नई दिल्ली : कई अंतरराष्ट्रीय सर्वे (International Survey) में भारत को रहने के लिहाज से दुनिया के बेहतर देशों में गिना गया है, लेकिन हैरान करने वाली बात है कि पिछले 7 सालों में साढ़े 8 लाख से ज्यादा लोगों ने भारतीय नागरिकता (Indian Citizenship) छोड़ दी है. यह जानकारी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने मंगलवार 14 दिसंबर को लोकसभा (Parliament) में दी. उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय के डाटा के अनुसार, 30 सितंबर 2021 तक 8,81,254 नागरिकों ने भारत की नागरिकता छोड़ दी.
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने इससे पहले 1 दिसंबर को संसद में कहा था कि पिछले 7 सालों में 20 सितंबर तक 6,08,162 भारतीयों ने नागरिकता छोड़ दी थी. इसमें से 1,11,287 नागरिकों ने इसी साल 20 सितंबर तक अपनी भारतीय नागरिकता का त्याग किया है.
2016 से 2020 के बीच 10 हजार से ज्यादा लोगों ने ली भारत की नागरिकता
राय ने कहा था कि 2016 से 2020 के बीच 10,645 विदेशी नागरिकों ने भारत की नागरिकता के लिए आवेदन किया था. इनमें ज्यादातर पाकिस्तान से 7782 और अफगानिस्तान से 795 नागरिक शामिल थे. वहीं वर्तमान में करीब 1 करोड़ भारतीय नागरिक विदेशों में रह रहे हैं
भारतीय नागरिकता से जुड़ा यह डाटा उस वक्त आया है जब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस बात की घोषणा की है कि देशव्यापी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन को लेकर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है. हालांकि केंद्र सरकार ने कहा है कि वे सभी लोग जो नागरिकता कानून संशोधन अधिनियम के दायरे में आते हैं वे लोग भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं. नागरिकता संशोधन कानून 10 जनवरी 2020 से अस्तित्व में आ गया है. बता दें कि सीएए और एनआरसी को लेकर देशव्यापी प्रदर्शन हुए थे. विरोध प्रदर्शन के चलते फरवरी 2020 में दिल्ली के कुछ इलाकों में दंगे हो गए थे
दरअसल नागरिकता संशोधन कानून के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और क्रिश्चिचन लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है. हालांकि विपक्षी दलों ने इस कानून को असंवैधानिक करार देते हुए इसका विरोध किया था.