टूंडलाका गांव से एक दर्जन परिवारों का पलायन

Font Size

टूंडलाका गांव से एक दर्जन परिवारों का पलायन 2 सीआरपीएफ कैंप के नाम पर प्रशासन ने उजाड़े करीब 80 परिवार 

4 दर्जन परिवार ठंड के मौसम में खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर 

 

यूनुस अलवी

मेवात :  सीआरपीएफ कैंप के नाम पर मेवात प्रशासन द्वारा गांव टूंडलाका गांव में गत 18 दिसंबर को खाली कराई गई पंचायत जमीन की वजह से दर्जनों परिवार सड़क पर आने को मजबूर हो गए हैं। प्रशासन द्वारा बिना तैयारी के उठाए गए इस कदम से सैकड़ों लोग मुसीबत में फंस गए हैं। पंचायती जमीन से हटाये गये अधिकतर परिवारों के पास गांव में रहने लायक जमीन तक नहीं है, जिसकी वजह से तीन दर्जन से अधिक परिवार प्रशासन द्वारा तोड़ी गई जगह पर ही इस ठिठुरती ठंड के मौसम में खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर है।

टूंडलाका गांव से एक दर्जन परिवारों का पलायन 3

वहीं करीब एक दर्जन परिवारों पर पुराने मकान टूट जाने की वजह से उनके पास कोई जगह न होने के कारण दूसरे गांव में प्लान कर लिया है या रिश्तेदारियों में जा बसे हैं। इनमें बहुत से ऐसे भी परिवार है जिनका ना गांव में घर है और ना जंगल में खेत और ना ही कोई रिश्तेदारी में ठिकाना जिसकी वजह से वह मजबूर होकर कपड़े का तंबू श झोपडी बनाकर प्रशासन की आस में कि इस आस में उनको कहीं आशियाना छुपाने के लिए जगह मिलेगी इस वजह से वे यही पर डटे हुए हैं।

 

   गांव टूंडलाका के  रशीद, झांगीरा, इसाक का कहना है कि प्रशासन ने जगह तो खाली कराई लेकिन उनके ठहरने का इंतजाम नहीं कराया। डीसी ने उनके साथ धोखा किया है। जब वे डीसी से मिले थे तो डीसी ने कहा था कि उनके पक्के मकान तोडे नहीं जाऐगे लेकिन उनके 440 साल पुराने मकान तक तोड डाले गये। प्रशासन और ग्राम पंचायत में उनको शिविर के नाम पर 10 गुणा 10 फुट का एक टेंट लगाकर खड़ा कर दिया जो हम मज़लूम लोगों का मजाक उड़ा रहा है। 

टूंडलाका गांव से एक दर्जन परिवारों का पलायन 4

   बीपीएल परिवार के अहमद, असरू, हनीफ और विधवा रहीसन का कहना है कि प्रशासन ने ही उनके मकान आठ साल पहले बनाये थे। अब उनके मकानों को भी नहीं बख्शा जबकी वे गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनका कहना है कि ठंड के मौसम में उनके लिये एक आफत बनकर रह गई है। उनके पास गांव में भी कोई जगह नहीं है और जो थी उसे छीन लिया गया है, आखिर वो जाएं तो जाएं कहां । इसलिए वह मजबूर होकर अपने छोटे-छोटे मासूम बच्चों के साथ ठंड के मौसम में प्रशासन द्वारा तोड़ी गई जगह पर तंबू डालकर रहने को मजबूर हैं।

 

   गांव के रशीद, मुस्ताक, इरशाद ने बताया कि गंाव मे जगह ने होने कि वजह से मुनना, साबिर, जकरिया, आसूदीन, असरू और अहमद सहित एक दर्जन लोग गांव से प्लान कर अपनी रिष्तेदारियों में चले गये हैं। जबकी लुकमान, इद्रीश, बशीरी, सहाबू, मम्मल, जफरू, सुबदीन, हनीफ, दीन मोहम्मद सहित दीन दर्जन लोगों के पास गांव में रहने को भी जगह नहीं है जिसकी वजह से वे अपनी टूटी हुई जगह पर रहने को मजबूर हो रहे हैं।

 

  गांव के जकरया, शहाबुद्दीन, अनीस और रशीद ने बताया कि गत 18 दिसंबर को मेवात प्रशासन ने उनके गांव टूंडलाका की 686 कनाल यानी करीब 85 एकड़ जमीन में सीआरपीएफ कैंप बनाने के लिए पिछले 30-40 वर्षों से रहे करीब 80 परिवारों के मकान तोड़ कर खाली कराया था। सीआरपीएफ कैंप के लिए जो जगह दी गई है उसमें गांव के दो कब्रिस्तान दो तालाब स्कूल की जगह को भी शामिल किया गया है जो इस जगह से करीब एक किलोमीटर दूर पर है। लोगों का आरोप है कि ये सब खाना पूर्ति के लिए किया गया है। जो जगह प्रशासन ने खाली कराई है वह 70 एकड़ के आसपास है जबकि सीआरपीएफ कैंप के लिए कम से कम 100 एकड़ जगह का होना चाहिये।

You cannot copy content of this page