इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक बताया

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कोर्ट ने इसे मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ क्रूरता बताया

पर्सनल ला बोर्ड संविधान से ऊपर नहीं

लखनऊ : तीन तलाक को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को असंवैधानिक करार दिया है. इस मामले पर बेहद गंभीर टिपण्णी करते हुए हाईकोर्ट ने तीन तलाक को मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ क्रूरता बताया है. तीन तलाक के मुद्दे पर गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई करते हुए कहा कि तीन तलाक असंवैधानिक और महिला अधिकारों के पूरी तरह खिलाफ है. खंडपीठ ने साफ कर दिया कि कोई भी पर्सनल ला बोर्ड संविधान से ऊपर नहीं हो सकता.

 

उल्लेखनीय है कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी लंबित है और कुछ माह से तीन तलाक को लेकर केंद्र सरकार और मुस्लिम संगठनों के बीच तनातनी जरी है. इस बिच इलाहाबाद हाईकोर्ट की और से यह टिप्‍पणी आना बहुत महत्वपूर्ण मना जा रहा है. कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक देना क्रूरता है. मुस्लिम समाज का एक वर्ग तीन तलाक पर इस्‍लामिक कानून की गलत व्‍याख्‍या कर रहा है. तीन तलाक मुस्लिम महिलाओं के मौलिक अधिकारों का हनन है. हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि कोई पर्सनल लॉ बोर्ड संविधान से उपर नहीं है. कुरान में भी तीन तलाक को अच्‍छा नहीं माना गया है. कुरान में कहा गया है कि जब सुलह के सभी रास्ते बंद हो जाएं तभी तलाक दिया जा सकता है. किन धर्म गुरुओं ने इसकी गलत व्याख्या की है

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गौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह फैसला दो महिलाओं की याचिका पर सुनाया है. दो अगल-अलग याचिकाओं की सुनवाई करते हुए जस्टिस सुनीत कुमार की एकलपीठ ने ये फैसला दिया. हिना और उमरबी नाम की दो मुस्लिम महिलाओं ने याचिका दायर की थी.

 

सुप्रीम कोर्ट की ओर तीन तलक के मामले में केंद्र सरकार को भी अपना पक्ष रखने को कहा गया था. कुछ मुस्लिम संगठन तीन तलाक को लेकर सरकार की इस कवायद का विरोध कर रहे हैं क्योंकि  केंद्र सरकार ने कोर्ट में दिए अपने जवाब में ट्रिपल तलाक का विरोध किया था. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसे धार्मिक मामलों में दखल करार दिया था. इससे पहले केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू कह चुके हैं कि लैंगिक भेदभाव करने वाली इस प्रथा को न्याय, गरिमा और समानता के सिद्धांत के आधार पर खत्म करने का समय आ गया है.

 

प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी भी इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट कर चुके हैं. उन्होंने सार्वजनिक रूप से तीन तलाक के प्रावधान की निंदा की है.

 

इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस निर्णय पर अभी मुश्लिम संगठनों की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.

 

फोन पर ही दिया तलाक

वहीं, उमरबी का पति दुबई में रहता है, जिसने उसे फोन पर तलाक दे दिया था. इसके बाद उसने अपने प्रेमिका के साथ शादी कर ली थी. जब उमरबी का पति दुबई से लौटा तो उसने हाईकोर्ट में कहा कि उसने तलाक दिया ही नहीं. उसकी पत्नी ने अपने प्रेमी से शादी करने के लिए झूठ बोला है. इस पर कोर्ट ने उसे एसएसपी के पास जाने को कहा.

 

हालांकि हाईकोर्ट ने दोनों याचिकाओं को ख़ारिज करते हुए मामले में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया है.

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