नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश के प्रत्येक ग्रामीण घरों में 2024 तक, नियमित और दीर्घकालिक रूप से, पर्याप्त मात्रा में और निर्धारित गुणवत्ता के साथ पीने योग्य नल-जल आपूर्ति का प्रवाधान करने वाले दृष्टिकोण और अभियान की दिशा में बहुत ही तेजी के साथ काम किया जा रहा रहा है। जिनके माध्यम से पेयजल के क्षेत्र में हमेशा के लिए बदलने आने की संभावना है उस प्रकार के परिवर्तनों में से एक , पूरे देश में लगभग 2,000 प्रयोगशालाओं को आम लोगों के लिए मामूली दर पर अपने जल के नमूनों की जांच करन के लिए खोल दिया गया है। पानी के संयोजन वाले सभी स्रोतों के नमूनों को प्राप्त किया जाता है और जल गुणवत्ता की जांच रिपोर्ट का सृजन ऑनलाइन किया जा रहा है और यह नागरिकों को संबंधित जन स्वास्थ्य अभियंता को उसकी एक प्रतिलिपि प्रदान करने के साथ-साथ भेजा जा रहा है क्योंकि अगर तत्काल कोई सुधारात्मक कार्रवाई करने की आवश्यकता हो तो किया जा सके। इसे केंद्रीय डाटाबेस में भी रखा जाता है जिससे इसकी निरंतर निगरानी और उपचारात्मक कार्रवाई की जा सके। इसके लिए पीएचईडी/ बोर्ड/ निगमों का आधुनिकीकरण किया जा रहा है जिससे उनमें सही उपयोगिताओं का निर्माण किया जा सके।
ग्रामीण घरों तक स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने की दिशा में सभी प्रकार के प्रयासों को जारी रखते हुए, राज्य के अंतर्गत राज्य मुख्यालय, जिला, ब्लॉक/ सब डिवीजन जैसे विभिन्न स्तरों पर जल की गुणवत्ता का परीक्षण करने वाले प्रयोगशालाओं को प्रमाणीकृत किया जा रहा है और एनएबीएल मान्यता प्रदान करने की प्रक्रिया जारी है। कोविड-19 महामारी के दौरान मान्यता प्रदान करने की प्रक्रिया की शुरूआत बड़े पैमाने पर की गई है। कोविड-19 महामारी के दौरान, कोविड-19 परीक्षण के लिए अपनाई गई आवश्यकता-आधारित नमूना एवं जांच प्रोटोकॉल को व्यापक रूप से स्वीकार किया गया है और उसकी सराहना की गई है।
इसी प्रकार के दृष्टिकोण को अपनाते हुए, एनजेजेएम द्वारा आईसीएमआर के सहयोग से जांच और आवश्यक कार्रवाई करने के लिए जेजेएम-डब्ल्यूक्यूएमआईएस फ्रेमवर्क विकसित किया गया है। यह पेयजल गुणवत्ता के जांच की निगरानी करने और निगरानी संबंधी सूचना का भंडार के रूप में कार्य करेगा, जिसमें जल गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाओं से संबंधित सभी आंकड़े शामिल हैं।
जल जीवन अभियान के अंतर्गत, पानी की गुणवत्ता से प्रभावित बस्तियों में नल जल आपूर्ति की व्यवस्था को प्राथमिकता प्रदान की गई है। अब तक, राज्यों में चिह्नित किए गए 27,544 आर्सेनिक और फ्लोराइड प्रभावित बस्तियों में से 26,492 बस्तियों के लिए पेयजल आपूर्ति प्रदान करने के लिए प्रावधान किए गए हैं। जब तक पाइपलाइन के माध्यम से जल आपूति संरचना का विकास करने में समय लग रहा है, तब तक राज्यों को इसके लिए अल्पकालिक समाधान के रूप में सामुदायिक जल शोधन संयंत्र (सीडब्ल्यूपीपी) की स्थापना करने की सलाह दी गई है, जिससे पीने और खाना पकाने की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रति व्यक्ति न्यूनतम 8-10 लीटर स्वच्छ जल उपलब्ध कराया जा सके। वर्तमान समय में, पूरे देश में 32,543 सीडब्ल्यूपीपी लगाए जा चुके हैं।
इस अभियान के अंतर्गत, ग्रामीण समुदाय को पानी की गुणवत्ता की निगरानी करने के लिए नियमित रूप से पानी की गुणवत्ता की जांच करने हेतु नेतृत्व प्रदान करने का अधिकार दिया किया गया है। प्रत्येक गांव में, 5 लोगों (महिलाओं को प्राथमिकता) को फील्ड टेस्ट किट (एफटीके) का उपयोग करते हुए जल की गुणवत्ता का परीक्षण करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है, जिससे कि वे प्रत्येक वर्ष में कम से दो बार जीवाणु मैलापन और एक बार रासायनिक मैलापन की जानकारी प्राप्त करने के लिए जल स्रोतों और उत्पत्ति स्थलों का परीक्षण कर सकें, जो कि प्रयोगशालाओं में विभागीय स्तर पर जल परीक्षण कार्य के अतिरिक्त है।
जीवन परिवर्तनकारी जल जीवन मिशन के तहत शुरु किये गए मोबाइल ऐप के साथ ही एक ऑनलाइन पेयजल गुणवत्ता प्रबंधन सूचना प्रणाली (डब्ल्यूक्यूएमआईएस) को हाल ही में केंद्रीय जल मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत द्वारा लॉन्च किया गया था। इसका उद्देश्य पानी की गुणवत्ता का डेटा लोगों को उनकी उंगलियों पर उपलब्ध कराना था।
