-दो सालों की नकारात्मकता को पीछे छोड़ नए सिरे से जीने के आत्मबल से सराबोर हुए श्रोता
-एक दर्जन गायक-गायिकाओं की बेहतरीन गायकी ने लोगों को ख़ुशी के सैलाब में डुबो दिया
-अपनी उम्र को दरकिनार कर खूब थिरके सीनियर सिटीजन
– गुरुग्राम सेक्टर 44 स्थित अपरेल हाउस के ऑडिटोरियम में आयोजित “ बहारें फिर से आएँगी” कार्यक्रम
सुभाष चौधरी
गुरुग्राम : दिल्ली एनसीआर में दो दशक से भी अधिक समय से सीनियर सिटीजन एवं संगीत प्रेमियों के जीवन में खुशियां बिखेरने वाली सामाजिक संस्था “ ग्लोबल कल्चरल फाउंडेशन, गुरुग्राम ” कोविड-19 के काले बादलों को धता बताते हुए एक बार फिर मैदान में है. लगभग 2 वर्ष बाद संस्था की ओर से रविवार शाम को लोगों में हैप्पीनेस इंडेक्स बढ़ाने वाले बॉलीवुड के मधुर गीतों से भरे कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें प्रसिद्ध गायक कर्नल आर सी चड्ढा के निर्देशन में 1 दर्जन से अधिक गायक-गायिकाओं ने अपनी बेहतरीन गायकी से लोगों को ख़ुशी के सैलाब में डुबो दिया.पुराने गीतों पर महिला हो या पुरुष सभी जमकर थिरके और एकबारगी पिछले दो सालों की नकारात्मकता को पीछे छोड़ नए सिरे से जीने के आत्मबल से सराबोर हुए . इस ख़ास संगीतमय आयोजन की मुख्य अतिथि, ब्लू बेल्स ग्रुप ऑफ़ स्कूल्स की निदेशक एवं संस्थापक डॉ सुमन गुलाटी थी जबकि गुरुग्राम सहित एन सी आर के अन्य शहरों के सीनियर सिटिजन बड़ी संख्या में संगीत का लुत्फ़ उठाने पहुंचे थे. सेक्टर 44, गुरुग्राम स्थित अपरेल हाउस के ऑडिटोरियम में आयोजित “ बहारें फिर से आएँगी” कार्यक्रम का मुख्य सहयोगी “ओरना, डाउन टाउन ” प्रबंधन था जिनका इस आयोजन को सफल बनाने में पूरा सहयोग मिला .
भारतीय परम्परा के अनुरूप सुर साधकों की इस शाम का आरम्भ दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया और एक से बढ़ कर एक परफॉर्मेंस देखने और सुनने को मिले . कोरोना प्रोटोकाल का पालन करते हुए इस कार्यक्रम में आरंभ से ही ऐसा लगा जैसे गुरुग्राम में वास्तव में बहारें फिर से आ गई हों और लोग जीवन की मुख्यधारा में पुनः लौट चुके हैं. एनसीआर के प्रमुख गायक एवं गायिकाओं ने दर्शकों को लगभग 3 घंटे से अधिक समय तक बांधे रखा जबकि संगीत की मधुरता ने जमकर तालियां भी बजवाई.
उल्लेखनीय है कि प्रसिद्ध सामाजिक संस्था ग्लोबल कल्चरल फाउंडेशन की ओर से इस प्रकार के आयोजन नियमित तौर पर किए जाते रहे हैं. संस्था के अध्यक्ष कर्नल आरसी चड्ढा दिल्ली एनसीआर के, “के एल सहगल” के रूप में जाने जाते हैं क्योंकि इस क्षेत्र में उनकी दमदार गायकी के लाखों दीवाने हैं. उनकी कोशिश हमेशा लोगों को संगीत की ओर आकर्षित करने की रहती है. कर्नल चड्ढा मानते हैं कि यह एकमात्र सशक्त माध्यम है जिसके सहारे लोग विषम से विषम परिस्थितियों को आसानी से झेल सकते हैं जबकि अपने आत्मबल को मजबूत रख सकते हैं. यह कहना सही होगा कि अपने लंबे सैनिक सेवा से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने लोगों में संगीत का संचार करना अपने जीवन का मुख्य ध्येय बना लिया है. कोरोना काल में भी उन्होंने ऑनलाइन माध्यम से लोगों तक संगीत को पहुंचाने की कोशिश जारी राखी थी और अब एक बार फिर फिजिकल प्लेटफार्म पर शहर के गायकों को प्रोत्साहित करना शुरू कर दिया है.
