नई दिल्ली : भारत दुनिया में सबसे जीवंत आईओटी पारिस्थितिकी तंत्रों में से एक है, जो विभिन्न सहायक तत्वों की मदद से सीमाओं से परे वैश्विक मांग को पूरी करने की इच्छा रखने वाली कंपनियों के लिए अनुकूल है। भारत सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में इन आईओटी प्रौद्योगिकियों का फायदा उठाने के लिए अलग-अलग नीतियों और पहल की शुरुआत की है। आत्मनिर्भर भारत, डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया जैसी पहलों को बढ़ावा देने के लिए जल जीवन मिशन ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति सेवा को मापने और इस पर निगरानी रखने के लिए एक स्मार्ट ग्रामीण जल आपूर्ति पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करेगा।
केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम जल जीवन मिशन (जेजेएम) को राज्यों की साझेदारी में लागू किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य वर्ष 2024 तक देश के प्रत्येक ग्रामीण परिवार को चालू (क्रियाशील) घरेलू नल कनेक्शन (एफएचटीसी) प्रदान करना है। यह कार्यक्रम घर-घर जल की आपूर्ति सेवा प्रदान करने पर केंद्रित है यानी नियमित और दीर्घकालिक आधार पर निर्धारित गुणवत्ता वाला 55 एलपीसीडी पानी की आपूर्ति करना। यह मिशन ‘सेवा वितरण’ पर केंद्रित है न कि केवल बुनियादी ढांचे के निर्माण पर।
संविधान के 73 वें संशोधन के अनुसार, ग्राम पंचायतों को ग्राम स्तर पर पेयजल आपूर्ति का प्रबंधन करना है। इस प्रकार, ग्राम पंचायत या इसकी उप-समिति यानी ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति / पानी समिति को जल प्रबंधन, जल सेवा वितरण, गंदा जल शोधन और उसे पुन: उपयोग लायक बनाने, नियमित रूप से पीने के पानी की आपूर्ति के लिए गांव में जल आपूर्ति के बुनियादी ढांचे के संचालन और रखरखाव, पानी की आपूर्ति सेवाओं के वितरण के लिए उपयोगकर्ता शुल्क एकत्र करने के लिए ‘स्थानीय सार्वजनिक उपयोगिता’ के रूप में कार्य करना आवश्यक है। राज्यों और ग्राम पंचायतों या इसकी उप-समिति यानी पानी समिति को सुविधा प्रदान करने हेतु जल सेवा वितरण की माप और निगरानी के लिए एक स्वचालित प्रणाली आवश्यक है। यह सेवा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए जल सेवा वितरण की आधुनिक तकनीक के उपयोग और निगरानी तथा स्वचालित रूप से सेवा वितरण डेटा को पकड़ने और उसे संचारित करने के लिए आवश्यक है।
केंद्र सरकार का प्रयास है कि सभी गांवों तक ऑप्टिक फाइबर नेटवर्क का विस्तार हो। तदनुसार, माननीय प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि अगले 1,000 दिनों में सभी गांवों को फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क से जोड़ा जाएगा। लगभग पूरे देश में दूरसंचार कनेक्टिविटी पहुंच गई है। पानी की मात्रा और गुणवत्ता की निगरानी के लिए आईओटी कार्यनीतियों का तेजी से उपयोग किया जाता है। नवीनतम प्रौद्योगिकी प्रगति (जैसे आईओटी, बिग डेटा एनालिटिक्स, एएल / एमएल, क्लाउड) और मोबाइल डेटा, हार्डवेयर (सेंसर) और सॉफ्टवेयर की घटती लागतों ने ग्रामीण भारत में जल आपूर्ति के बुनियादी ढांचे को डिजिटल रूप देने का अवसर प्रदान किया है। डिजिटल रूप से सक्षम जल आपूर्ति के बुनियादी ढांचे से वास्तविक समय की निगरानी और साक्ष्य आधारित नीति निर्धारण में मदद करेगा। जल आपूर्ति अवसंरचना के डिजिटलीकरण में ग्राम पंचायतों को ‘स्थानीय सार्वजनिक उपयोगिता’ के रूप में मदद करने की क्षमता है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि यह भविष्य की चुनौतियों का पूर्वानुमान और उसका समाधान ढूंढने में मदद करेगा।
राष्ट्रीय जल जीवन मिशन ने एक तकनीकी विशेषज्ञ समिति का गठन किया है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में जल सेवा वितरण प्रणाली की माप और निगरानी के लिए एक रोड मैप तैयार करेंगे। इस समिति में शिक्षा, प्रशासन, प्रौद्योगिकी और जलापूर्ति क्षेत्र के प्रख्यात विशेषज्ञों को सदस्य बनाया गया है।
राष्ट्रीय जल जीवन मिशन और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय मिलकर एक आईसीटी ग्रैंड चैलेंज आयोजित करने की योजना बना रहे हैं। आईसीटी ग्रैंड चैलेंज का उद्देश्य ग्रामीण स्तर पर तैनात किए जाने वाले ‘स्मार्ट वाटर सप्लाई मेजरमेंट एंड मॉनिटरिंग सिस्टम’ को विकसित करने के लिए एक अभिनव, प्रतिरूपक और लागत प्रभावी समाधान खोजना है। आईसीटी ग्रैंड चैलेंज, इंडियन टेक स्टार्ट-अप्स, एमएसएमई, भारतीय कंपनियों, भारतीय एलएलपी से प्रस्ताव आमंत्रित करेगा।
मिशन द्वारा राज्य सरकारों और क्षेत्रिय भागीदारों के साथ साझेदारी में, विभिन्न गांवों में पायलट आधार पर सेंसर-आधारित जल आपूर्ति प्रणाली सुविधा की शुरूआत की गई है। गुजरात के पांच जिलों में फैले हुए 1,000 गांवों में सेंसर-आधारित जलापूर्ति प्रणाली को मार्गनिर्देशन करना शुरू कर दिया गया है। अन्य राज्यों में भी पायलट परियोजनाओं की शुरूआत कर दी गई है। क्षेत्रिय स्थानों से एकत्रित किए गए आंकड़ों को राज्य और केंद्रीय सर्वर को प्रेषित कर दिया जाएगा और इसका उपयोग राज्य और केंद्रीय स्तर पर कार्यक्षमता (जल आपूर्ति की मात्रा, गुणवत्ता और नियमितता) की निगरानी के लिए किया जा सकता है। यह सेवा वितरण अनुपयोग और पानी की बर्बादी को कम करने और दीर्घकालिक रूप से पानी की मात्रा और गुणवत्ता की निगरानी सुनिश्चित करेगा। इस डेटा का अतिरिक्त लाभ, समय के साथ उपयोगकर्ता समूहों की मांग पैटर्न का विश्लेषण करना, समग्र रूप से मांग का प्रबंधन करने के लिए इस जानकारी का उपयोग करना, गैर-राजस्व वाले जल में कमी लाना, उचित प्रबंधन और प्रभावी संचालन को सुनिश्चित करना और गांवों में जल आपूर्ति प्रणालियों का रखरखाव करना