जल शक्ति मंत्रालय द्वारा जल गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाओं के समुचित कार्य, किसी भी प्रकार के जल गुणवत्ता संदूषण का समय पर पता लगाने, इसी प्रकार से नल जल एवं स्रोतों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए ‘पेयजल गुणवत्ता जांच तथा निगरानी ढांचे’ की भी शुरुआत की गई।
विभागीय स्तर पर इस तरह की जांच और स्थानीय स्तर पर निगरानी गतिविधियों को पूरा करना समुदायिक घरेलू स्तर पर सुरक्षित पानी उपलब्ध कराने के लिए एक अनूठी पहल है। पेयजल क्षेत्र में सुधार लाने व पुराने ढांचे को बदलने के प्रयास में केंद्र द्वारा लोगों के साथ मिलकर ऐसे सभी जन केंद्रित दृष्टिकोण अपनाए जा रहे हैं। जल शक्ति मंत्रालय की ये सभी पहल लोगों में जागरूकता पैदा करेंगी और उन्हें सही निर्णय लेने में सक्षम बनाएंगी।
प्रत्येक घर के लिए सुरक्षित पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय जल जीवन मिशन- एनजेजेएम सभी स्तरों पर पारदर्शिता एवं जवाबदेही लाकर और सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग कर नागरिकों को सशक्त बना रहा है। इससे ‘बुनियादी ढांचा निर्माण’ का दृष्टिकोण धीरे-धीरे ‘सेवा वितरण’ की तरफ स्थानांतरित हो रहा है, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग विभाग या ग्रामीण जल आपूर्ति विभाग राज्य और केंद्र शासित प्रदेश क्षेत्र के ‘सार्वजनिक उपयोगिताओं’ के रूप में कार्य कर सकते हैं।
बुनियादी जल गुणवत्ता परीक्षण पैरामीटर
जल जीवन मिशन को 2024 तक देश के प्रत्येक ग्रामीण परिवार के लिए नियमित तथा दीर्घकालिक आधार पर गुणवत्ता सुनिश्चित करने वाले पर्याप्त मात्रा में नल के पानी की आपूर्ति प्रदान करने के वास्ते राज्यों के साथ साझेदारी में कार्यान्वित किया जा रहा है। जब 15 अगस्त को इस मिशन की घोषणा की गई थी, तब लगभग 3.23 करोड़ घरों (17%) में नल जल की आपूर्ति होती थी। 18 मार्च, 2021 तक 3.87 करोड़ परिवारों को जल जीवन मिशन के तहत नल जल कनेक्शन प्रदान किये गए हैं, अर्थात 7.11 करोड़ (37%) से अधिक ग्रामीण घरों में अब नल से जल की आपूर्ति हो रही है।
प्रत्येक घर और सार्वजनिक संस्थान अर्थात स्कूल, आंगनवाड़ी केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, ग्राम पंचायत घर, सामुदायिक / कल्याण केंद्र आदि में पीने योग्य पानी उपलब्ध कराना इस मिशन का प्रमुख लक्ष्य है। स्वच्छ जल लोगों और बच्चों के समग्र स्वास्थ्य तथा कल्याण को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है, जिससे समुदायों को स्वास्थ्य लाभ होता है। दूषित जल के निरंतर सेवन से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। बच्चे विशेष रूप से जल जनित रोगों के लिए अधिक जोखिम में होते हैं क्योंकि कई प्रकार के हानिकारक तत्व उनकी वृद्धि और संज्ञानात्मक क्षमताओं को कम करते हैं और इस प्रकार से इनकी कार्यशक्ति एवं प्रतिरोधकता घटती है।
इसके अलावा, राष्ट्रीय जल जीवन मिशन ने जल परीक्षण के लिए पोर्टेबल उपकरणों को विकसित करने के लिए उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के साथ साझेदारी में एक नवाचार चुनौती का शुभारंभ किया है। इसका मुख्य उद्देश्य पोर्टेबल उपकरणों को विकसित करने के लिए एक अभिनव, मॉड्यूलर और लागत प्रभावी समाधान तलाश कर सामने लाना है, जिसका उपयोग गांव तथा घरेलू स्तर पर पीने के पानी की गुणवत्ता का परीक्षण करने के लिए तुरंत, आसानी से और सही तरीके से किया जा सकता है।
इसी तरह से जल शक्ति मंत्रालय पानी की गुणवत्ता की स्मार्ट निगरानी के लिए ‘सेंसर-आधारित आईओटी’ समाधान का उपयोग कर रहा है। मात्रा, गुणवत्ता और नियमितता के संदर्भ में सेवाओं में सुधार लाने के लिए, ‘स्मार्ट वाटर सप्लाई माप एवं निगरानी प्रणाली’ विकसित की जा रही है। देश भर में 9 विभिन्न स्थानों पर ‘सेंसर-आधारित आईओटी’ समाधान के लिए पायलट परीक्षण चल रहे हैं। शिकायत निवारण के लिए, ऑनलाइन और टोल-फ्री नंबर-आधारित हेल्पलाइन भी स्थापित किए जा रहे हैं।