इसी कड़ी में 7 नवंबर की शाम को उन्होंने अपनी टीम के सदस्य इवेंट कंसलटेंट सौरव अस्थाना, डॉ वंदना भल्ला, विनोद परवंदा , एंकर पुष्पा सोनी एवं अनूप गायकवाड की अथक कोशिश से अपने दर्शकों के लिए सजा डाला. इस कार्यक्रम की संरचना की थीम एनसीआर की मशहूर गायिका लिली सिंह के द्वारा निर्धारित की गई थी. संगीत की यह शाम पूरी तरह बॉलीवुड फिल्मों पर ही आधारित रही जबकि संगीत की सुचिता का साक्षात प्रदर्शन हुआ .
अपनी उम्र को कैसे एक सीनियर सिटीजन दरकिनार कर युवा दिनों की याद में खो जाता है यह गायक रवि जोशी द्वारा प्रस्तुत शंकर जयकिशन की धुन पर फिल्म राजकुमार के गीत, तुमने किसी की जान को जाते हुए देखा है …….. के दौरान बखूबी महसूस किया जा सका. इसमें गायक शिव चौधरी ने फिल्म संगम के गीत, ओ महबूबा तेरे दिल के पास ही है मेरी मंजिले मकसूद…….. से ऐसा तड़का लगा दिया की सीनियर सिटीजन की पूरी जमात मंच के सामने थिरकने को मजबूर हो गई . संगीतमाय इस माहौल को परवान चढ़ाने में मशहूर गायिका लिली सिंह और सुनील महाजन ने ब्लॉकबस्टर फिल्म मधुमति के गीत दिल तड़प तड़प के कह रहा है आ भी जा…….. की प्रस्तुति से भरपूर मदद की. लम्बे समय बाद लिली सिंह की रूमानी आवाज सुनकर दर्शक बारम्बार ख़ुशी का इजहार कर रहे थे.
इसी बीच सुरों की इस शाम को चार चांद लगाने एक बार फिर रवि जोशी मंच पर उतरे और करोड़ों दिलों पर दशकों से राज करने वाले मशहूर गायक रफी साहब की आवाज में एन इवनिंग इन पेरिस फिल्म के गीत, आसमान से आया फरिश्ता, प्यार का सबब सिखलाने……… गाकर उस बेहतरीन फिल्म के रोमांटिक दृश्य की याद ताजा कर दी. उनकी उम्दा गायकी को श्रोताओं ने खूब सराहा. इस गीत पर सीनियर सिटीजन महिलाओं के भी मन झूमने लगे और ऐसा लगा जैसे ग्लोबल कल्चरल फाउंडेशन की कोशिश वाकई फिर बहारें ले आई है.
