नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कोविड-19 की दूसरी लहर से विशेष रूप से स्वास्थ्य क्षेत्र में आई बाधाओं को देखते हुए स्वास्थ्य/चिकित्सा अवसंरचना से संबंधित परियोजनाओं के विस्तार (ब्राउनफील्ड) और ग्रीनफील्ड परियोजनाओं को वित्तीय गारंटी कवर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 50,000 करोड़ के वित्तपोषण में सक्षम बनाने के लिए कोविड प्रभावित क्षेत्रों के लिए कर्ज गारंटी योजना (एलजीएससीएएस) को स्वीकृति दे दी है।
मंत्रिमंडल ने बेहतर स्वास्थ्य से संबद्ध अन्य क्षेत्रों/ऋणदाताओं के लिए एक योजना शुरू करने को भी स्वीकृति दे दी है।बदलते हालात के आधार पर विस्तृत तौर-तरीकों को अंतिम रूप दिया जाएगा।
इसके अलावा, मंत्रिमंडल ने आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) के तहत 1,50,000 करोड़ रुपये तक के अतिरिक्त वित्तपोषण को भी स्वीकृति दे दी है।
लक्ष्य :
एलजीएससीएएस : यह योजना 31 मार्च 2022 तक स्वीकृत सभी पात्र कर्जों या 50,000 करोड़ रुपये तक स्वीकृत धनराशि तक, जो भी पहले हो, पर लागू होगी।
ईसीएलजीएस : यह लगातार जारी रहने वाली योजना है। योजना 30 सितम्बर 2021 तक गारंटेड इमरजेंसी क्रेडिट लाइन (जीईसीएल) के तहत या जीईसीएल के तहत चार लाख 50 हजार करोड़ रुपये की धनराशि तक स्वीकृत कर्जों, जो भी पहले हो, पर लागू होगी।
प्रभाव :
एलजीएससीएएस: कोविड-19 की दूसरी लहर के मद्देनजर पर्याप्त स्वास्थ्य इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी देखने को मिली। ऐसे असाधारण हालात से निपटने के लिए विशेष प्रतिक्रिया के रूप में एलजीएससीएएस तैयार की गई है। स्वीकृत योजना से रोजगार के ज्यादा अवसरों के सृजन के साथ ही स्वास्थ्य इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने में मदद मिलने की उम्मीद है। एलजीएससीएएस का मुख्य उद्देश्य आंशिक रूप से कर्ज जोखिम (मुख्य रूप से निर्माण जोखिम) खत्म करना है और सस्ती ब्याज दरों पर बैंक कर्ज उपलब्ध कराना है।
ईसीएलजीएस: यह निरंतर चलने वाली योजना है और हाल में, कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के चलते अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में आए व्यवधान को देखते हुए, सरकार ने ईसीएलजीएस के दायरे को बढ़ा दिया है। इस विस्तार से ऋणदाता संस्थानों को कम लागत पर 1.5 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त कर्ज उपलब्ध कराने के लिए प्रोत्साहन के द्वारा अर्थव्यवस्था के विविध क्षेत्रों को बहुप्रतीक्षित राहत मिलने का अनुमान है, जिससे व्यावसायिक उपक्रमों के लिए अपनी परिचालन जिम्मेदारियां पूरी करना और अपने कारोबार को जारी रखना संभव होगा। मौजूदा अप्रत्याशित हालात में कामकाज जारी रखने के लिए एमएसएमई को समर्थन देने के अलावा, इस योजना से अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर पड़ने और उसके पुनर्जीवन में मदद मिलने का अनुमान है।
पृष्ठभूमि :
एलजीएससीएएस: सरकार ने कोविड-19 महामारी के चलते पैदा संकट से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं। महामारी की दूसरी लहर के चलते यह संकट और बढ़ गया है। इस लहर से स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ ही कई क्षेत्रों में आजीविकाओं और व्यावसायिक उपक्रमों पर दबाव खासा बढ़ गया है। इस लहर से स्वास्थ्य क्षेत्र में सरकारी और निजी निवेश की जरूरत काफी बढ़ गई है। यह मेट्रो शहरों से लेकर श्रेणी-4 और 5 शहरों के साथ ग्रामीण इलाकों तक पूरे देश में आवश्यक है। इन आवश्यकताओं में अतिरिक्त अस्पताल बिस्तर, आईसीयू, डायग्नोस्टिक सेंटर, ऑक्सीजन सुविधाएं, टेलीफोन या इंटरनेट आधारित स्वास्थ्य परामर्श और पर्यवेक्षण, जांच सुविधाएं और आपूर्ति, वैक्सीनों के लिए कोल्ड चेन सुविधाएं, दवाइयों और वैक्सीनों के लिए आधुनिक वेयरहाउस, मरीजों के लिए आइसोलेशन सुविधाएं, सीरिंज और इंजेक्शन आदि जैसी सहायक आपूर्तियों के उत्पादन में बढ़ोतरी आदि शामिल है। प्रस्तावित एलजीएससीएएस का उद्देश्य देश में विशेष रूप से वंचित इलाकों को लक्षित करके चिकित्सा अवसंरचना में विस्तार करना है। एलजीएससीएएस 8 मेट्रोपोलिटन टियर 1 शहरों (श्रेणी एक्स शहरों) को छोड़कर शहरी या ग्रामीण इलाकों में स्थापित ब्राउनफील्ड परियोजनाओं को 50 प्रतिशत और नई यानी ग्रीनफील्ड परियोजनाओं को 100 करोड़ रुपये तक के स्वीकृत कर्ज के लिए 75 प्रतिशत तक गारंटी उपलब्ध कराई जाएगी। आकांक्षी जिलों के लिए, दोनों ब्राउनफील्ड विस्तार और ग्रीनफील्ड परियोजनाओं के लिए 75 प्रतिशत गारंटी कवर मिलेगा।
ईसीएलजीएस: हाल में भारत में कोविड-19 महामारी की फिर से मार और स्थानीय/क्षेत्रीय स्तर पर अपनाए गए रोकथाम के उपायों से नई अनिश्चितताएं पैदा हुई हैं तथा शुरुआती स्तर पर आर्थिक पुनरुद्धार प्रभावित हुआ है। इस माहौल में व्यक्तिगत कर्ज लेने वाले और एमएसएमई कर्ज लेने वालों की सबसे संवेदनशील श्रेणी है, जिनके लिए भारत सरकार ने लक्षित नीतिगत प्रतिक्रिया के रूप में ईसीएलजीएस की पेशकश की है। ईसीजीएलएस के डिजाइन से उभरती जरूरतों पर तुरंत प्रतिक्रिया के लिए लचीलापन मिलता है, जो ईसीएलजीएस 2.0, 3.0 और 4.0 की पेशकश के साथ ही 30 मई 2021 को घोषित बदलावों में नजर आया है। ये सभी 3 लाख करोड़ रुपये की सीमा के भीतर उपलब्ध थे। वर्तमान में, ईसीएलजीएस के तहत लगभग 2.6 लाख करोड़ रुपये के कर्ज स्वीकृत किए जा चुके हैं। हाल में घोषित बदलावों, आरबीआई द्वारा 04 जून 2021 को 50 करोड़ रुपये की एकमुश्त रिस्ट्रक्चरिंग की सीमा के विस्तार और कोविड के उपक्रमों पर जारी नकारात्मक प्रभाव के चलते इसमें फिर से तेजी आने का अनुमान है।