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पटना: गंगा का पानी उतरने के बाद पटना के बाढ़ग्रस्त इलाकों के लोग अपने घरों को लौटने लगे हैं वहीं बाढ़ राहत में मदद के मुद्दे पर नेताओं में श्रेय लेने की होड़ भी शुरू हो गई है। इसे लेकर सरकार में सहयोगी राजद और जदयू ही आमने-सामने हो गए हैं। दोनों दलों में तू-तू- मैं-मैं की नौबत है। दोनों बाढ़ के दौरान अपने दल के राहत प्रबंधन को बेहतर बता रहे हैं। दोनों दलों की आपसी धींगामुस्ती पर भाजपा ने तंज भी कसा है।
बाढ़ से पटना जिले के दियारा इलाके के मनेर, फतुहा, बख्तियारपुर, दीघा सबसे ज्यादा प्रभावित रहे। पानी उतरने के बाद यहां के लोगों की घर वापसी शुरू हो गई है। बाढ़ राहत प्रबंधन पर मनेर के राजद विधायक भाई वीरेंद्र ने यह कहकर विवाद को जन्म दे दिया कि जदयू की अपेक्षा हमारी जिम्मेदारी अधिक थी क्योंकि हम (राजद) बड़े भाई की भूमिका में थे।
उनका कहना था कि राजद चूंकि राज्य में सबसे बड़ी पार्टी है इसलिए उसका फर्ज भी बनता था कि वह राहत के मुद्दे पर सबसे आगे रहे। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और अन्य राजद नेताओं ने अपनी जिम्मेदारी समझकर पूरे इलाके में लगातार राहत केंद्रों की व्यवस्था पर नजर रखी।
राजद के विधायक के इस बयान पर जदयू के प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि राजद बड़े भाई की भूमिका में कैसे था। सरकार के मुखिया नीतीश कुमार हैं और उनके नेतृत्व में सबने मिलकर काम किया। उनका कहना है कि सरकार महागठबंधन की है। राहत के मुद्दे पर राजद और जदयू नहीं होना चाहिए। लेकिन भाई वीरेंद्र ने साफ कहा कि जदयू की अपेक्षा राजद की सक्रियता बाढ़ राहत के मुद्दे पर रही। यह कोई भी बाढ़ पीड़ित बता सकता है।
वे मानने को तैयार नहीं कि राजद और जदयू को एक करके देखा जाए। उनका कहना था कि जो काम अच्छा हुआ है, जिसमें राजद की भूमिका बढ़ी चढ़ी रही वहां पार्टी को बैकफुट पर नहीं जाना चाहिए। इस बयान का सीधा मतलब जानकार यही निकाल रहे हैं कि जदयू और राजद में राहत केंद्रों तक दूरी महसूस की गई। भले इस बात को बड़े नेता नजर अंदाज कर दें।