-“मानवता के लिए योग” विषय पर आधारित था विशेष समारोह
-आइकैट की ओफिसियेटिंग डायरेक्टर पामेला टिक्कू ने किया उदघाटन
-योग विशेषज्ञों ने योग को निरोग रहने का मंत्र बताया
-संस्थान के 120 कर्मचारियों ने किया योगाभ्यास
गुरुग्राम : केन्द्रीय भारी उद्योग मंत्रालय के अधीन प्रमुख संस्था इंटरनेशनल सेंटर फॉर ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी की ओर से आजादी का अमृत महोत्सव के तहत 21 जून मंगलवार को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर मानेसर सेक्टर 11 स्थित सेंटर 2 में योगाभ्यास कैम्प व जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. यह विशेष समारोह “मानवता के लिए योग” विषय पर आधारित था. आईकेट की ओर से योग पर आयोजित किया जाने वाला यह 8वां संस्करण था. कार्यक्रम का उदघाटन आइकैट की ओफिसियेटिंग डायरेक्टर पामेला टिक्कू ने राष्ट्रीय ध्वज फहरा कर किया .
इस अवसर पर उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि योग से मन, शरीर और आत्मा एक हो जाते हैं और नियमित रूप से योग करने से तन और मन को बहुत ताकत मिलती है। योग एक दूसरे की मदद करने का नजरिया बनाता है। उन्होंने संस्थान के अधिकारियों व कर्मियों को योग को जीवनशैली के रूप में अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया।
पामेला टिक्कू ने कहा कि योग केवल एक शारीरिक अनुशासन नहीं है। इसके द्वारा हम अपने अंदर नैतिकता का विकास करते हैं और हमारी बुद्धि भी तीव्र होती हो जिससे हमारी उत्पादकता भी बढ़ती है । योग निरोग रहने का मंत्र है।
उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी के अथक प्रयास से आज यह दुनिया में अपनाया गया और करोड़ों लोग इसे नियमित कर इसका लाभ ले रहे हैं.
इंटरनेशनल सेंटर फॉर ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी मानेसर के कैम्पस में आयोजित इस कैम्प में संस्थान के 120 कर्मचारियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया. आइकैट की ओफिसियेटिंग डायरेक्टर पामेला टिक्कू ने योगाभ्यास किया. सभी ने बड़े मनोयोग के साथ योगाभ्यास किया. योग सत्र को आंतरिक योग विशेषज्ञ सिद्धार्थ त्रिपाठी और आशीष सिंह ने निर्देशित किया ।
उन्होंने शुरू में योगिक अभ्यासों का व्यक्तियों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव को विस्तार से समझाया. उसके बाद,आसनों के प्रदर्शन के साथ अभ्यास सत्र आयोजित किया गया.प्रतिभागियों को केन्द्रीय आयुष मंत्रालय द्वारा जारी सामान्य प्रोटोकॉल के अनुसार योगासन
से परिचित कराया गया. योग विशेषज्ञों ने वर्तमान परिस्थिति में योग को अपनाने पर बल दिया. उन्होंने योग को अपनी दिनचर्या में नियमित तौर पर शामिल करने की प्रेरणा दी. उनका कहना था कि इससे शरीर स्वस्थ तो रहता ही है साथ ही हमारी काम करने की उर्जा शक्ति भी प्रबल रहती है.
उन्होंने महर्षि पतंजलि द्वारा बताये गए अष्टमार्ग की भी व्याख्या की. उन्होंने बताया कि महर्षि पतंजलि ने यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि बताया है। यम के द्वारा हम अपने अंदर नैतिकता का विकास करते हैं। नियम के द्वारा शुद्द आत्मिक आचरण करते हैं, आसन के द्वारा उन शारीरिक क्रियाओं का संचालन करते हैं जो हमारे शरीर को स्वस्थ रखती है। जब हम प्राणायाम करते हैं तो अपनी श्वास के माध्यम से हम अपने शरीर की भावनाओं का नियंत्रण करते हैं। उन्होंने बताया कि समाज के सभी आयु श्रेणी के लोगों के लिये है। उन्होंने कहा कि योग और सूर्य नसम्कार की क्रिया से स्वास्थय को अच्छा रखने का संकल्प न केवल व्यक्तिगत रुप से बल्कि समाज के लिये भी आवश्यक है।