नई दिल्ली : राहुल गांधी की सदस्यता रद्द करने के मामले पर कांग्रेस और भाजपा आमने सामने है. कांग्रेस पार्टी ने भाजपा पर लोकतंत्र को कमजोर करने का आरोप लगाया है तो भाजपा ने भी प्रति हमला किया है. इसको लेकर भाजपा नेतृत्व भी सक्रिय है. खबर है कि संसदीय कार्य मंत्री और बीजेपी नेता प्रह्लाद जोशी ने राहुल गांधी की सदस्यता रद्द होने वाली खबर आने के बाद शुक्रवार को कुछ प्रमुख ओबीसी नेताओं के साथ बैठक की और इस मामले को जोरशोर से उठाने का निर्देश दिया.
मीडिया की खबरों के अनुसार उक्त बैठक में करीब 15 सांसद शामिल हुए. संसदीय कार्य मंत्री की ओर से उन सांसदों को निर्देश दिया गया कि ओबीसी समुदाय के अपमान के मुद्दे को मीडिया के माध्यम से जोरशोर से उठाया जाए. इसके बाद, शुक्रवार को ही बीजेपी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी इस मसले पर बात की गई. बीजेपी नेता व केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी ओबीसी वाले मुद्दे पर ही कांग्रेस को घेरने की कोशिश की.
प्रेस वार्ता में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि ”कल कांग्रेस पार्टी के सांसद राहुल गांधी के ऊपर मानहानि मामला इसीलिए हुआ कि एक सार्वजनिक सभा में देश के प्रधानमंत्री को जातिवाचक शब्द लेकर गाली देना, अपशब्द कहना. इसी आरोप में जब कोई पिछड़े वर्ग के भाई के मन में इसके कारण प्रतिक्रिया हुई. उन्होंने अपने अधिकार को जाहिर करते हुए न्यायपालिका का दरवाजा खटखटाया. उन्होंने भारत के आईपीसी के तहत संरक्षण मांगा कि भारत आजाद हो चुका है, सामंतवादियों के हाथ में नहीं है, प्रजातंत्र है, इसमें किसी को भी गाली-गलौज करने का अधिकार नहीं है, जातिवाचक शब्द लेकर अपशब्द व्यवहार करने का अधिकार नहीं है, कोई भी है.”
शिक्षा मंंत्री ने कहा कि ”केस अभी तक चल ही रहा था. पक्ष-विपक्ष अपने विषय रख रहे थे. न उसमें सरकार या भारतीय जनता पार्टी से उसमें कोई शामिल था. न्यायपालिका ने बीते कल समाज में तनाव विभेद के आरोप में कांग्रेस पार्टी के सांसद को दो साल की सजा सुनाई. इसमें ओबीसी समाज, जो आज चट्टान की तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व के साथ… देश के एससी-एसटी, वंचित वर्ग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ खड़े हुए हैं. जो उस बयान के माध्यम से केवल एक बार नहीं, अनेक बार… (खड़े हुए हैं)”
एक सवाल के जवाब में धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, ”आज ओबीसी समाज आहत हुआ है. यह स्वाभिमान की बात है, यह एक अस्मिता की बात है. न केवल ओबीसी समाज, देश की सामान्य पृष्ठभूमि के लोगों की कैसे ये सामंतवादी इज्जत करते हैं, ये इसका प्रमाण है. देश में कोई अभियान चलाने की आवश्यकता नहीं है. यह अपने आप में एक प्रसंग बना है, 2019 का चुनाव इस बयान (राहुल गांधी का मोदी सरनेम वाला बयान) के बाद सबसे बड़ा जन अभियान था. यह आगे चलता रहेगा.”
बता दें कि इससे पहले बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी ओबीसी मुद्दे पर कांग्रेस को घेरा. वहीं काग्रेस की ओर से पलटवार में इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने शुक्रवार को कहा कि बीजेपी मुख्य मुद्दे को दरकिनार करने के लिए ऐसा कर रही है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस हमेशा ओबीसी, एससी-एसटी, पिछड़े वर्ग और अल्पसंख्यकों के साथ खड़ी रही है और उनके लिए लड़ी है.