केन्द्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बर्लिन में भारतीय छात्रों से की मुलाक़ात

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केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारतीय स्टार्टअप और बर्लिन में पोस्ट डॉक्टर, डॉक्टरेट और मास्टर डिग्री करने वाले छात्रों से प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार द्वारा शुरू किए गए विभिन्न फेलोशिप, संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रमों और पेशेवर विकल्पों का लाभ उठाने की अपील की

डॉ. जितेंद्र सिंह प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के जर्मनी दौरे के पहले चरण के हिस्से के रूप में बर्लिन में हैं; उन्होंने भारतीय स्टार्ट-अप्स, छात्रों और युवा पेशेवरों के साथ बातचीत की तथा उन्हें एसटीआई, मेडिकल, कृषि और स्वास्थ्य क्षेत्र में भारत में अत्याधुनिक अनुसंधान के अवसरों से अवगत कराया

नई दिल्ली /बर्लिन :  केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज जर्मनी पहुंचने के तुरंत बाद बर्लिन में भारतीय स्टार्ट-अप, छात्रों और युवा पेशेवरों के साथ बातचीत की। डा. सिंह प्रधानमंत्री के आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं।

डॉ. जितेन्‍द्र सिहं ने प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा शुरू की गई विभिन्न फेलोशिप, संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रमों और पेशेवर विकल्पों का लाभ उठाने की अपील की। उन्होंने भारतीय छात्रों, जिनमें से कुछ पोस्ट डॉक्टर, डॉक्टरेट और मास्टर डिग्री कर रहे हैं, को विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार में अत्याधुनिक शोध करने के लिए देश के अनोखे व नए अवसरों का लाभ उठाने को कहा।

 

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जो छात्र यहां पोस्ट डॉक्टर का काम कर कर रहे हैं और वापस लौटना चाहते हैं, वे सभी क्षेत्रों में शोधकर्ताओं के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा रामानुज फैलोशिप तथा जैव प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य विज्ञान, कृषि विज्ञान के में शोधकर्ताओं के लिए जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा रामलिंगास्वामी फैलोशिप के लिए आवेदन कर सकते हैं। उन्‍होंने कहा कि ये दोनों फेलोशिप 3 साल का तत्काल प्लेसमेंट प्रदान करते हैं, जिसे और 2 साल के लिए बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह भारत में एक अकादमिक/अनुसंधान संगठन में अपनी योग्यता साबित करने और उसमें संलग्न होने के लिए पर्याप्त अवधि है।
जर्मनी के संघीय चांसलर श्री ओलाफ स्कोल्ज के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के दौरे के पहले चरण में जर्मनी दौरे के हिस्से के रूप में डॉ. जितेंद्र सिंह अपने जर्मन समकक्षों के साथ परामर्श करने के लिए बर्लिन में हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी बताया कि डीएसटी विभिन्न स्तरों पर इंस्पायर फेलोशिप प्रदान करता है, जिसमें डॉक्टरेट और पोस्ट-डॉक्टरल दोनों शामिल हैं। यह एक अकादमिक संगठन में पांच साल का असाइनमेंट है, जहां कोई अकादमिक और शोध असाइनमेंट ले सकता है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी रेखांकित किया कि इंडो-जर्मन साइंस एंड टेक्नोलॉजी सेंटर (आईजीएसटीसी) ने नियोजन के लिए जोड़ीदार फैलोशिप (भारत और जर्मनी में युवा वैज्ञानिकों को एक जोड़ी बनाने की जरूरत है), जारी परियोजनाओं में महिला शोधकर्ताओं के नियोजन के लिए विज्ञान, शिक्षा और अनुसंधान में महिलाएं (डब्ल्यूआईएसईआर) और जर्मन औद्योगिक इकोसिस्टम में भारतीय छात्रों को एक्सपोजर प्रदान करने के लिए औद्योगिक फैलोशिप जैसी कुछ फेलोशिप की पेशकश की है।

इसके अलावा, श्री सिंह ने बताया कि भारत और जर्मनी के कई जर्मन संगठनों के साथ द्विपक्षीय कार्यक्रम हैं, जिनमें शिक्षा और अनुसंधान मंत्रालय (बीएमबीएफ), जर्मन एकेडमिक एक्सचेंज प्रोग्राम (डीएएडी) और जर्मन रिसर्च फाउंडेशन (डीएफजी) शामिल हैं। उन्होंने कहा कि ये कार्यक्रम भारतीय और जर्मन संगठनों के बीच 3-5 साल के अनुसंधान सहयोग के अवसर प्रदान करते हैं। अगर कोई वर्तमान में किसी जर्मन संगठन में काम कर रहा है और उसके प्रोफेसर के पास इनमें से किसी भी कार्यक्रम के तहत एक सहयोगी परियोजना है, तो जर्मनी में कार्यरत होने पर भी आपको भारतीय संगठनों के साथ काम करने का अवसर मिल सकता है।
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इसी तरह, डॉ. जितेंद्र सिंह ने वज्र, ज्ञान, स्पार्क जैसे अन्य अवसरों के बारे में भी बताया और कहा कि इन कार्यक्रमों के तहत, भारतीय तथा सहयोगी संस्थानों के बीच अंतर-संस्थागत गतिविधियों का विकास किया जाता है और इन सभी गतिविधियों में युवा छात्रों की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाता है। दो अन्य योजनाएं हैं: मेडिकल के छात्रों के लिए आईसीएमआर इंटरनेशनल फेलोशिप और कृषि के छात्रों के लिए आईसीएआर इंटरनेशनल फेलोशिप।

जर्मनी में हमारे विज्ञान परामर्शदाता भारत के दूतावास की एक पहल, जर्मनी में भारतीय छात्रों (आईएसजी) के माध्यम से भारतीय छात्र समुदाय के साथ बातचीत में सक्रिय रूप से शामिल हैं। दूतावास उन तक पहुंचने के लिए जर्मनी में भारतीय छात्रों और शोधकर्ताओं का एक डेटाबेस रखता है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने आखिर में कहा कि भारत और जर्मनी के बीच सहयोगी अनुसंधान, प्रौद्योगिकी साझेदारी और उच्च शिक्षा सहयोग का एक लंबा इतिहास रहा है। भारत-जर्मन विज्ञान और प्रौद्योगिकी साझेदारी पिछले कुछ वर्षों में बड़े पैमाने पर बढ़ी है और उच्च स्तरीय राजनयिक दौरों से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग को और बढ़ावा मिला है।

मंत्री महोदय ने याद दिलाया कि नवंबर 2019 में चांसलर मर्केल के दिल्ली दौरे के दौरान, जर्मनी और भारत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में एक संयुक्त अनुसंधान कार्यक्रम स्थापित करने पर सहमत हुए थे। उन्होंने उच्च शिक्षा में इंडो-जर्मन साझेदारी को अगले चार वर्षों के लिए बढ़ाने का भी निर्णय लिया, जिसमें प्रत्येक का योगदान 35 लाख यूरो था।

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