देश में हिंदी भाषा थोपे जाने की आशंका पर फिर बवाल

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नई दिल्ली :  देश में हिंदी को लेकर उत्तर भारत और दक्षिण भारत के राज्यों के बीच फिर विवाद खड़ा हो स्काट है. खबर है कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने इसको लेकर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को एक पात्र लिखा क्र विरोध जताया है. उन्होंने संसदीय राजभाषा समिति की ओर से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी गई रिपोर्ट को लेकर हिंदी भाषा मामले में  पर आपत्ति जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है. उन्होंने अपने पत्र की कॉपी को ट्वीटर  के माध्यम से साझा किया है. उन्होंने ट्वीट में लिखा है कि ऐसे प्रयास केंद्र और राज्य के संबंधों की भावना को खतरे में डालते हैं. उन्होंने पीएम से मांग की है कि 8वीं अनुसूची में सभी भाषाओं को राजभाषा बनाया जाए . उलेल्ख्नीय है कि गृह मंत्री का आज ही सभी भाषाओं को बढ़ावा देने को लेकर भी बयान आया है.

देश में हिंदी भाषा थोपे जाने की आशंका पर फिर बवाल 2तमिलनाडु के सीएम स्टालिन ने कहा है कि ”मैं माननीय प्रधानमंत्री से अपील करता हूं कि हर संभव तरीके से हिंदी थोपने के केंद्र सरकार के आक्रामक प्रयासों के बाद गैर-हिंदी भाषी राज्यों में उचित आशंका और असंतोष का जायजा लें. ये हमारे संविधान के संघीय सिद्धांतों के खिलाफ हैं.”

 

 

स्टालिन ने पत्र में लिखा है, ”हिंदी थोपने के हाल के प्रयास अव्यावहारिक और चरित्र में विभाजनकारी हैं जो कई मायनों में गैर-हिंदी भाषी लोगों को बेहद नुकसानदेह स्थिति में डालते हैं. यह केवल तमिलनाडु ही नहीं, बल्कि मातृभाषा का सम्मान और कद्र करने वाले किसी भी राज्य को स्वीकार्य नहीं होगा.

गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता वाली राजभाषा समिति ने पिछले महीने 9 सितंबर को रिपोर्ट का 11वां वॉल्यूम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपा था. शाह और समिति के अन्य सदस्यों की ओर से राष्ट्रपति मुर्मू को सौंपी गई रिपोर्ट का कंटेंट सार्वजनिक नहीं है लेकिन तमिलनाडु और केरल के मुख्यमंत्रियों ने इसे लेकर आपत्ति जताई है.

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