– स्वरोजगार को बढ़ावा देने वाले कोर्सेस संचालित करने की ख़ास पहल
-शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र में अध्ययन केंद्र/स्टडी सेंटर व एक्सटेंशन सेंटर खोले जाएंगे
-एक वर्षीय फर्स्ट एड स्पेशलिस्ट डिप्लोमा कोर्स शुरू करने पर सहमति
-नेचुरोपैथी एवं योगिक साइंस डिप्लोमा कोर्स व आयुर्वेदिक फार्मा डिप्लोमा कोर्स भी होंगे शुरू
भोपाल (मध्य प्रदेश): अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय, भोपाल और भारतीय प्राथमिक चिकित्सा परिषद् (फर्स्ट एड पारामेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया) ने लंबे समय से छात्रों की मांग के अनुरूप कोर्सेस संचालित करने के लिए विश्वविद्यालय का अपना अध्ययन केंद्र स्थापित करने के लिए समौझाता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। इस शैक्षणिक अनुबंध का लक्ष्य शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र के ऐसे विद्यार्थी जो साधन के अभाव में शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाते हैं को शिक्षित करना, रोजगारमुखी पाठ्यक्रम उपलब्ध कराना एवं साक्षरता दर बढ़ाना है। इसके तहत विश्वविद्यालय और एफएसीआई द्वारा मध्यप्रदेश में अध्ययन केंद्र/स्टडी सेंटर व एक्सटेंशन सेंटर खोले जाएंगे।
यह एमओयू रोजगार एवं स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वापूर्ण पहल माना जा रहा है। विश्वविद्यालय और फर्स्ट ऐड काउंसिल ऑफ़ इंडिया आत्मनिर्भर भारत के तहत छात्रों के लिए एक वर्षीय फर्स्ट एड स्पेशलिस्ट डिप्लोमा कोर्स, नेचुरोपैथी एवं योगिक साइंस डिप्लोमा कोर्स व आयुर्वेदिक फार्मा डिप्लोमा कोर्स शुरू करने जा रहा है।
समझा जाता है कि कोरोना संक्रमण के दौरान देश में चिकित्सा जगत में स्वास्थ्य कर्मियों की बड़े पैमाने पर आवाश्यकता महसूस की गई. सरकारी हो या निजी सभी अस्पतालों में महामारी या फिर प्राकृतिक आपदाओं के दौरान चिकित्साकर्मियों की संख्या अपेक्षा के अनुरूप नहीं हैं. ऐसे में फर्स्ट एड पारामेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया ने दक्ष स्वास्थ्य कर्मी तैयार करने की नीति तैयार की है. दूसरी तरफ देश के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदि ने सेवा के प्रत्येक क्षेत्र में भी देश को आत्म निर्भर बनने का आह्वान किया है. इसलिए अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय, भोपाल ने इस दिशा में कदम बढ़ाया .
गौरतलब है कि अध्ययनरत छात्र/छात्राओं को मध्य प्रदेश शासन के नियमानुसार विश्वविद्यालय द्वारा छात्रवृत्ति भी प्रदान की जाएगी। इस डिप्लोमा को पूरा करने के बाद अभ्यर्थी अपना प्राथमिक उपचार केंद्र भी खोलने को अधिकृत होंगे। डिप्लोमा कोर्स के साथ कई तरह के सर्टिफिकेट कोर्स भी संचालित किये जायेंगे. इनमें आयुर्वेद एवं चिकित्सा, यूनानी एवं चिकित्सा, होम्योपैथिक फार्मेसी, सिद्ध वैकल्पिक (अल्टरनेटिव मेडिसिन) एवं चिकित्सा एक्यूपंक्चर, नैचुरोपैथिक, योगिक विज्ञान एवं योग तथा प्राकृतिक चिकित्सा शामिल हैं।
कोरोना संक्रमण रोकथाम की दृष्टि से फिलहाल एफएसीआई छात्रों को ऑनलाइन क्लासेस देगा। यह ऑनलाइन क्लासेस एप के जरिए आयोजित की जायेंगी. इसमें पाठ्यक्रम से जुड़ी सभी क्लासेस की विडियो भी उपलब्ध होंगी. इसको छात्र अध्ययन के लिए किसी भी समय एक्सेस कर सकता है। इस समझौता ज्ञापन पर अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय के कुलसचिव और फर्स्ट एड काउंसिल ऑफ़ इंडिया के प्रतिनिधि अजय साहू ने हस्ताक्षर किए हैं।
अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय :
अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय की स्थापना 19 दिसम्बर 2011 को मध्यप्रदेश अधिनियम के माध्यम से की गयी। विश्वविद्यालय का प्रमुख उद्देश्य हिन्दीभाषा को अध्यापन, प्रशिक्षण, ज्ञान की वृद्धि और प्रसार के लिए तथा विज्ञान, साहित्य, कला और अन्य विधाओं में उच्चस्तरीय गवेषणा के लिए शिक्षण का माध्यम बनाना है।
उल्लेखनीय है कि शिवराज सिंह चौहान ने जब दूसरी बार मुख्यमंत्री का पद ग्रहण किया तभी से उनकी सरकार प्रदेश में हिंदी विश्वविद्यालय की स्थापना करने का स्वप्न देखने लगी थी. उसका नामकरण संयुक्त राष्ट्र संघ में पहली बार हिंदी की आवाज बुलंद करने वाले अप्रतिम वक्ता, कवि और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर करने का निश्चय किया। 02 दिसम्बर, 2011 मध्यप्रदेश विधानसभा के लिए वह ऐतिहासिक दिन था जिस दिन उसने सर्वानुमति से अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय विधेयक पर हस्ताक्षर कर विश्वविद्यालय अधिनियम को स्वीकृति प्रदान की।
यह विश्वविद्यालय एक ऐसी युवा-पीढ़ी का निर्माण करना चाहता है जो समग्र व्यक्तित्व के विकास के साथ रोजगार-कौशल व चारित्रिक-दृष्टि से विश्वस्तरीय हो। विश्वविद्यालय ऐसी शैक्षिक-व्यवस्था का सृजन करना चाहता है जो भारतीय ज्ञान परम्परा तथा आधुनिक ज्ञान में समन्वय करते हुए छात्रों, शिक्षकों एवं अभिभावकों में ऐसी सोच विकसित कर सके जो भारत केन्द्रित होकर सम्पूर्ण सृष्टि के कल्याण को प्राथमिकता देने में समर्थ हो।