नई दिल्ली : “विज्ञान में लड़कियाँ और महिलाएँ के अंतर्राष्ट्रीय दिवस” के अवसर पर 11 फरवरी 2021 को शुरु हुए विज्ञान ज्योति कार्यक्रम के दूसरे चरण के तहत विज्ञान में लड़कियों की रुचि बढ़ाने तथा एसटीईएम अर्थात विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित विषयों के माध्यम से उन्हें अपना करियर बनाने में मदद करने के लिए देश के 50 और जिलों को इस कार्यक्रम के दायरे में लाया गया है।
इस अवसर पर विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने आशा व्यक्त की कि इस कार्यक्रम में पिछले एक वर्ष में प्राप्त अनुभवों से और सुधार लाया जा सकेगा और साथ ही यह देश के अधिक से अधिक जिलों में महिलाओं को सशक्त बनाने और शीर्ष विज्ञान संस्थानों में उनकी संख्या बढ़ाने में मदद करेगा।
“प्रोफेसर शर्मा ने कहा “विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं का कम प्रतिनिधित्व एक बहुआयामी समस्या है। हमें सभी पहलुओं से इस समस्या को देखना है और वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए जरुरी उपायों को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा तथा विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति इसके रास्ते में आने वाली बाधाओं को दूर कर सकती है और विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने में मदद करने के लिए जनसांख्यिकी लाभांश का उपयोग कर सकती है।”
उन्होंने सुझाव दिया कि इसके लिए लड़कियों को समाज में आदर्श स्थापित करने वाले सभी तरह के लोगों विशेषकर अपने जीवन में बड़ी उपलब्धि हासिल कर चुकी महिलाओं के साथ संवाद स्थापित करने का अवसर उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
विज्ञान ज्योति कार्यक्रम लड़कियों को विज्ञान में रुचि लेने और करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी)की एक नई पहल है जिसके तहत एसटीईएम में अपना करियर बनाने के लिए मेधावी लड़कियों को समान अवसर उपलब्ध कराने के लिए शुरु किया गया है। यह दिसंबर 2019 से 50 जवाहर नवोदय विद्यालयों में सफलतापूर्वक चलाया जा रहा है और अब इसे वर्ष 2021-22 के लिए 50 और ऐसे विद्यालयों में शुरु कर दिया गया है।
यह कार्यक्रम एसटीईएम के कुछ क्षेत्रों में महिलाओं के कम प्रतिनिधित्व की समस्या का समाधान करता है। शुरुआती कदम के तौर पर यह कार्यक्रम नौवीं से 12 वीं कक्षा की मेधावी लड़कियों के लिए स्कूल स्तर पर शुरू किया गया है ताकि उन्हें सशक्त बनाकर देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में एसटीईएम पाठ्यक्रम में शामिल विषयो की पढ़ाई करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
विज्ञान ज्योति कार्यक्रम से जुड़ी गतिविधियों में छात्र-अभिभावक परामर्श, प्रयोगशालाओं और ज्ञान केंद्रों का दौरा, पार्टनर रोल मॉडल इंटरैक्शन, विज्ञान शिविर, शैक्षणिक सहायता कक्षाएं, संसाधन सामग्री वितरण और टिंकरिंग गतिविधियाँ शामिल हैं। छात्रों को ऑनलाइन शैक्षणिक सहायता से संबंधित गतिविधियों में वीडियो कक्षाएं, अध्ययन सामग्री, दैनिक अभ्यास की समस्याएं और किसी भी तरह की शंकाओं का समाधान करने के लिए सुव्यवस्थित तरीके से सत्र आयोजित करना शामिल है।
डीएसटी के सलाहकार और किरण तथा विज्ञान ज्योति कार्यक्रमों के प्रमुख डॉ. संजय मिश्रा ने कहा कि निकट भविष्य में इस कार्यक्रम के साथ अधिक से अधिक जिलों को जोड़ने की योजना है और आगे लड़कियों को एसटीईएम में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित करने के मामले में इस कार्यक्रम का प्रभाव 100 जिलों में दिखाई देगा।
नवोदय विद्यालय समिति (एनवीएस) के आयुक्त विनायक गर्ग ने कहा कि लड़कियों के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करना बहुत महत्वपूर्ण है और यह कार्यक्रम विज्ञान में रुचि लेने वाली लड़कियों को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है।
डीएसटी विभिन्न महिला-केंद्रित कार्यक्रमों के माध्यम से विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में पुरुषों के समान ही महिलाओं की भागीदारी भी सुनिश्चित करने के लिए लगातार काम कर रहा है। डीएसटी विज्ञान ज्योति के अलावा, अन्य महिला-उन्मुख कार्यक्रम जैसे कि करियर में ब्रेक लेने वाली महिलाओं को दोबारा अवसर देने के लिए “महिला वैज्ञानिक योजना”,एसटीईएम में करियर बनाने की इच्छुक महिलाओं के लिए अमरीका में प्रमुख संस्थानों में अंतरराष्ट्रीय सहयोगपूर्ण अनुसंधान करने के अवसर प्रदान करने के लिए “क्यूरी कार्यक्रम” तथा वैज्ञानिक संस्थानों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए “जीएटीआई कार्यक्रम” आदि शामिल हैं। इसके अलावा डीएसटी ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (ए-आई) और नवाचार को बढ़ावा देने तथा भविष्य में एआई-आधारित नौकरियों के लिए कुशल श्रमशक्ति तैयार करने के लक्ष्य के साथ महिला विश्वविद्यालयों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रयोगशालाएं भी स्थापित की हैं।