युवा पीढ़ी को सही रास्ता मिलेगा……
गीता में जीवन पद्धति का सार है। प्रत्येक छात्र छात्राओं को गीता ज्ञान देना चाहिए ,इस से युवा पीढ़ी को सही रास्ता मिलेगा । भारत विश्व गुरु की राह पर आगे बढ़ेगा । गीता को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। वर्तमान काल की सारी समस्याओं का हल इसी में है समस्याओं का समाधान बताने में सक्षम है। बरसों से जो अशांति की स्थिति उत्पन्न हुई उसे समस्या से निजात पाने की प्रेरणा हमें गीता से प्राप्त होती है। एकता ,समरसता ,सद्भावना आदि का सूत्रपात कर सकती है।
हमें हमेशा ऐसा प्रयास करना होगा ताकि उनके भीतर जगी हुई प्रेरणा और उत्साह ठीक पथ पर संचालित हो। समाज आधुनिकता की दौड़ में आगे बढ़ रहा है आधुनिकता कभी-कभी एक चुनौती के रूप में आती है। इसलिए युवा पीढ़ी के सामने एक लक्ष्य स्थापित करना होगा ताकि युवा वर्ग उत्साह और प्रेरणा के साथ अपनी क्षमता का सदुपयोग कर सके ।
आज के युवक युवती क्या सोचते हैं, क्या करना चाहते हैं, बड़ो की उपेक्षा करते हैं ,उनकी परवाह नहीं करते ऐसा लगता है, जो लौ घर में दीपक बनकर प्रकाश फैलाती है वही सब कुछ जलाकर राख कर देगी। सभी को अपने माता पिता की सेवा करनी चाहिए ।गुरु का आदर करना चाहिए। सञी सम्मान करना चाहिए ।हमारा तो इतिहास गवाह है सदा से ही स्त्री जाति को मान सम्मान दिया गया है लेकिन जब मुगलों ने हमारे देश पर राज किया औरत की असमत बचाने के लिए उन्हें पर्दे में किया गया कुछ ने अपने निजी स्वार्थों के लिए महिला जाति का अनादर शुरू कर दिया और उसको बढ़ावा दिया।
हमारी आज की युवा पीढ़ी विदेशी पद्धति का आधार मानकर जीवन जीने में विश्वास करने लगी है ।बड़ी निंदनीय बात है ।आज की युवा पीढ़ी को “आई लव यू “”आई मिस यू” “चिल “जैसे 50 तरीके के अंग्रेजी शब्द बोलने आ गए परंतु अपने वेद और गीता के बारे में इतना ही मालूम है कि यह कोई ग्रंथ है जो पूजा के स्थान पर रखा जाता है। यह हमारे हिंदू समाज के लिए खतरा है।
आज के युवा कल के बुजुर्ग होंगे जब उन्हें ही कुछ मालूम नहीं होगा तो आने वाली पीढ़ी को गीता में लिखे रोजमर्रा के नैतिक मूल्य व जीवन को सक्षम बनाने की पद्धति के बारे में क्या बता पाएंगे। ना ही उनका चरित्र निर्माण कर पाएंगे ।गीता ज्ञान से बच्चों को संदेश मिलेगा कि हम स्वयं में आतमविशवास महसूस करते हैं, बुद्धि में एकाग्रता आती है ,अतीत और भविष्य की वजह वर्तमान को का आनंद लेते हैं, तनाव से दूर रहते हैं ।अगर वो ऐसा करेंगे तो पढ़ाई में ज्यादा ध्यान देकर अपने लक्ष्य को हासिल कर पाएंगे अभी परीक्षा के डर से याद किया वह भी भूल जाते हैं। प्रार्थना और ध्यान के माध्यम से स्वयं को तनावमुक्त महसूस करेंगे।
बच्चों को यह भी पता चलता है मनुष्य को किसी भी परिस्थिति में नहीं घबराना चाहिए ना ही अपने कर्तव्य से मुंह मोड़ना चाहिए ।
अंत में जीत तो सत्य की ही होती है अगर युवा पीढ़ी गीता को संदेश मानकर अपने कर्तव्य पथ में सदा अग्रसर होने की भावना बनाए रखेगी तो उसे नित नई प्रेरणा मिलेगी। ऐसा मेरा मानना है ।