हरियाणा सरकार ने पहले से लागू पॉलिसी में किया संशोधन
₹15000 तक मासिक आय वाले परिवारों को मिलेगा नई पॉलिसी का लाभ, ₹5 लाख तक बिल आने पर होगा फ्री ईलाज
गुरुग्राम के फोर्टिस, मेदांता & आर्टेमिस अस्पताल हैं पालिसी के दायरे में
गरीबों के लिए करने होंगे 20% बेड आरक्षित
बीपीएल परिवारों के लिए अस्पताल में बनाना होगा अलग काउंटर
गुरुग्राम, 29 दिसंबर। हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) से जिन प्राइवेट अस्पतालों ने रियायती दरों पर जमीन लेकर अस्पताल बनाए हैं, उन्हें गरीबों को मुफ़्त या बहुत ही रियायती दरों पर इलाज की सुविधा मुहैया करवानी होगी। इसके लिए राज्य सरकार ने पहले से बनी है पॉलिसी में संशोधन करते हुए अस्पतालों के लिए पॉलिसी की पालना अनिवार्य कर दी है। अब ₹15000 तक मासिक कमाने वाले परिवार इस सुविधा का लाभ ले पाएंगे जबकि पहले मासिक आय की सीमा ₹5000 निर्धारित थी और पॉलिसी को कड़ाई से लागू भी नहीं किया जा रहा था।
अब राज्य सरकार ने ना केवल पॉलिसी में संशोधन किया है बल्कि उसकी पालना के लिए अस्पतालों को बाध्य भी किया जाएगा। नई पॉलिसी के अंतर्गत गुरुग्राम के 3 बड़े नामी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल भी आते हैं जिनमें आर्टेमिस, फॉर्टिस तथा मेदांता द मेडिसिटी शामिल हैं। नई पॉलिसी को लागू करने को लेकर गुरुग्राम के उपायुक्त श्री निशांत कुमार यादव ने इन तीनों अस्पतालों के प्रतिनिधियों और अन्य संबंधित अधिकारियों की एक बैठक गुरुग्राम के लघु सचिवालय में बुलाकर उन्हें इस पॉलिसी के बारे में अवगत करवाते हुए इसे अनिवार्य रूप से लागू करने की राज्य सरकार की मंशा भी स्पष्ट कर दी है।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए उपायुक्त श्री यादव ने बताया कि हरियाणा प्रदेश में एचएसवीपी से रियायती दरों पर जमीन लेकर बनाए गए प्राइवेट अस्पतालों को अब गरीब परिवारों को मुफ्त या बहुत ही रियायती दरों पर ईलाज की सुविधा देनी होगी। उन्होंने बताया कि सभी स्रोतों से जिस परिवार की मासिक आय ₹15000 तक है, वे इस सुविधा का लाभ प्राप्त करने के पात्र हैं। नई पॉलिसी की जानकारी देते हुए डीसी श्री यादव ने बताया कि मेदांता-द मेडिसिटी जैसे सुपर स्पेशलिटी अस्पताल को अपनी कुल बेड की क्षमता के 20% बेड गरीबों के लिए आरक्षित करने होंगे। इस श्रेणी में दाखिल हुए मरीज का यदि ₹5 लाख तक आता है तो उसका इलाज बिल्कुल फ्री होगा और यदि बिल की राशि ₹5 लाख से ₹10 लाख रुपए के बीच है तो मरीज से सामान्य चार्जिज का 10 प्रतिशत ही लिया जाएगा। यदि बिल की राशि ₹10 लाख से ज्यादा है, तो नॉर्मल चार्जिज का 30% ही लिया जाएगा। इन अस्पतालों में ओपीडी में आने वाले मरीजों में भी 20 प्रतिशत सेवाएं समाज के आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के लिए होनी चाहिएं।