सुप्रसिद्ध गायक के एल सहगल की बेहद कठिन गायकी को स्वयं में आत्मसात कर लेने वाले कर्नल आर सी चड्ढा की ओर से फिल्म अन्नदाता के क्लासिकल गीत नयन हमारे सांझ सकारे, देखे सारे सपने ,सच में कहीं होंगे नहीं, कोई जाने ना………….. सारगर्भित एवं ठहराव भरी संगीत के साथ प्रस्तुत किया गया. उनकी दमदार आवाज के सभी कायल हैं. मशहूर गायक मुकेश कुमार की आवाज को उन्होंने बेहद सधे हुए अंदाज में निभाया और संगीत की इस शाम के अलग रूप से रूबरू कराया. इनके बाद बारी आई क्लासिकल सिंगर अंजू मलिक की, जो बॉलीवुड के क्लासिकल आधारित गीत के गायन मैं माहिर हैं. उन्होंने फिल्म छबीली के गीत, लहरों पर लहर उल्फत है जवां, रातों के शहर चली आओ यहां………. को मशहूर अदाकारा नूतन की मखमली आवाज की तरह श्रोताओं के दिलों को मंच की ओर बखूबी आकर्षित किया.
जब कार्यक्रम का नाम ही बहारें फिर से आएंगी हो तो फिर इस बहार में ईला अरुण की नशीली आवाज का प्रदर्शन न हो यह कैसे संभव हो सकता था. इसलिए कार्यक्रम की एंकर पुष्पा सोनी ने गायिका सुमन चावला को दर्शकों के सामने ईला अरुण के गीत रेशम का रुमाल गले पर डाल के तू आ जाना, दिलबर मैं दिल्ली का सुरमा लगाके कब से खड़ी हूं दरवज्जे पे ………… गाने को जैसे ही आमंत्रित किया, महिला दर्शकों का समूह मंच के सामने आ खड़ा हुआ और म्यूजिक बजते ही अपनी थिरकन से उनका साथ देने लगा. दर्शकों को आनंदित कर देने वाला यह सिलसिला काफी देर तक चलता रहा.इसमें सीनियर सिटीजन महिलाओं को युवतियों का भी साथ मिला.
कार्यक्रम के मध्यान्ह में गायक शिव चौधरी और गायिका रोहिणी चौधरी ने फिल्म बिन बादल बरसात का, के गीत एक बार जरा तुम कह दो, मुझे शर्मा के तुम दीवाना……… के माध्यम से ऑडिटोरियम में बैठे चाहे वह सीनियर सिटीजन जोड़ें हो या फिर युवा युगल सभी एक क्षण को खुशनुमा माहौल में डूब गए. दोनों के गायन में बेहतरीन संतुलन को श्रोताओं ने तालियों की गड़गड़ाहट से खूब सराहा. इसके बाद बारी आई युवा गायिका तूहीना चटर्जी की. उन्होंने आशा भोसले द्वारा गाये “वक्त” फिल्म के गीत, आगे भी जाने ना तू, पीछे भी जाने ना तू, जो भी है बस यही एक पल है ………………… के बोल छेड़ कर लोगों को उनके संजीदा होने का एहसास करा दिया. इस गीत ने श्रोताओं को भूत और भविष्य की चिंता छोड़ वर्तमान में जीने को प्रेरित किया. इस गीत ने लोगों के दिलों को छूने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी.
भारतीय बॉलीवुड फिल्मों की तरह ग्लोबल कल्चरल फाउंडेशन द्वारा आयोजित बहारें फिर से आएंगी कार्यक्रम में दांपत्य नोकझोंक भी देखने को मिला. और इस भूमिका का सजीव चित्रण कर अनूप गायकवाड एवं रागिनी परवंदा ने कुछ समय से गंभीर माहौल को हल्के फुल्के वातावरण में तब्दील कर दिया. आम पारिवारिक जीवन में अक्सर जिस बात पर तू- तू- मैं- मैं देखने को मिलती है वही इन दोनों कलाकारों ने , कमाता हूं लेकिन इनकम डूब जाती है, कुछ इनकम टैक्स ले जाता है, तो कुछ बीवी उड़ाती है ………….. कॉमेडियन गीत के माध्यम से दर्शा कर तालियां बटोरी.
