नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने पाकिस्तान की सीमा में गलती से ब्रह्मोस मिसाइल दागने के मामले में भारतीय वायुसेना के तीन अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया है. इसको लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत सरकार और भारतीय स्पेस तकनीक व मेंटेनेंस को लेकर बड़ी आलोचना हुई थी. सरकार की ओर से मंगलवार को इस सबंध में उठाये गये क़दमों की जानकरी दी गई. इस मामले पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को घटना के वक्त संसद के दोनों सदनों में बयान देना पडा था जिसमें देश और दुनिया को मुकम्मल व्यवस्था के बारे में आश्वस्त किया गया था. देश में विपक्ष ने भी इसको लेकर सवाल उठाये थे.
एक अधिकारी ने स्पष्ट किया कि , “कोर्ट ऑफ इंक्वायरी ने पाया कि दुर्घटनावश ब्रह्मोस मिसाइल दागे जाने की घटना में तीन अधिकारियों ने मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का पालन नहीं किया. 9 मार्च को ब्रह्मोस फायर किया गया था और मिसाइल पाकिस्तान में गिरी थी.” वायुसेना ने एक बयान में कहा है कि , “ब्रह्मोस मिसाइल गलती से 9 मार्च 2022 को दागी गई थी. इस घटना के लिए जिम्मेदारी तय करने सहित मामले की जांच के लिए गठित कोर्ट ऑफ इनक्वायरी ने पाया कि मानक संचालन प्रक्रिया (SOP)का पालन नहीं करते हुए तीन अधिकारी इस एक्सीडेंटल फायरिंग में शामिल थे.”
जांच रिपोर्ट में इन तीन अधिकारियों को घटना के लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार ठहराया गया है . केंद्र सरकार ने तत्काल प्रभाव से इनकी सेवाएं समाप्त कर दी है. 23 अगस्त 2022 को अधिकारियों की बर्खास्तगी के आदेश जारी किये गए हैं. रक्षा मंत्रालय ने इस घटना को बेहद खेदजनक बताते हुए इसके लिए तकनीकी खराबी को दोषी ठहराया था. यह मिसाइल पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र में 100 किमी अंदर जा कर गिरा था लेकिन जानमाल का नुक्सान नहीं हुआ था. यह मिसाइल उस समय 40 हजार फीट की ऊंचाई पर और ध्वनि की गति से तीन गुना रफ्तार हासिल किए हुए गए था. चूंकि इसमें कोई वारहेड नहीं था, इसलिए इसमें कोई विस्फोट नहीं हुआ और देश एक बड़े विवाद में फंसने से बच गया .