नयी दिल्ली : केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री संजय धोत्रे ने 22 जून, 2021 को जी-20 देशों के शिक्षा मंत्रियों की बैठक में भाग लिया। इस बैठक की मेजबानी इटली ने मिश्रित रूप में की। जी-20 शिक्षा मंत्रियों ने विशेष रूप से कोविड 19 महामारी के संदर्भ में शैक्षणिक गरीबी और असमानताओं के खिलाफ लड़ाई में प्रगति पर विचारों का आदान-प्रदान किया। मंत्रियों ने मिश्रित शिक्षा के माध्यम से शिक्षा विधियों की निरंतरता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए महामारी के दौरान कार्यान्वित नवीन अनुभवों को साझा करने का भी संकल्प लिया।
भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए श्री संजय धोत्रे ने शैक्षणिक गरीबी, असमानताओं और जल्दी स्कूल छोड़ने के मामलों में कमी लाने और अंततः इसे दूर करने के प्रति देश की प्रतिबद्धता दोहराई। राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 पर बोलते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इसमें सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित समूहों से बच्चों और युवाओं, विशेष रूप से लड़कियों पर विशेष ध्यान देने के साथ समान और समावेशी शिक्षा की कल्पना की गई है। इन वर्गों के पीछे छूटने का सबसे ज्यादा खतरा है।
श्री धोत्रे ने कहा कि भारतीय शिक्षा प्रणाली ने शिक्षा के सभी स्तरों पर लैंगिक और सामाजिक श्रेणी में अंतर को दूर करने के लिए कई उपायों के माध्यम से इस दिशा में लगातार प्रगति की है। इनमें स्कूलों की क्षमता में सुधार; स्कूल न जाने वाले बच्चों पर ध्यान देने; कमजोर विद्यार्थियों के शिक्षा परिणामों की निगरानी; शारीरिक सुरक्षा और बच्चों के अधिकारों की अवहेलना पर कोई कोताही नहीं बरतने; बच्चों का स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए मध्याह्न भोजन सुनिश्चित करने; विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों के लिए सक्षम तंत्र; विभिन्न शिक्षा विधियों को प्रोत्साहन और मुक्त व दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रमों को मजबूत बनाना शामिल हैं।
महामारी के दौरान शैक्षणिक निरंतरता सुनिश्चित करने के संबंध में केन्द्रीय मंत्री ने बताया कि भारत ने बड़े स्तर पर मिलीजुली शिक्षा को प्रोत्साहन दिया है। दीक्षा, स्वयं जैसे विभिन्न ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म पर डिजिटल शैक्षणिक सामग्री उपलब्ध कराई गई है, जिसे कोई भी, किसी भी समय और कहीं भी इसका लाभ हासिल कर सकता है। पारंपरिक शिक्षा में स्वीकृत ऑनलाइन कम्पोनेंट को 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर दिया गया है। 100 से ज्यादा शीर्ष रैंक प्राप्त विश्वविद्यालयों को पूर्ण रूप से ऑनलाइन शिक्षा कार्यक्रम करने की अनुमति दे दी गई है। डिजिटल अंतर को पाटने के क्रम में, भारत स्वयं प्रभा टीवी चैनलों और कम्युनिटी रेडियो का व्यापक इस्तेमाल कर रहा है। डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर का तेजी से विस्तार किया जा रहा है। प्रौद्योगिकी आधारित शिक्षा को सहायता देने के लिए एनईपी 2020 के तहत एक राष्ट्रीय शिक्षा प्रौद्योगिकी मंच की स्थापना की जा रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार मनोदर्पण और अन्य परामर्श कार्यक्रमों के माध्यम से विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं को दूर करने पर भी विशेष ध्यान दे रही है।
