– कोविड-19 के बाद बढ़ी है औषधीय पौधों की मांग
गुरुग्राम,14 जुलाई: कोविड-19 संक्रमण काल के दौरान जिस प्रकार से औषधीय पौधे इस महामारी के इलाज में कारगर साबित हुए है। वन विभाग द्वारा जिला में औषधीय पौधों की बढ़ती मांग व उपयोगिता को ध्यान में रखकर इस मॉनसून में करीब 1 लाख पौधे वितरित करने का कार्यक्रम बनाया है।
मंडल वन अधिकारी राजीव तेजयान ने इस संबंध मे अधिक जानकारी देते हुए बताया कि कोरोना काल में इसके संक्रमण से बचाव व इलाज के लिए आयुष मंत्रालय द्वारा सुझाए गए आयुर्वेदिक नुस्खे काफी कारगर साबित हुए थे। जिसमे औषधीय गुणों वाले पौधों के इस्तेमाल से इम्यूनिटी पावर को बढ़ाने की बात कही गई थी। मंत्रालय के सुझावों का लोगों में काफी सकारात्मक प्रभाव देखने को मिला था। लोग बाजार से काढ़ा खरीदने की बजाय घर में ही औषधीय पौधों से इसकी पूर्ति कर रहे थे।
उन्होंने कहा की पहले लोग शौकिया तौर पर घरों में एलोवेरा,तुलसी आदि औषधीय पौधे लगाते थे लेकिन जब से कोरोना संक्रमण फैला है। तब से अधिकतर लोग औषधीय पौधे घरों में लगा रहे हैं और इनसे बना शुद्ध काढ़े का सेवन कर खुद और परिवार को स्वस्थ रख रहे हैं।
राजीव तेजयान ने बताया कि कई शोधों में माना गया है कि औषधीय पौधों से बने काढ़े का नियमित सेवन करने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और ये काढ़ा कई प्रकार की बीमारियों को भी खत्म करता हैं।
औषधीय पौधों की इसी महत्ता व लोगों में इसके प्रति बढ़ते रुझान के चलते वन विभाग ने इस वर्ष तुलसी, गिलोय, ऐलोवेरा,आंवला, अर्जुन छाल व नीम के करीब एक लाख पौधे तैयार किए है। उन्होंने कहा कि चूंकि अब जिला में मानसून की शुरुवात हो चुकी है। वन विभाग जल्द ही जागरूकता कार्यक्रम के माध्यम से इन पौधों को जिला के सभी हिस्सों में बांटने का कार्य शुरू करेगा।