नई दिल्ली : आपको जान कर आश्चर्य होगा कि ताइवान को लेकर अमेरिका से चल रही तनातनी के चलते चीन को लड़ाकू विमानों और फाइटर पायलट की कमी से जूझ रहा है. अंतर्राष्ट्रीय मिडिया की खबरों के अनुसार इस स्थिति से निपटने के लिए चीन ने अपने देश में लड़ाकू विमानों का उत्पादन तेज कर दिया है. खबर यह भी है कि चीन सरकार अब अपने फाइटर पायलट की ट्रेनिंग तीन साल में ही पूरा कर उन्हें जंग के मैदान में झोंकने पर उतारू है.
एलएसी पर भारत और साउथ चाइना सी यानी दक्षिण चीन सागर में ताइवान के साथ टू फ्रंट वॉर का सामना चीन को करना पड़ सकता है. पिछले कुछ सप्ताह से इसके लिये चीन पीएलए-वायुसेना को मजबूत करने में लगा है. इसके लिए चीन ने नया प्लान तैयार किया है. दावा किया जा रहा है कि चीन हर साल अब 100 से ज्यादा जे-20 और एफसी-31 लड़ाकू विमानों का उत्पादन करने की तैयारी में है. आपको बता दें कि जे20 चीन का फिफ्थ जेनरेशन यानि पांचवी पीढ़ी का स्वदेशी फाइटर जेट है तो एफसी-31 नेवल फाइटर जेट है. यह चीन के एयरक्राफ्ट कैरियर पर तैनात रहता है.
अमेरिकी रक्षा विभाग (मंत्रालय) यानि पेंटागन की रिपोर्ट की मानें तो चीनी वायुसेना के पास इस वक्त 2800 से ज्यादा एयरक्राफ्ट हैं जिनमें 2250 लड़ाकू विमान हैं. इसके अलावा चीनी एविएशन फोर्स के पास टैक्टिकल बॉम्बर, स्ट्रेटेजिक बॉम्बर और मल्टी-मिशन टैक्टिकल एयरक्राफ्ट भी हैं. हालांकि चीन के पास इस वक्त 800 के करीब फोर्थ जेनरेशन फाइटर जेट हैं लेकिन जे-20 का आंकड़ा ठीक ठीक पता नहीं है. लेकिन रिपोर्ट्स की मानें तो 2025 तक 500 फिफ्थ जेनरेशन एयरक्राफ्ट हो सकते हैं.