श्री धोत्रे ने कहा कि भारत शैक्षणिक गरीबी, असमानता और जल्द स्कूल छोड़ने में कमी लाने के लिए जी-20 देशों के सामूहिक प्रयासों में अपने समर्थन की पुष्टि करता है। भारत शिक्षा जारी रखना सुनिश्चित करने के लिए महामारी के दौरान मिले सबकों के आधार पर मिलीजुली शिक्षा पहलों में सुधार और मजबूत बनाने के लिए जी-20 देशों के सामूहिक प्रयासों को भी समर्थन देता है।
शिक्षा मंत्रियों ने बैठक के अंत में एक घोषणा पत्र को भी स्वीकार किया। बाद में शिक्षा मंत्रियों और श्रम एवं रोजगार मंत्रियों की वर्चुअल माध्यम से एक संयुक्त बैठक भी हुई। जी-20 मंत्रियों ने स्कूल से काम पर जाने के रुझान पर विचारों का आदान प्रदान किया। बैठक में श्री संजय धोत्रे ने शिक्षा मंत्रालय का प्रतिनिधित्व किया। श्रम एवं रोजगार मंत्रालय का प्रतिनिधित्व एमओएस (आई/सी) श्री संतोष गंगवार ने किया।
प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए, श्री धोत्रे ने कहा, जी-20 के सदस्य देशों के रूप में हमारे लिए यह आवश्यक है कि युवाओं को उनकी शिक्षा पूरी करने के बाद कार्यस्थल में सहज रूप से समायोजित होने के लिए हमारे युवाओं को तैयार करने की जरूरत को मान्यता दी जाए। यह विशेष रूप से सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित समूहों के विद्यार्थियों के लिए अहम है, जिनके पीछे छूटने का ज्यादा जोखिम है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत अपने युवाओं में 21वीं सदी के वैश्विक कार्यस्थल के लिए जरूरी ज्ञान, कौशल और व्यवहार विकसित करने में सहायता के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, हमारी मांग, क्षमता आधारित और मॉड्यूलर व्यावसायिक पाठ्यक्रमों पर जोर के साथ सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा को एकीकृत करने की योजना है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पूर्व माध्यमिक और माध्यमिक स्कूल में व्यावसायिक शिक्षा उपलब्ध कराती है और मुख्य धारा की शिक्षा में सहज एकीकरण सुनिश्चित करती है। इसका उद्देश्य है कि 2025 तक स्कूल और उच्च शिक्षा व्यवस्था के कम से कम 50 प्रतिशत विद्यार्थीयों को व्यावसायिक शिक्षा मिल जाए। उन्होंने कहा कि एनईपी 2020 व्यावसायिक शिक्षा में कौशल में कमी के विश्लेषण और स्थानीय अवसरों की पहचान को शामिल करने की व्यवस्था करती है। एक राष्ट्रीय कौशल पात्रता फ्रेमवर्क के माध्यम से व्यावसायिक विषयों से जुड़े विद्यार्थियों के लिए व्यापक बदलाव सुनिश्चित किया जा रहा है। इस फ्रेमवर्क के तहत स्टैंडर्ड्स को अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के व्यवसायों के अंतर्राष्ट्रीय मानक वर्गीकरण के अनुरूप बनाया जाएगा। उन्होंने कहा, यह फ्रेमवर्क पूर्व शिक्षा को मान्यता और औपचारिक शिक्षा को छोड़ने वालों के पुनः एकीकरण पर आधारित होगा।
श्री धोत्रे ने बताया कि भारत मौजूदा राष्ट्रीय अप्रेंटिसशिप प्रशिक्षण योजना में बदलाव के द्वारा युवाओं के लिए शिक्षा के बाद अप्रेंटिस के अवसरों को भी बढ़ा रहा है।
उन्होंने कहा कि भारत व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण के क्षेत्र में जी-20 देशों के बीच भागीदारी को खासा महत्व देता है। उन्होंने शिक्षा से काम की ओर सहज परिवर्तन सुनिश्चित करने की रणनीतियां विकसित करने के लिए जी-20 देशों के सामूहिक प्रयासों को भारत सरकार के समर्थन की पुष्टि की।
जी-20 देशों के शिक्षा और श्रम व रोजगार मंत्रियों ने बैठक के अंत में एक घोषणा पत्र को स्वीकार किया।