इलेक्ट्रिकल व्हेकिल सेक्टर को ग्लोबल लीडर बनने के लिए वित्तीय एवं तकनीकी मदद की जरूरत : निशांत आर्या

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-इंडियन फेडेरशन ऑफ़ ग्रीन एनर्जी ने प्रगति मैदान में आयोजित किया सम्मेलन

-जेबीएम ग्रुप के वाइस चेयरमैन निशांत आर्या थे विशिष्ट अतिथि 

-सम्मेलन में इलेक्ट्रिकल वाहनों के भविष्य का रोड मैप तैयार करने पर हुआ मंथन 

 

सुभाष चौधरी / चीफ एडिटर  

नई दिल्ली :  जे बी एम ग्रुप के वाइस चेयरमैन निशांत आर्या ने कहा कि इलेक्ट्रिकल व्हेकिल सेक्टर के लिए सरकार को वित्तीय एवं तकनीकी संरचनाओं की दृष्टि से मदद मुहैया कराने के लिए आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के बाद बदली परिस्थितियों में पर्यावरण संरक्षण हमारे लिए कितना जरूरी है इसकी जागरूकता हम सब में आई है। हम अपने स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशील हुए हैं और इसलिए आज जीरो एमिशन तकनीक के लिए काम जोर-शोर से शुरू हो गया है। इसमें सोलर एनर्जी , बायोगैस एनर्जी और इलेक्ट्रिकल वाहन जैसे कई विकल्प शामिल हैं । उनका कहना था कि हम भारत और दुनिया में इलेक्ट्रिकल वाहन के लिए भविष्य के रोड मैप पर चर्चा करने जा रहे हैं जो जिससे हमारी तैयारी में मदद मिलेगी . उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में  भारत के पास नेतृत्व करने की क्षमता है इसके लिए विभिन्न पहलुओं पर खास ध्यान देने की जरूरत है.

 

निशांत आर्या  गुरुवार 4 अगस्त को नई दिल्ली स्थित प्रगति मैदान में इंडियन फेडेरशन ऑफ़ ग्रीन एनर्जी की ओर से  इलेक्ट्रिकल वाहनों के भविष्य पर चर्चा को लेकर आयोजित एक महत्वपूर्ण सम्मलेन को विशिष्ट अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे. सम्मलेन का विषय “ इंडियाज ई वी सेक्टर रोड मैप फॉर ग्लोबल लीडरशिप “ ( India’s EV Sector Roadmap for Global Leadership ) था. 

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निशांत आर्या ने अपने संबोधन में  ई वी सेक्टर के लिए फाइनेंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियर, स्किल्ड एंप्लॉई जैसे पहलुओं पर प्रमुखता से काम करने पर बल दिया. उनका कहना था कि इस क्षेत्र के लिए आवश्यक रिसर्च एंड डेवलपमेंट की भूमिका प्राइवेट सेक्टर पर छोड़ने के बजाय सरकार को इस दिशा में कदम आगे बढ़ाना होगा. उनका कहना था कि इसमें बड़े पैमाने पर वित्तीय सहायता की आवश्यकता है जिसको लेकर सरकार को वित्तीय संरचनाओं में प्रावधान बनाने के निर्णय लेने होंगे. 

 

उन्होंने कहा कि जागरूकता पैदा करना पहला कदम है लेकिन विभिन्न वैकल्पिक ऊर्जा  को ध्यान में रखते हुए ई वी सेक्टर  में  भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कैसे नेतृत्व प्रदान कर सकता है इस दिशा में गंभीरता से विचार करने और आवश्यक कदम उठाने की जरूरत है.मैं इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि इस्पेक्टर की डेवलपमेंट में समावेशी विकास कैसे बनाए रखा जाए.हमें पूरे इको सिस्टम को ध्यान में रखकर चलना होगा जिसमें  वृहत उद्योग,  मध्यम एवं लघु श्रेणी के उद्योग  के साथ-साथ स्टार्टअप की भूमिका की महत्वपूर्ण है. इस दृष्टि से  टेक्नोलॉजिकल डेवलपमेंट अहम पहलू है.

