पटना। बिहार विधान सभा, 2020 के लिए हो रहे आम चुनाव में काले धन पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से प्रभावी निगरानी के लिए भारत के निर्वाचन आयोग ने बिहार में 67 व्यय पर्यवेक्षकों की तैनाती की है। आयोग ने सुश्री मधु महाजन, पूर्व-आईआरएस (आईटी): 1982 और श्री बी. आर. बालाकृष्णन, पूर्व-आईआरएस (आईटी):1983, जोकि व्यापक डोमेन विशेषज्ञता और त्रुटिहीन रिकॉर्ड वाले अधिकारी हैं, को भी बिहार के विधान सभा, 2020 के आम चुनाव के लिए विशेष व्यय पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्त किया है।
उपयुक्त आकलन के बाद, अधिक केन्द्रित निगरानी के लिहाज से 91 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों को व्यय की दृष्टि से संवेदनशील निर्वाचन क्षेत्रों के रूप में चिन्हित किया गया है। बिहार के विधानसभा चुनावों के लिए चुनाव व्यय निगरानी कार्य के लिए 881 उड़न-दस्तों और 948 स्टेटिक सर्विलांस टीमों का गठन किया गया है। व्यय संबंधी निगरानी को लेकर आयोग ने बिहार और पड़ोसी राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ कई बैठकें की हैं।
कानून के तहत चुनावी प्रक्रिया के दौरान नकद और उपहार वितरित करने की अनुमति नहीं है। मतदाताओं को प्रभावित करने के इरादे से उन्हें धन, शराब, या कोई अन्य वस्तुएं दी जाती हैं। यह व्यय “रिश्वत” की परिभाषा के अंतर्गत आता है, जोकि आईपीसी की धारा 171 बी और आर.पी. अधिनियम, 1951 के तहत अपराध है। ऐसी वस्तुओं पर व्यय अवैध है। विधानसभा चुनाव, 2015 में बरामद किये गये कुल 23.81 करोड़ रुपये की तुलना में अब तक (19 अक्टूबर 2020 तक) की जा चुकी रिकॉर्ड बरामदगी का विवरण इस प्रकार है: