नई दिल्ली। देश भर के सभी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में कामधेनु चेयर या कामधेनु अध्ययन केन्द्र या कामधेनु अनुसंधान केन्द्र की स्थापना की सभी ने सराहना की है और इसे पूरे देश में गति मिल रही है। देसी गायों के बारे में युवा छात्रों और प्रत्येक नागरिक में जन जागरूकता बढ़ाने के लिए, राष्ट्रीय कामधेनु आयोग (आरकेए) गाय विज्ञान के बारे में अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराने और “कामधेनु गौ-विज्ञान प्रचार-प्रसार परीक्षा” आयोजित करने की एक शानदार पहल के साथ आया है। इससे गायों के बारे में सभी भारतीयों में जिज्ञासा बढ़ेगी, और उन्हें एक ऐसी संभावना और व्यवसाय के अवसर से अवगत कराया जा सकेगा जिसके बारे में विस्तार से चर्चा नहीं की गई है, यहां तक कि यदि गाय दूध देना बंद कर देती है।
कामधेनु गौ-विज्ञान प्रचार-प्रसार परीक्षा देश भर में 25 फरवरी, 2021 को देश भर में ऑनलाइन आयोजित की जाएगी। इस परीक्षा के प्रस्तावित विवरण बहुत जल्द हमारी आधिकारिक वेबसाइट पर डाल दिए जाएंगे। वेबसाइट हैhttp://kamdhenu.gov.inऔर http:// kamdhenu.blog.http: // kamdhenu.blog परीक्षा चार श्रेणियों में आयोजित की जाएगी (1) प्राथमिक स्तर से 8वीं कक्षा तक (2) माध्यमिक स्तर (कक्षा 9वीं से कक्षा 12वीं तक) (3) कॉलेज स्तर (12वीं के बाद) (4) आम जनता के लिए।
कामधेनु गौ-विज्ञान प्रचार-प्रसार परीक्षा 100 अंकों की होगी और हिंदी, अंग्रेजी और 12 क्षेत्रीय भाषाओं के लिए एक घंटे की अवधि होगी। परीक्षा के लिए कोई शुल्क नहीं है। परीक्षा टिक-मार्क ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न-उत्तर (एमसीक्यू) होगी। पाठ्यक्रम के साथ-साथ गायों पर अन्य साहित्य और संदर्भ पुस्तकें, जो राष्ट्रीय कार्यमधेनु आयोग की वेबसाइट पर अनुशंसित की जाएंगी, परीक्षार्थियों की परीक्षा की तैयारी में मदद करेंगी। ब्लॉग, वीडियो और अन्य चयनित पठन सामग्री को आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा। वैज्ञानिक, उद्यमी, गौ सेवक, किसान, युवा और महिलाएं और वरिष्ठ नागरिक सक्रिय रूप से इस जबरदस्त कार्यक्रम को एक शानदार सफलता बनाने के लिए काम करेंगे।
परीक्षा पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से आयोजित की जाएगी। प्रश्न इस तरह से सेट किए जाएंगे कि ऑनलाइन परीक्षा के दौरान किसी भी तरह की तिकड़म नहीं चलेगी। परिणाम तुरंत आरकेए की वेबसाइट पर घोषित किया जाएगा। सभी को प्रमाण पत्र दिए जाएंगे। सफल मेधावी उम्मीदवारों को बाद में पुरस्कार और प्रमाण पत्र दिए जाएंगे। इस परीक्षा के आयोजन में मदद करने वाले सभी लोगों को प्रशंसा पत्र जारी किए जाएंगे।
इस ऑनलाइन परीक्षा के लिए पंजीकरण लिंक राष्ट्रीय कामधेनु आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध होगा, जो “kamdhenu.gov.in” / “kamdhenu.blog” है। इस आयोजन को एक शानदार सफलता बनाने के लिए, केन्द्रीय शिक्षा मंत्रियों / मुख्यमंत्रियों / राज्य के शिक्षा मंत्रियों / सभी राज्यों/जिलों के गौ सेवा आयोगों के अध्यक्ष, सभी राज्यों के शिक्षा अधिकारी/ सभी स्कूलों के प्रधानाचार्य/ प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, गैर सरकारी संगठन और गौ दानकर्ता इस जबरदस्त कार्यक्रम में शामिल होंगे। कामधेनु गौ-विज्ञान प्रचार-प्रसार परीक्षा भविष्य में राष्ट्रीय कामधेनु आयोग का वार्षिक आयोजन बन जाएगा। यह प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत/ वोकल फॉर लोकल/ ग्रीन इंडिया / डिजिटल इंडिया / स्वच्छ भारत / स्वस्थ भारत / मेक इन इंडियाके उद्देश्यों को भी पूरा करेगा। कामधेनुगौ-विज्ञानप्रचार-प्रसार परीक्षा से संबंधित अधिक जानकारी के लिए, कृपया आरकेएकी वेबसाइट “kamdhenu.gov.in” / “kamdhenuपर जाएँ।
आरकेए देश भर में यह संदेश देने में सफल रहा है कि गाय सिर्फ दूध देने वाला पशु नहीं है, बल्कि इसके पर्यावरण, स्वास्थ्य और आर्थिक फायदे बहुत हैं यदि इसका ठीक तरह से उपयोग किया जाए। इसके तथाकथित अपशिष्ट उत्पाद जैसे गाय-गोबर और गौमूत्र, जो सस्ते और प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं, स्वाभाविक तरीके से सड़नशील और पर्यावरण के अनुकूल हैं। इसलिए, गाय पालन को टिकाऊ बनाने के लिए गाय उद्यमियों द्वारा इनका लाभ उठाया जा सकता है, जो बदले में देश की आर्थिक वृद्धि में योगदान कर सकते हैं। इस वर्ष आरकेए के कुछ अभियानों, अर्थात्, गौमायागणेश अभियान, कामधेनुदीपावली अभियान, कामधेनु देवदीपावली और सेमिनारों और वेबिनारों की एक श्रृंखला ने गाय के गोबर और गोमूत्र के अन्य उपयोगों का संदेश बहुत प्रभावी ढंग से दिया है।
राष्ट्रीय कामधेनु आयोग (आरकेए) का गठन भारत सरकार द्वारा गायों और उनकी संतानों के संरक्षण, उनके पालन, सुरक्षा और विकास के लिए और पशु विकास कार्यक्रमों के लिए दिशा निर्देश देने के लिए किया गया है। आरकेए नीतियों को तैयार करने और मवेशियों से संबंधित योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए दिशा-निर्देश प्रदान करने के लिए एक उच्च अधिकार प्राप्त स्थायी निकाय है ताकि छोटे और सीमांत किसानों, महिलाओं और युवा उद्यमियों के लिए आजीविका उत्पादन पर अधिक जोर दिया जा सके।