नई दिल्ली : कांग्रेस पार्टी ने आज एक बार फिर देश में सरकारी बैंकों के निजीकरण को लेकर केंद्र कि नरेंद्र मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा किया. कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनाते ने आज पार्टी मुख्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में आर बी आई की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए बैंकों के निजीकरण को लेकर केंद्र सरकार की तीव्र आलोचना की. उन्होंने खुलासा किया कि आर बी आई रिसर्चरस की बुलेटिन में सरकारी बैंकों के निजीकरण को देश की अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक बताया गया था लेकिन सरकार के दबाव में केन्द्रीय बैंक ने रातोंरात अपना स्टैंड लिया. कांग्रेस प्रवक्ता ने मोदी सरकार से इस पूरे मामले पर श्वेत पत्र जारी करने की मांग की.
सुप्रिया श्रीनाते ने कहा कि आर बी आई के रिसर्चरस की रिपोर्ट आर बैंक की बुलेटिन में प्रकाशित हुई थी. उक्त रिपोर्ट में बैंकों के निजीकरण को देश के लिए खतरनाक बताया गया था. इस सम्बन्ध में कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक दिन पूर्व यानी शुक्रवार को ट्विट किया. उनकी ट्विट पे भाजपा के नेताओं कि प्रतिक्रिया तो आई लेकिन इसकी जानकारी मिलते ही आर बी आई ने इस मामले में यू टर्न ले लिया. बैंक ने रातोंरात अपना स्टैंड बदलते हुए उक्त रिपोर्ट की फाइंडिंग से किनारा कर लिया.
आर बी आई के यू टर्न पर कांग्रेस प्रवक्ता सवाल करते हुए कहा कि इससे स्पष्ट है कि यह कदम सरकार के दबाव में उठाया गया. उन्होंने कहा कि जिस आर बी आई की ओर से 1947 के बाद देश में बैंकों के राष्ट्रीयकरण को सबसे महत्वपूर्ण कदम माना गया हो उसे अब अपना मंतव्य क्यों बदलना पड़ रहा है. कांग्रेस नेता ने आरोप लागाया कि केंद्र सरकार के दबाव के कारण RBI जैसी संस्था को अपनी इस रिपोर्ट से ‘यू-टर्न’ करना पड़ा।
उन्होंने खुलासा किया कि सरकार के दबाव के बाद RBI द्वारा एक प्रेस रिलीज जारी की गई जिसमें उन्होंने इस रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया. इससे पूर्व RBI के एक बुलेटिन में साफ तौर पर कहा गया था कि यह जो सरकारी बैंकों का अंधाधुंध निजीकरण चल रहा है, उसके बहुत ज्यादा दुष्परिणाम होंगे.
उन्होंने कहा कि देश में पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति तक बैंकिंग सुविधा पहुंचाने का काम सरकारी बैंकों ने किया है। खेतिहर मजदूर हो या किसान, Priority sector lending हो या Infrastructure lending सबको ऋण पहुंचाने का काम सरकारी बैंकों ने किया है.
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 27 सरकारी बैंक घटकर 12 हो चुके हैं और उसका परिणाम देश भुगतेगा। सरकारी बैंक सिर्फ लाभ कमाने का जरिया नहीं वह – Agents of Change, Agents of Growth और Agents of Development हैं.
सुप्रिया श्रीनाते यह कहते हुए सवाल किया कि हम यह पूछना चाहते हैं कि RBI पर दबाव क्यों बनाना पड़ा ? Reserve Bank of India को ‘Reverse Bank of India’ क्यों बनना पड़ा? . RBI कभी नहीं चाहता था कि नोटबंदी हो लेकिन उसके मना करने के बावजूद केंद्र सरकार ने इस देश पर नोटबंदी थोप दी।
आज भी हम नोटबंदी के कुप्रभाव से उबर नहीं पाए हैं . यह पहली बार नहीं है जब RBI जैसी संस्था को सरकार का दबाव झेलना पड़ रहा है। इस दबाव का सबसे बड़ा दुष्परिणाम नोटबंदी के रूप में याद रखिएगा .
उन्होंने पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की चर्चा करते हुए कहा कि उन्होंने बैंकों के एकाधिकार को तोड़ने का काम किया था. कांग्रेस प्रवक्ता ने पत्रकार वार्ता के माध्यम से सरकार के समक्ष तीन मांगें रखी. उनकी पहली मांग है कि सरकार इस देश के सामने एक व्हाइट पेपर लेकर आए और बताए कि बैंक प्राइवेटाइजेशन के मुद्दे पर उनकी क्या मंशा है?. संस्थाओं पर दबाव बनाने का काम बंद होना चाहिए. साथ ही सरकारी संपत्ति व संस्था को बेचने के पीछे क्या कारण और केंद्र सरकार की क्या योजना है ? इस पर भी सरकार श्वेत पत्र लाये.