नई दिल्ली : आवासन एवं शहरी कार्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने आज अपने मंत्रालय द्वारा आयोजित एक वर्चुअल कार्यक्रम में जलवायु स्मार्ट शहर आकलन ढांचा (क्लाइमेट स्मार्ट सिटीज़ अससेसमेंट फ्रमेवर्क) और स्ट्रीट्स फॉर पीपल चैलेंज अभियान का शुभारंभ किया। सीएससीएएफ का उद्देश्य शहरों को निवेश समेत अपनी योजनाओं को क्रियान्वित करने के दौरान सामने आने वाली जलवायु चुनौतियों से निपटने के लिए स्पष्ट खाका उपलब्ध कराना है। पिछले एक दशक में हमारे शहरों के समक्ष चक्रवाती तूफान, बाढ़, लू का प्रकोप, पानी की समस्या और सूखे जैसी विषम स्थितियां आई है। इससे जान और माल दोनों के नुकसान के साथ-साथ आर्थिक विकास भी प्रभावित हुआ है।
इस संदर्भ में सीएससीएएफ़ पहल जलवायु परिवर्तन संबंधी पहलुओं के मद्देनजर भारत में शहरी नियोजन और विकास में मदद करेगी। इस वर्चुअल आयोजन के दौरान आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय में सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्रा समेत मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी, पर्यावरण मंत्रालय, वन एवं जलवायु परिवर्तन, राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों के शहरी विकास मामलों के प्रधान सचिव, स्मार्ट सिटी मिशन के राज्यों के मिशन निदेशक, नगर आयुक्त, स्मार्ट शहरों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, सहभागी एजेंसियों के प्रतिनिधि समेत द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय संस्थानों के लोगों ने भाग लिया।
यह आकलन फ्रेमवर्क विश्व में वर्तमान समय में अपनाए जाने वाले आकलन फ्रेमवर्क के अध्ययन और विभिन्न क्षेत्रों के 26 संस्थानों तथा 60 विशेषज्ञों से विचार-विमर्श के बाद तैयार किया गया है। इस फ्रेमवर्क में पांच श्रेणियों में 28 संकेतक को शामिल किया है, जिसमें (i) ऊर्जा एवं हरित निर्माण (ii) शहरी नियोजन, हरित क्षेत्रों और जैव विविधता (iii) आवागमन तथा वायु गुणवत्ता (iv) जल प्रबंधन एवं (v) कचरा प्रबंधन शामिल हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स (एनआईयूए) के तहत शहरों के लिए जलवायु केंद्र सीएससीएएफ के कार्यान्वयन में आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय का समर्थन कर रहा है।
देशभर से लॉकडाउन खत्म होने के बाद शहरों के सामने सस्ती परिवहन सुविधा उपलब्ध कराने के लिए अनेक चुनौतियां हैं जिसमें सामाजिक दूरी के नियमों का पालन किया जा सके। सार्वजनिक परिवहन के सीमित साधन है। बाजारों में फुटपाथ या सड़क के बगल वाले संकरे रास्ते, लोगों का गिरता मानसिक स्वास्थ्य भी प्रमुख मुद्दे हैं जिनको प्राथमिकता के आधार पर ध्यान में रखा जाना चाहिए। सड़कों के किनारे एवं गलियों वाले रास्तों में फुटपाथ पर उचित दूरी के साथ लोगों की आवाजाही सुनिश्चित करना एक जटिल समस्या है। दुनिया के देशों में बोगोटा, बर्लिन और मिलान जैसे शहरों ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए गलियों को पैदल चलने वालों और साइकिल से चलने वालों के लिए सुरक्षित कर कोविड-19 के दौरान सुरक्षित आवागमन सुनिश्चित किया।
स्ट्रीट्स फॉर पीपल चैलेंज इसलिए शुरू किया गया ताकि हमारे शहरों की गलियों को पैदल चलने वालों के लिए और अधिक सुरक्षित बनाया जा सके। यह चैलेंज आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा जारी उस एडवाइजरी पर आधारित है जिसमें इस साल की शुरुआत में बाजारों को पैदल चलने वालों के अनुकूल बनाने के लिए कहा गया था। यह चैलेंज देशभर के शहरों को एक समान गलियों के निर्माण में मदद करेगा, जो विभिन्न पक्षकारों और नागरिकों से परामर्श पर आधारित होगा। इसके लिए प्रतिस्पर्धी प्रारूप अपनाया जाएगा ताकि विभिन्न शहर अपने खुद के डिजाइन तैयार कर सकें और विभिन्न पेशेवर लोगों या संस्थाओं से कम कीमत वाले उपयोगी सर्वमान्य डिजाइन सामने आ सकें।
इसका उद्देश्य कम लागत वाले नए विचारों के साथ गलियों के निर्माण की शुरुआत है जो पैदल चलने वालों के अनुकूल हो। इससे प्रतिस्पर्धा में शामिल होने वाले सभी शहरों को टेस्ट-लर्न-स्केल अप्रोच के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, जिससे महत्वाकांक्षी और आसपास के खाली पड़े क्षेत्रों में पैदल चलने वाले रास्तों को बेहतर किया जा सके। इसमें ऊंचे पैदल रास्ते, फ्लाईओवर के नीचे खाली पड़े क्षेत्र, ऐसे स्थान जिनका इस्तेमाल किसी भी कार्य के लिए नहीं हो रहा है, में पैदल चलने के लिए संपर्क मार्गों को बनाकर संस्थानों और पार्कों को जोड़ा जाए। इस चैलेंज को मदद करने के लिए युवा मामले एवं खेल मंत्रालय के अंतर्गत फिट इंडिया मिशन, परिवहन विकास एवं योजना संस्थान आईटीडीपी भी स्मार्ट सिटी मिशन में साझेदारी कर रहा हैं।
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अधिक जानकारी के लिए देखें- https://smartnet.niua.org/csc/ , https://smartnet.niua.org/indiastreetchallenge/