपर विचार नहीं कर रहा है। दूसरी ओर जिस तरह से पानी घटने की रफ्तार है उससे ऐसा प्रतीत होता है कि अभी कुछ दिन और अंधेरे में ही रात गुजारनी होगी।