नई दिल्ली: ग्लासगो में चल रहे COP26 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत समेत विकासशील देशों की आवाज बेहद मुखर तरीके से उठाया . उन्होंने विकसित देशों को उनके किये वायदे को याद दिलाते हुए विकसशील देशों की मदद करने का आह्वान किया. अपने संबोधन में कहा कि आज जब मैं आपके बीच आया हूं तो भारत के ट्रैक रिकॉर्ड को भी लेकर आया हूं.
प्रधानमन्त्री मोदी ने कहा कि मेरी बातें, सिर्फ शब्द नहीं हैं, ये भावी पीढ़ी के उज्जवल भविष्य का जयघोष हैं. उन्होंने दुनिया के देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए पंचामृत का फॉर्मूला अपनाने की नसीहत दी . पीएम ने कहा कि यह भारत की तरह ही, अधिकतर विकासशील देशों के लिए क्लाइमेट चेंज कृषि क्षेत्र के लिए एक बड़ी चुनौती है. फसल के पैटर्न में बदलाव, बेमौसम बारिश और बाढ़ या बार-बार आने वाली आंधी से फसलें नष्ट हो जाती हैं.
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण के प्रमुख बिंदु :
– मेरे लिए पेरिस में हुआ आयोजन, एक समिट नहीं, सेंटीमेंट था, एक कमिटमेंट था. और भारत वो वायदे, विश्व से नहीं कर रहा था, बल्कि वो वायदे, सवा सौ करोड़ भारतवासी, अपने आप से कर रहे थे
– आज विश्व की आबादी का 17 प्रतिशत होने के बावजूद, जिसकी emissions में Responsibility सिर्फ 5 प्रतिशत रही है, उस भारत ने अपना कर्तव्य पूरा करके दिखाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी है
– मुझे खुशी है कि भारत जैसा विकासशील देश, जो करोड़ों लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में जुटा है, जो करोड़ों लोगों की Ease of Living पर रात-दिन काम कर रहा है
– आज जब मैं आपके बीच आया हूं तो भारत के ट्रैक रिकॉर्ड को भी लेकर आया हूं. मेरी बातें, सिर्फ शब्द नहीं हैं, ये भावी पीढ़ी के उज्जवल भविष्य का जयघोष हैं. आज भारत installed renewable energy capacity में विश्व में चौथे नंबर पर है
– विश्व की पूरी आबादी से भी अधिक यात्री, भारतीय रेल से हर वर्ष यात्रा करते हैं. इस विशाल रेलवे सिस्टम ने अपने आप को 2030 तक ‘Net Zero’ बनाने का लक्ष्य रखा है. अकेली इस पहल से सालाना 60 मिलियन टन एमिशन की कमी होगी
– सोलर पावर में एक क्रांतिकारी कदम के रूप में, हमने International Solar Alliance की पहल की. क्लाइमेट एडाप्टेशन के लिए हमने coalition for disaster resilient infrastructure का निर्माण किया है. ये करोड़ों जिंदगियों को बचाने के लिए एक संवेदनशील और महत्वपूर्ण पहल है
– मैं आज आपके सामने एक, One-Word Movement का प्रस्ताव रखता हूं. यह One-Word एक शब्द, क्लाइमेट के संदर्भ में, One World-एक विश्व का मूल आधार बन सकता है, अधिष्ठान बन सकता है. ये एक शब्द है- LIFE…एल, आई, एफ, ई, यानी Lifestyle For Environment: PM
– क्लाइमेट चेंज पर इस वैश्विक मंथन के बीच, मैं भारत की ओर से, इस चुनौती से निपटने के लिए पांच अमृत तत्व रखना चाहता हूं, पंचामृत की सौगात देना चाहता हूं. पहला- भारत, 2030 तक अपनी Non-Fossil Energy Capacity को 500 गीगावाट तक पहुंचाएगा
– दूसरा- भारत, 2030 तक अपनी 50 प्रतिशत energy requirements, renewable energy से पूरी करेगा
– तीसरा- भारत अब से लेकर 2030 तक के कुल प्रोजेक्टेड कार्बन एमिशन में एक बिलियन टन की कमी करेगा
– चौथा- 2030 तक भारत, अपनी अर्थव्यवस्था की कार्बन इंटेन्सिटी को 45 प्रतिशत से भी कम करेगा
– और पांचवा- वर्ष 2070 तक भारत, नेट जीरो का लक्ष्य हासिल करेगा