दोहलीदारों ने दोहली कानून में संशोधन न किए जाने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री के नाम विधायक को सौंपा ज्ञापन

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वर्ष 2018 वाला संशोधन बिल को निरस्त करने की मांग की

गुडग़ांव, 20 दिसम्बर : दानवीरों द्वारा प्रदेश के विभिन्न जिलों में दोहली की जमीन दान में करीब 150 वर्ष पूर्व दी गई थी। दोहली की जमीन पर खेती-बाड़ी भी करते आ रहे लोगों ने रविवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम स्थानीय विधायक सुधीर सिंगला को ज्ञापन सौंपकर मांग की है कि प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2018 में दोहलीदार कानून में संशोधन किया गया है और इस संशोधन को स्वीकृति के लिए महामहिम राष्ट्रपति के पास भी भेजा हुआ है। यदि संशोधन बिल को राष्ट्रपति अपनी सहमति दे देते हैं तो इससे दोहलीदारों के हित प्रभावित हो जाएंगे और वे दोहली की जमीनों के मालिकाना हक से वंचित रह जाएंगे। इसलिए इस संशोधन बिल को वापिस लिया जाए, ताकि दोहलीदारों के हित प्रभावित न हों।

ज्ञापन पर दर्जनों दोहलीदारों के हस्ताक्षर भी अंकित हैं। विधायक ने इन दोहलीदारों को आश्वस्त किया है कि उनकी भावनाओं से प्रदेश के मुख्यमंत्री को अवगत करा दिया जाएगा और उनसे आग्रह भी किया जाएगा कि दोहलीदारों के हित प्रभावित न हों। पीडि़त दोहलीदारों का कहना है कि प्रदेश सरकार द्वारा दोहलीदार, भोंडेदार, मुकर्रीदार अधिनियम 2010 पारित कराया था जो वर्ष 2011 की 9 जून से प्रभावी भी हो गया था। इस अधिनियम में उन लोगों को दोहली की जमीन का मालिकाना हक मिल गया था, जो पिछले 150 वर्षों से भी अधिक समय से दान में ली गई भूमि पर बतौर दोहलीदार खेती करते चले आ रहे थे व दानकर्ता द्वारा दी गई व्यक्तिगत व सामाजिक जिम्मेदारियों का भी निर्वाह करते आ रहे थे।


दानदाताओं ने समाज के कुछ विशेष भूमिहीन वर्ग को ही यह भूमि जीवन-यापन करने के लिए दी थी, लेकिन वर्ष 2018 में इस अधिनियम में संशोधन कर महामहिम राष्ट्रपति के पास स्वीकृति हेतू भेजा हुआ है। इस बिल के पारित हो जाने पर दोहलीदार उस जमीन के मालिक नहीं रहेंगे, जो जमीन उन्हें दान में दी गई है। इससे उनके हित प्रभावित होते हैं। इसलिए 2018 के संशोधन वाले बिल को निरस्त कराया जाए।

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