उपायुक्त श्री यादव ने इन प्राइवेट अस्पतालों के प्रतिनिधियों से कहा कि वे अपने अस्पताल में गरीब परिवारों अर्थात बीपीएल, ईडब्ल्यूएस परिवारों के लिए अलग से काउंटर बनाएं और जहां मरीज को दिखाना है वहां भी इनकी लाइन अलग हो ताकि इन परिवारों से संबंधित मरीजों को अपना इलाज करवाने में कोई कठिनाई ना हो। यदि कोई बीपीएल मरीज उपलब्ध नहीं है तो गरीबों के लिए आरक्षित बेड पर सामान्य मरीज को दाखिल किया जा सकता है लेकिन जैसे ही बीपीएल या ईडब्ल्यूएस श्रेणी का कोई मरीज आएगा तो वह बेड खाली करवाना पड़ेगा। उनके लिए अस्पताल में जेनेरिक दवाओं की भी व्यवस्था हो। इस श्रेणी के अंतर्गत मुख्यमंत्री हरियाणा, स्वास्थ्य मंत्री, सिविल सर्जन या जिला का नोडल अधिकारी, उपायुक्त एवं जिला रेड क्रॉस सोसाइटी के अध्यक्ष की स्वीकृति से जिला रेड क्रॉस सोसाइटी इन अस्पतालों को इलाज के लिए मरीज रेफर करेंगे। इसके अलावा, आयुष्मान भारत, चिरायु कार्ड तथा बीपीएल कार्ड धारक व्यक्ति सीधे भी अस्पताल में इलाज के लिए जा सकते हैं। आपात स्थिति में मरीज के इलाज को प्राथमिकता दी जाएगी और कागज कार्यवाही बाद में की जाएगी। उपायुक्त श्री यादव ने बताया कि इस नई पॉलिसी की पालना के लिए एचएसवीपी द्वारा एक पोर्टल भी बनाया जा रहा है। पोर्टल बनने के बाद अस्पताल में बीपीएल या गरीब परिवार से संबंधित मरीज के दाखिल होते ही उसका विवरण पोर्टल पर अपलोड करना होगा। यहां तक कि मरीज को दिए गए फाइनल बिल की प्रति भी अस्पताल प्रबंधन को पोर्टल पर अपलोड करनी होगी। मरीजों को इस श्रेणी में इलाज की सुविधा प्राप्त करने के लिए अपना बीपीएल कार्ड, आधार कार्ड, परिवार पहचान पत्र या आयुष्मान भारत कार्ड दाखिल होने के 24 घंटे के भीतर प्रस्तुत करना होगा। ऐसा नहीं करने पर मरीज को इस पॉलिसी के अंतर्गत सुविधा का पात्र नहीं माना जाएगा।
उन्होंने कहा कि पॉलिसी की पालना सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने मॉनिटरिंग कमेटी का गठन कर दिया है, जो समय-समय पर इन अस्पतालों का दौरा करेगी। इस कमेटी का चेयरमैन एचएसवीपी प्रशासक को बनाया गया है जबकि जिला रेड क्रॉस सोसाइटी के अध्यक्ष एवं उपायुक्त या उसका कोई प्रतिनिधि और सिविल सर्जन को सदस्य बनाया गया है ।एचएसवीपी के संपदा अधिकारी को इस मॉनिटरिंग कमेटी का सदस्य सचिव नामित किया गया है।
गुरुग्राम में नियुक्त चीफ प्रोटोकोल ऑफीसर वत्सल वशिष्ठ को इस कार्य के लिए ज़िला में नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।
डीसी श्री यादव ने बताया कि पॉलिसी का उल्लंघन पाए जाने पर एचएसवीपी के नियमों के तहत मॉनिटरिंग कमिटी की संस्तुति पर संपदा अधिकारी अस्पताल को आवंटित प्लॉट रिज्यूम यानी वापिस लेने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए सक्षम होगा। सिविल सर्जन डॉक्टर वीरेंद्र यादव ने बताया कि पिछले पाँच साल के दौरान गुरुग्राम के इन तीन अस्पतालों में लगभग 650 मरीज़ों को लाभ दिया गया है। इनमें मेदांता में 133, फोर्टिस में 267, आर्टमिस में 247 मरीज़ शामिल हैं।