एकलव्य आदर्श विद्यालयों के लिए 21 राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों के बीच समझौता

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नई दिल्ली : केरल में एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों (ईएमआरएस) के बेहतर प्रबंधन के लिए केरल राज्य एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय सोसाइटी और नेशनल एजुकेशन सोसाइटी फॉर ट्राइबल स्टूडेंट्स (एनईएसटीएस) के बीच आज  एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। केरल सरकार के अनुसूचित जनजाति विकास विभाग के मुख्य सचिव श्री पुनीत कुमार और एनईएसटी के आयुक्त असित गोपाल ने जनजातीय मामलों के मंत्रालय के संयुक्त सचिव डॉ नवलजित कपूर की उपस्थिति में नई दिल्ली में इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

जिन 28  राज्यों में ऐसे स्कूल खोले जाने हैं उनमें से केरल सहित 21 राज्यों/ केन्द्र शासित प्रदेशों के साथ एनईएसटी ने ऐसे करार किए हैं। ये समझौता ज्ञापन दूरदराज के जनजातीय बहुत इलाकों में ईएमआरएस को शिक्षा के प्रभावी माध्यम के रूप में स्थापित किए जाने की ओर पहला कदम है। यह सभी राज्यों को एक समान और पारस्परिक सहमति से बनाए गए मंच पर एक साथ लाएगा। जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने अपने संदेश में कहा कि जनजातीय क्षेत्रों के सर्वांगीण विकास के प्रधानमंत्री के व्यापक दृष्टिकोण के साथ, कार्यक्रम की क्षेत्रीय स्तर पर व्यापक पहुंच में सुधार करने और सीखने के तरीकों में कई गुणात्मक परिवर्तन लाने के लिए 2018-19  ईएमआरएस योजना में बड़ा बदलाव किया गया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 तक  देशभर में 740 ईएमआरएस स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है। पचास प्रतिशत या अधिक जनजातीय आबादी वाले तथा 20 हजार से अधिक जनजातीय समुदाय के लोगों की बसावट वाले प्रत्येक प्रखंड को इस योजना के दायरे में लाया जाएगा। इससे 3.5 लाख जनजातीय छात्र लाभान्वित होंगे।

जनजातीय मामलों की राज्य मंत्री श्रीमती रेणुका सिंह सरुता ने अपने संदेश में कहा कि राज्य सरकारों के साथ रणनीतिक भागीदारी के माध्यम से शिक्षण के साथ ही अन्य क्षेत्रों में भी छात्रों का समग्र विकास सुनिश्चित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ईएमआरएस जनजातीय बहुल क्षेत्रों में सफलता के केंद्र बन गए हैं और राष्ट्र निर्माण में सहयोग करने वाले एक प्रमुख संस्थान के रूप में उभर रहे हैं।

जनजातीय मामलों के मंत्रालय के सचिव आर. सुब्रह्मण्यम ने कहा कि कार्यक्रम के पुन: निर्धारण के हिस्से के रूप में, इसमें केन्द्रीय एजेसिंया की ओर से स्कूलों के निर्माण, स्कूलों की सीबीएसई संबद्धता,स्टाफ, स्कूल यूनिफॉर्म के डिजाइन, शिक्षकों में क्षमता निर्माण, प्राध्यापकों की  नेतृत्व क्षमता का विकास, स्कूलों में ऑनलाइन/ डिजिटल तकनीकों की शुरूआत, नियमित शिक्षकों और गैर-शिक्षक कर्मियों की भर्ती सहित कई व्यवस्थागत बदलाव किए गए हैं।

केरल सरकार के जनजातीय विकास विभाग के मुख्य सचिव पुनीत कुमार,  ने ईएमआरएस योजना के माध्यम से व्यापक स्तर पर सहयोग के लिए जनजातीय मंत्रालय के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वह इस योजना के लिए केन्द्र सरकार के साथ निरंतर सहयोग बनाए रखने के लिए तत्पर हैं। उन्होंने कहा कि यह योजना शिक्षण के मानकों में बुनियादी सुधार लाएगी जिससे जनजातीय छात्रों को लाभ होगा।

दूर दराज के जनजातीय बहुल क्षेत्रों में छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए शुरु किया गया ईएमआरएस कार्यक्रम जनजातीय मामलों के मंत्रालय का एक प्रमुख हस्तक्षेप है। 1998 से लागू किए जा रहे इस कार्यक्रम ने देश के जनजातीय लोगों के शिक्षा के क्षेत्र में अपनी एक नई जगह बनाई है। हालांकि इस कार्यक्रम की व्यापक पहुंच में सुधार लाने और स्कूलों में सीखने के तरीकों में गुणात्मक परिवर्तन लाने के लिए 2018 में इस कार्यक्रम में व्यापक बदलाव किए गए।

इस कार्यक्रम के तहत वर्तमान में देश भर में 28 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों में 588 स्कूल स्वीकृत किए गए हैं। जिनमें लगभग 73391 छात्रों का नामांकन हुआ है। ऐसे ही अन्य 152 स्कूलों को वर्ष 2022 तक मंजूरी दी जाएगी। स्कूलों का विवरण मंत्रालय की वेबसाइट www.dashboard.tribal.gov.in पर उपलब्ध है।

एकल्व्य आवासीय स्कूलों को चलाने और उनका प्रबंधन देखने के लिए  एनईएसटीएस का गठन अप्रैल 2019 में जनजातीय मामलों के मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संगठन के रूप में किया गया था। तभी से इन स्कूलों में वित्तीय संसाधनों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए प्रति छात्र प्रति वर्ष वित्तीय मदद की राशि को 2017-18 के 61,500.00 रुपए से बढ़ाकर 2018-19 में 1,09,000.00 रुपये कर दिया गया। इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाना जरुरी हो गया कि इन स्कूलों के प्रबंधन में गुणात्मक सुधार लाया जाए। समझौता ज्ञापन में हस्ताक्षर के माध्यम से यही करने का प्रयास किया गया है। अब इन स्कूलों को अधिक नीधि मिल सकेगी जिससे उनके कामकाज में सुधार आएगा।

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