गुरुग्राम, 12 अप्रैल : चैत्र मास के नवरात्रे आगामी 13 अप्रैल से शुरु हो रहे हैं। इन नवरात्रों में एक भी तिथि क्षय नहीं है यानि कि पूरे 9 दिन मां दुर्गा की आराधना श्रद्धालुओं द्वारा की जाएगी। इसे श्रद्धालुओं के लिए सुख-समृद्धि का संकेत माना जा रहा है। हालांकि कोरोना वायरस का संकट नवरात्रों पर भी मंडराता दिखाई दे रहा है। वैसे अभी तक
प्रदेश सरकार व जिला प्रशासन ने मंदिरों को लेकर कोई विशेष दिशा-निर्देश अभी जारी नहीं किए हैं। केवल फेस मास्क व सामाजिक दूरी का पालन करने व सैनिटाइजर का इस्तेमाल करने के दिशा-निर्देश दिए हैं।
पंडित मुकेश शर्मा का कहना है कि चैत्र नवरात्र के साथ हिंदुओं का नव संवत 2078 भी प्रारंभ होगा। इसमें भी कई शुभ संकेत बन रहेे हैं, जो बड़े विशेष हैं। उनका कहना है कि श्रद्धालु पूरे 9 दिन तक 9 देवियों मां शैलपुत्री, ब्रह्माचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी व सिद्धि दात्री की पूजा अर्चना कर मनवांछित फल पाएंगे। पंडित जी का कहना है कि मां दुर्गा के विभिन्न स्वरुपों की पूरे विधि-विधान के अनुसार पूजा-अर्चना की जानी चाहिए, तभी मनवांछित फलों की प्राप्ति हो सकती है।
क्या है पौराणिक मान्यता
पंडित मुकेश शर्मा का कहना है कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार चैत्र नवरात्र के पहले दिन सृष्टि का आरंभ हुआ था। इसी दिन देवी ने ब्रह्मा को सृष्टि की रचना करने का कार्यभार सौंपा था व इसी दिन से काल गणना भी शुरु हुई थी। देवी भागवत पुराण के अनुसार इसी दिन देवी मां ने सभी देवी-देवताओं के कार्यों का बंटवारा किया था। इसीलिए चैत्र नवरात्र पर हिंदू नववर्ष का प्रारंभ माना जाता है। सृष्टि आरंभ से पूर्व अंधकार का साम्राज्य था। तब आदिशक्ति जगदंबा अपने कुष्मांडा अवतार में विभिन्न
वनस्पतियों और वस्तुओं को संरक्षित करते हुए सूर्य मंडल के मध्य में स्थापित हुई थी।
माता ने ही की थी ब्रह्मा, विष्णु व शिव की रचना
देवी पुराण के अनुसार जगत निर्माण के समय माता ने ही ब्रह्मा, विष्णु और भगवान शिव की रचना की थी। इसलिए सृष्टि के आरंभ की तिथि से 9 दिन तक मां
अंबे के 9 स्वरुपों की पूजा की जाती है। इस दिन से ही पंचांग की गणना भी की जाती है। ऐसा माना जाता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का जन्म भी चैत्र नवरात्र में ही हुआ था।
वर्ष में आते हैं 4 नवरात्र
पंडित जी का कहना है कि वर्ष के चैत्र, आषाढ़, अश्विन व माघ को मिलाकर कुल 4 नवरात्र आते हैं, लेकिन चैत्र व अश्विन माह के नवरात्रों की अधिक मान्यता है। क्योंकि बसंत ऋतु में होने के कारण चैत्र नवरात्र को बासंती नवरात्र भी कहा जाता है। इन नवरात्रों में श्रद्धालु अपनी श्रद्धानुसार नवरात्रों का व्रत रखकर अपनी मनोकामना पूरी कराते हैं।