खुशनुमा आयोजन के उत्तरार्ध में युवा गायिका मीनू मल्होत्रा एक बार फिर श्रोताओं को अपने युवा दिनों की ओर बरबस ले गई. एक तो मीनू की दिलकश आवाज और दूसरी तरफ मर्डर फिल्म के गीत, दिल को हजार बार रोका रोका रोका, दिल को हजार बार टोका टोका टोका, धोखा ना खाना जहर है प्यार…………….. के प्यार की दुधारी तलवार पर चलने के प्रति आगाह करने वाले बोल, दर्शकों को खूब भाया. श्रोता अपनी कुर्सियों के पास खड़े होकर इन पंक्तियों को ऐसे दोहराते दिखे जैसे अपनी पिछली गलतियों को अब कभी ना दोहराने की कसमें खा रहे हों .
लेकिन प्यार की डगर पर चलने और उसके मीठे एहसास की याद ताजा कराने वाले गीत लेकर आये मशहूर गायक कर्नल आर सी चड्ढा और मीनू मल्होत्रा ने मशहूर संगीतकार मदन मोहन की संगीत पर आधारित फिल्म वीर जारा का गीत प्रस्तुत किया. गीत के बोल थे तेरे लिए हम हैं जिए, होठों को सीए…………………… . . दोनों ही गायकों ने रूप कुमार राठौड़ और लता मंगेशकर की तरह ही सधी हुई गायकी का परिचय दिया. इसमें कोई दो राय नहीं की इस असीम प्यार का इजहार करने वाले गीत ने सभी को एक दूसरे के लिए जीने की कसमें खाने मधुर सदेश दिया.
क्लासिकल सिंगर अंजू मलिक ने राग अहीर भैरवी पर आधारित गीत, तेरे बिन सूने नैन हमारे, मेरी सूरत तेरी आंखों ………….. गाकर श्रोताओं को विरह वेदना का भी एहसास कराया जबकि कर्नल आर सी चड्ढा और महिला गायिका द्वारा प्रस्तुत एक मैं और एक तू दोनों मिले इस तरह……………….. रोमांटिक गीत ने कार्यक्रम के अंत में लोगों को सुखद भाव में लाकर छोड़ा. लगभग 3 घंटे से अधिक चले इस कार्यक्रम में श्रोता लगातार संगीत के सूत्र में बंधे रहे. ग्लोबल कल्चरल फाउंडेशन के अध्यक्ष कर्नल चड्ढा ने लगभग 2 वर्षों बाद आयोजित इस विशेष आयोजन में शामिल होने वाली मुख्य अतिथि व शिक्षा विद डॉ सुमन गुलाटी, सभी विशिष्ट अतिथियों एवं गुरुग्राम सहित विभिन्न शहरों से आए सभी दर्शकों का आभार व्यक्त किया. उन्होंने उम्मीद जताई की कोविड-19 को पराजित कर हम अब आगे निकल चुके हैं और आने वाले समय में इस प्रकार के रचनात्मक आयोजन की और भी खुशनुमा कड़ियां देखने को जल्द ही मिलेंगी. उनका कहना था कि ऐसे आयोजनों से लोगों में सांसारिक विषमताओं से संघर्ष करने के लिए असीम संबल पैदा होता है इसलिए लोगों के सहयोग से इसे आगे भी जारी रखेंगे .
कौन कौन से गायक व गायिकायें हुईं शामिल ?
कर्नल आरसी चड्ढा, लिली सिंह, अंबिका नायक, सुमन चावला, अंजू मलिक, शिव चौधरी, रोहिणी चौधरी, श्याल्जा बोथ, शुभम सरीन, रवि जोशी, मीनू मल्होत्रा, सुनील महाजन, तूहीना चटर्जी, अनूप गायकवाड और रागिनी परवंदा ने गीतों की शाम को अपने सुरों व आकर्षक अदाओं से सजाया.
म्यूजिक टीम के सदस्य :
की बोर्ड पर अरुण कुमार, रिदम बॉक्स पर हरप्रीत सिंह जबकि ऑक्टोपैड पर सुमेर सक्सेना ने सभी गायक गायिकाओं के साथ संगत किया.