नई दिल्ली। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) और भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय के भाग इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन और सुरक्षा के लिए सोसायटी (एसईटीएस) ने वृहस्पतिवार को डीप टेक क्षेत्र में उपकरणों और उत्पादों के विकास में सहयोग और संयुक्त अनुसंधान एवं विकास करने पर सहमति व्यक्त की।
समझौता ज्ञापन (एमओयू) के अंतर्गत दोनों संगठन साइबर सुरक्षा, आईओटी सुरक्षा, मोबाइल उपकरण सुरक्षा, फाइनेंशियल नेटवर्क स्लाइस सिक्योरिटी और हार्डवेयर सुरक्षा इत्यादि जैसे डीप टेक और उभरते तकनीकी क्षेत्रों में संयुक्त शोध करेंगे।
यह कदम ‘मेक इन इंडिया’ पहल का हिस्सा है और इसका उद्देश्य सूचना और साइबर सुरक्षा पर आत्मनिर्भरता में सुधार लाना और देश के बाहर विकसित उपकरणों पर निर्भरता कम करना है।
दोनों संगठनों के वैज्ञानिक और अधिकारी साइबर सुरक्षा, क्वांटम सुरक्षा और क्रिप्टोग्राफी केंद्रित नवाचारों जैसे क्वांटम रैंडम नंबर जेनरेटर, क्रिप्टो एपीआई लाइब्रेरी, क्वांटम सेफ क्रिप्टोग्राफी आदि के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर काम करेंगे।
तदनुसार, एसईटीएस और यूआईडीएआई के अधिकारियों को न केवल यूआईडीएआई इकोसिस्टम में बल्कि अन्य महत्वपूर्ण आईटी अवसंरचना में भी उपयोग के लिए संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं को प्रस्तावित और कार्यान्वित करने तथा उपकरण/उत्पाद विकसित करने में शामिल किया जाएगा।
सुशासन के उपकरण और भारत के विशाल डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे की नींव के रूप में प्रौद्योगिकी डिजिटल इंडिया पहल का एक अभिन्न अंग रही है। प्रौद्योगिकी को अपनाना और उसका निरंतर उन्नयन यूआईडीएआई के कामकाज का एक प्रमुख तत्व है और साथ ही इसके आधार 2.0 रोडमैप का एक प्रमुख फोकस क्षेत्र है।
यूआईडीएआई ने निवासियों को 1.36 बिलियन से अधिक आधार संख्या जारी की है। प्रतिदिन 70 मिलियन से अधिक आधार आधारित प्रमाणित लेनदेन हो रहे हैं। कल्याण और सुशासन से संबंधित केंद्र और राज्य सरकारों की करीब 1,700 योजनाएं आधार का उपयोग करती हैं।