 

निशांत आर्या ने कहा कि पिछले दो-तीन वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट को लेकर सरकार और उद्यमी दोनों ने संवेदनशीलता दिखाई है.  इसके सकारात्मक परिणाम बड़े पैमाने पर देखने को मिलने लगे हैं.  जिसने ग्लोबल लीडरशिप हासिल करने  का रास्ता दिखाया है.  इसके साथ ही मेक इन इंडिया,  स्टार्ट अप इंडिया,  डिजाइन इन इंडिया और ट्रेड इन इंडिया  जैसे कदम भी  समान रूप से महत्वपूर्ण है.हमें यह समझना बहुत जरूरी है की इन सुविधाओं एवं स्थितियों का कैसे अधिकतम उपयोग किया जाना है. हमें अपनी रचनात्मकता को धारदार बनाने की जरूरत है.  इलेक्ट्रिकल व्हेकिल सेक्टर को ग्लोबल लीडर बनने के लिए वित्तीय एवं तकनीकी मदद की जरूरत : निशांत आर्या 3

 

ई वी सेक्टर में  अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा की चर्चा करते हुए जेबीएम ग्रुप के वाइस चेयरमैन ने कहा कि चीन, जापान,  यूएस,  जर्मनी और कोरिया इस चित्र में  इन कारणों से लीडिंग पोजीशन में है इसे भी ध्यान में रखना होगा. उन्होंने कहा कि ई वी सेक्टर में हमें सही शुरुआत करने के साथ साथ इसके लिए अनुकूल नीतियां तैयार करनी होगी. के लिए  फ्रेम एक और फ्रेम  दो में उन बातों को रेखांकित करना होगा  जिससे कम से कम उपभोक्ताओं को अपने प्रोडक्ट की गुणवत्ता को लेकर आश्वस्त किया जा सके. उनका कहना था कि हमें दो पहिये , तिपहिये या पब्लिक ट्रांसपोर्ट श्रेणी  उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं का विश्लेषण भी करना चाहिए क्योंकि इन क्षेत्रों में ई वी  के लिए सर्वाधिक संभावनाएं हैं.  उन्होंने ध्यान दिलाया कि इन श्रेणियों आवश्यकताओं में भी बड़ा अंतर है.

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श्री आर्या ने कहा कि  अलग-अलग श्रेणी की इलेक्ट्रिकल वाहनों के लिए चार्जिंग,  बैटरी  और वाहनों में उपलब्ध सुविधाएं अलग-अलग है.  इस को ध्यान में रखते हुए इस क्षेत्र के उद्यमियों को अपनी उत्पादन नीति और व्यावसायिक प्रावधानों में बदलाव करने होंगे.इनके ऑपरेटिव मॉडल  पर ध्यान देने की जरूरत है. 

 

ई वी सेक्टर  एमएसएमई कंपनियों को वित्तीय सहायता देने की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इस दिशा में सरकार  से निर्णय  दिए जाने की अपेक्षा है जिससे कंपनियों को  लागत पूंजी  आसानी से उपलब्ध हो सके.  जहां तक टेक्नोलॉजी का सवाल है इसमें भी बड़े पैमाने पर निवेश की आवश्यकता होती है जिसमें कंपनियों की बजाए सरकार को निवेश करने के लिए आगे आना चाहिए. उन्होंने कहा कि  सरकार का  का अधिकतम होकर  इंफ्रास्ट्रक्चर फैसिलिटी को मजबूत करने पर है लेकिन एनर्जी और ट्रांसपोर्टेशन के बीच संतुलन स्थापित हो इस पर  ध्यान देना होगा.

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उनके अनुसार भारतीय कंपनियों को डिजाइनिंग के लिए भी गंभीर होने की जरूरत है जिससे हम लोकल डिजाइनिंग को ग्लोबल स्तर पर स्थापित कर सकें. ई .वी सेक्टर के लिए अच्छे इंजीनियर, बेहतर टेक्नोलॉजी और स्किल्ड प्रोफेशनल्स कि बड़े पैमाने पर जरूरत है. पूरे इकोसिस्टम को तैयार करने के लिए  यह पहलू भी महत्वपूर्ण है. खासकर लिंग की दृष्टि से भी कंपनियों को आगे आना होगा. उनका कहना था कि इस सेक्टर के लिए  तैयार किए जाने वाले रोड मैप में  यह अवश्य ध्यान रखा जाए कि कैसे हम भारत में इलेक्ट्रिकल वाहनों के माध्यम से जीरो कार्बन एमिशन के लक्ष्य को हासिल कर सकें. हमारी सर्विस और प्रोडक्ट की गुणवत्ता अंतरराष्ट्रीय  स्टैंडर्ड के अनुरूप हो जिससे इसके लिए जरूरी विभिन्न पहलुओं पर  समान रूप से फोकस करना होगा तभी  इलेक्ट्रिकल वाहनों  का उत्पादन करने वाली कंपनियां देश और दुनिया में स्थापित हो सकेंगी.

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