नई दिल्ली : केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय तथा आयुष मंत्री, सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि सरकार 5,000 किलोमीटर के नौगम्य जलमार्गों के साथ पूर्वी ग्रिड विकसित करने की योजना बना रही है। श्री सोनोवाल आज नई दिल्ली में पीएचडीसीसीआई, उद्योग मंडल द्वारा आयोजित दूसरे अंतर्देशीय जलमार्ग शिखर सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
श्री सोनोवाल ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार 5,000 किलोमीटर से अधिक नौगम्य जलमार्गों के साथ पूर्वी ग्रिड विकसित करने की दिशा में बड़े पैमाने पर काम कर रही है। हमें राष्ट्रीय जलमार्ग 1 – गंगा नदी पर किए गए कार्यों के परिणामों से बहुत प्रोत्साहन प्राप्त हुआ है। पूर्वी भारत में नदियों के समृद्ध अंतरजाल को ध्यान में रखते हुए, जिसमें कुछ अंतरराष्ट्रीय मार्गों के साथ-साथ 4 प्रमुख जलमार्ग भी शामिल हैं, हम इस ग्रिड के माध्यम से 5,000 किलोमीटर के नौगम्य जलमार्गों वाली इस विशाल क्षमता को विकसित करने का इरादा रखते हैं। इस ग्रिड का विकास न केवल क्षेत्रीय एकीकरण को बढ़ावा देगा और विकास में तेजी लाएगा बल्कि यह बीबीआईएन देशों (बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल) में पूर्वी भारत के व्यापार को और ज्यादा मजबूती प्रदान करेगा। यह म्यांमार, थाईलैंड, मलेशिया और सिंगापुर जैसे देशों के साथ व्यापार क्षमता को और विकसित करेगा। प्रधानमंत्री मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में हम भारत के पूर्वी क्षेत्र की आर्थिक प्रगति और विकास के लिए व्यापार की इस अपार संभावनाओं का पता लगाना चाहते हैं।”
पीएचडीसीसीआई द्वारा आयोजित दूसरे अंतर्देशीय जलमार्ग शिखर सम्मेलन का विषय “अंतर्देशीय जलमार्गों की क्षमता का दोहन: विकास, व्यापार और समृद्धि को बढ़ावा” है। यह शिखर सम्मेलन उद्यमियों के साथ-साथ सरकार, हितधारक समूहों, व्यावसायिक उद्यमों सहित विभिन्न हितधारकों द्वारा क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण और चिरस्थायी विकास के लिए अंतर्देशीय जलमार्गों की क्षमता का पता लगाने वाला एक मंच है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, “एनडब्ल्यू -1 (गंगा), एनडब्ल्यू -2 (ब्रह्मपुत्र) और एनडब्ल्यू -16 (बराक) के बीच निर्बाध संपर्क के साथ, भारत सरकार बांग्लादेश के माध्यम से भारत के उत्तर पूर्व को शेष भारत से जोड़ने वाले 3,500 किलोमीटर के आर्थिक गलियारे के माध्यम से अवसर उत्पन्न करने के लिए इच्छुक है। यह भारत में विकसित मल्टी-मोडल संपर्क द्वारा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मार्गों पर भूटान और नेपाल को बांग्लादेश से जोड़ देगा। जैसा कि भारत म्यांमार में सितवे बंदरगाह विकसित कर रहा है, क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण, सहयोग और विस्तार को बीबीआईएन – बिम्सटेक – आसियान देशों के बीच सुचारू रूप से चलाया जा सकता है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में हम इस क्षेत्र में अंतर्देशीय जलमार्गों के लिए स्थायी और लंबा नेटवर्क एकीकृत करने की दिशा में काम कर रहे हैं जिससे भविष्य में आवागमन का तैयार मार्ग उपलब्ध कराया जा सके। यह सस्ता, चिरस्थायी और कुशल है। इस परियोजना से इस क्षेत्र के 600 मिलियन से ज्यादा लोगों को लाभ प्राप्त होगा क्योंकि यह इस क्षेत्र में आर्थिक विकास, बाजार तक पहुंच और रोजगार सृजन के लिए विकास के नए इंजन, पूर्वोत्तर भारत को प्रेरित कर सकता है।”
पूर्वी भारत के विकास में तेजी लाने की आवश्यकता पर बल देते हुए श्री सोनोवाल ने कहा, “पूर्वी ग्रिड 49 बिलियन डॉलर की बहुपक्षीय व्यापार क्षमता को अनलॉक कर सकता है क्योंकि सरकार पूर्वी भारत के विकास को तीव्र करने के लिए प्रतिबद्ध है। प्रधानमंत्री मोदी जी ने हमेशा उत्तर पूर्व भारत के सामाजिक आर्थिक पहलुओं को उन्नत और बेहतर बनाने पर विशेष ध्यान दिया है। यह ग्रिड उत्तर पूर्व भारत को देश के विकास का नया इंजन बनाने के हमारे प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को साकार करेगा। यह क्षेत्र दुनिया के सबसे कम एकीकृत क्षेत्रों में से एक है और सरकार टैरिफ और गैर टैरिफ अवरोधों, ट्रांजिट विनियमन, वाहन बेड़े की पारस्परिकता और ऐसी कई तकनीकी अवरोधों को आसान बनाने के लिए सभी हितधारकों के साथ काम करके इसमें बदलाव लाने की इच्छा रखती है।
आर्थिक लाभ के अलावा, यह ग्रिड इस क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय व्यापार मार्गों तक पहुंच प्रदान करने के साथ-साथ पर्यावरण अनुकूल परिवहन के लिए हरित हाइड्रोजन, बिजली, एलएनजी आदि द्वारा संचालित जलवायु लचीलापन भी प्रदान करेगा। मुझे आशा है कि अंतर्देशीय जलमार्गों पर आयोजित यह शिखर सम्मेलन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा परिकल्पित ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ की भावना के साथ पूरे क्षेत्र का विकास करने हेतु एक गहन और स्थायी रणनीतियों का निर्माण करने का मार्ग प्रशस्त करेगा।”
इस कार्यक्रम में संजय बंदोपाध्याय, आईएएस, भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के अध्यक्ष; आर. लक्ष्मणन, आईएएस, पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय में संयुक्त सचिव (प्रशासन, संसद और डीजीएलएल); साकेत डालमिया, पीएचडीसीसीआई अध्यक्ष; संदीप वाधवा, गति शक्ति विकास मंच के अध्यक्ष; अशोक गुप्ता, गति शक्ति विकास मंच के सह-अध्यक्ष; कर्नल सौरभ सान्याल, पीएचडीसीसीआई के सीईओ और महासचिव सहित उद्योग जगत के अन्य प्रमुख सदस्य, नीति समर्थक, उद्योगपति, उद्यमी और अन्य प्रतिष्ठित लोग शामिल हुए।