सुभाष चौधरी
नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद के कामकाज को लेकर बजट सत्र से पहले आज वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता करेंगे। विपक्ष की 17 पार्टियों ने शुक्रवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार किया था. सितंबर में पारित हुए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन की पृष्ठभूमि में विपक्ष किसानों की मांग के साथ खड़ा होने की बात कर रह है जबकि सत्ताधारी दल एनडीए तीनों कानूनों को रद्द करने के पक्ष में नहीं है. सरकार की ओर से इन कानूनों के चल आरहे आन्दोलन की छाया में होने वाली इस बैठक में भाग लेने के लिए सभी दलों के नेताओं को आमंत्रित किया गया है।
प्रदर्शनकारी किसानों की मांग यही है कि सरकार इन कानूनों को रद्द कर दें, लेकिन राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में इस बात के कोई संकेत नहीं दिए हैं. नरेंद्र मोदी सरकार आरम्भ से ही इन कानूनों के समर्थन में रही है। किसानों के साथ बैठकों में कुछ मामलों पर संशोधन करने को राजी हुई थी लेकिन किसान इसे रद्द कराने पर अड़े हैं.
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने संसद की कार्यवाही को लेकर शुक्रवार को सभी दलों के नेताओं के साथ एक बैठक की थी. बैठक एक बाद उन्होंने कहा था कि उनके द्वारा लोकसभा में सभी दलों के नेताओं से सदन की गरिमा का सम्मान करने का अनुरोध किया गया है. अध्यक्ष ने कहा था कि कार्यवाही के सुचारू संचालन के लिए सभी दलों का सहयोग भी मांगा गया है। लेकिन इस बात की आशंका प्रबल है कि किसानों के मुद्दे पर विपक्ष की ओर से संसद में जबरदस्त हंगामा होगा. उनकी मांग है कि तीनों कानूनों को रद्द किया जाये. उन्हें राज्यसभा की पिछली बैठक में तीनों कानून को पारित्कारने के तौर तरीके को लेकर आपत्ति थी. तब विपक्ष ने राज्यसभा में भारी हंगामा भी किया था. राज्यसभा के उपसभापति ने ध्वनि मट से हंगामे के बीच ही इन्हें पारित करा दिया था जिसको लेकर उनकी भी आलोचना हुई थी.
उल्लेखनीय है कि संसद के शीत कालीन स्तर में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच उप्तन्न तनातनी का असर इस बार भी देखने को मिलेगा. नए दशक के पहले बजट सत्र के संयुक्त बैठक को शुक्रवार को राष्ट्रपति ने संबोधित किया था. कुल 18 विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति के इस अभिभाषण का बहिष्कार किया था ।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सरकार से किसानों के आंदोलन के बारे में समाधान ढूंढ़ने की मांग की है. कांग्रेस के साथ 17 विपक्षी दलों ने किसानों के साथ एकजुटता दिखाते हुए राष्ट्रपति कोविंद के संबोधन का बहिष्कार करने की घोषणा की थी। ये किसान 26 नवंबर से दिल्ली सहित सिंघू, टिकरी और गाजीपुर की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं।