वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया
कैसे तय होता है कि किस पर पड़ेगा इनकम टैक्स का छापा ?
नई दिल्ली : केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि इनकम टैक्स अधिकारियों की जाँच के भय से टैक्स न चुकाने जैसी बातें तर्कहीन बहाना है. टैक्स न चुकाने वाला व्यक्ति यह कहकर अब बच नहीं सकता कि आई टी रिटर्न भरने से कानूनी पचड़े में पड़कर और ज्यादा सरदर्दी मोल लेनी पड़ती है.
कैसे मिलते हैं संकेत
किसी व्यक्ति या कम्पनी के टैक्स की जाँच करने के तौर तरीके बताते हुए उन्होंने कहा कि जो लोग भी इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते हैं, उनके सारे डाटा सीधे कंप्यूटर सिस्टम में जाते हैं और वहां से एक सेंट्रल सिस्टम को भेज दिया जाता हैं. यह समझने की जरूरत है कि इस पूरी प्रक्रिया में कोई भी व्यक्ति हस्तक्षेप नहीं कर सकता है. इसमें कुछ अलर्ट्स (संकेत ) होते हैं जो सामने आते हैं. इन अलर्ट्स के माध्यम से यह पता चलता है कि इनकम टैक्स स्क्रूटिनी (जाँच) के लिए किस मामले को उठाया जाए.
उन्होंने बताया कि जो व्यक्ति बहुत ज्यादा कैश निकाल चुके होते हैं, बहुत ज्यादा कैश डिपॉजिट करते हैं, और बहुत ज्यादा प्रॉपर्टी ट्रांजैक्शन सिस्टम में दिखाई दे रहे हों… तो इस तरह के मामलों में सिस्टम अपने आप रेड अलर्ट जेनरेट (दिखाता) करता है. इससे उस व्यक्ति को जाँच के दायरे में लिया जाता है.
हिन्दुस्तान टाइम्स लीडिरशिप समिट में एनडीटीवी के विक्रम चन्द्र से बातचीत में जेटली ने स्पष्ट किया कि हर साल रिटर्न फाइल करने वाले लोगों में से केवल एक फीसदी यानी 3.5 लाख लोग ही जांच (पड़ताल) के लिए चुने जाते हैं. उन्होंने कहा कि हल्के फुल्के अंदाज में यह कहना कि मैं टैक्स इसलिए नहीं भरूंगा क्योंकि मेरी जांच पड़ताल की जा सकती है, यह बात दरअसल गलत काम करने वाले का बहाना है.
कितने भरते हैं आई टी रिटर्न
जेटली के अनुसार 125 करोड की आबादी वाले देश में हर साल महज 4.5 करोड़ लोग ही आई टी रिटर्न फाइल करते हैं. उन्होंने दावा किया कि नोट्बंदी से ब्लैक मनी रखने वालों को पकड़ना आसन होगा और देश में टैक्स आधारित व्यवस्था भी बनेगी.
उनका आकलन कहता है कि भारत पिछले साल की तरह इस साल भी दुनिया की सबसे तीव्र रफ्तार से वृद्धि कर रही प्रमुख अर्थव्यवस्था हो सकता है. जेटली ने कहा कि अब से एक वर्ष में भारत ऊंची जीडीपी वाली साफ सुथरी बड़ी अर्थव्यवस्था होगी जिसमें ब्याज दरें भी तर्कसंगत होंगी. अर्थव्यवस्था पर नोटबंदी के असर के बारे में वित्त मंत्री ने कहा कि रबी की बुवाई पिछले साल से अधिक है, वाहनों की बिक्री का रूझान मिला जुला है.
नोटबंदी क्या होगा असर
नोटबंदी पर उन्होंने कहा कि इस बदलाव से थोड़ी उथल-पुथल हो सकती है लेकिन इसके दीर्घकालीन लाभ होंगे. नोटों की छपाई के बारे में उन्होंने कहा कि सुरक्षा कारणों से यह करने में समय लगता है. आरबीआई नोट जारी करने का काम कर रही है. इससे कारोबार और व्यापार बढ़ेगा लेकिन उसमें इस्तेमाल होने वाली नकदी का स्तर घटेगा. उन्होंने कहा कि देश ने नोटबंदी का आम तौर पर स्वागत किया है.
उनके अनुसार इस तिमाही में प्रतिकूल प्रभाव का अनुमान लगाना अभी मुश्किल है, इसका असर जरूर होगा लेकिन यह ज्यादा दिन नहीं रहेगा.
जीएसटी लागू होने की संभावना
जीएसटी को लेकर जेटली ने कहा कि संविधान संशोधन के अनुसार, जीएसटी को लागू करने में ज्यादा देर नहीं की जा सकती. उन्होंने कहा कि 16 सितंबर 2016 को हुए संविधान संशोधन के मुताबिक मौजूदा अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था को वर्ष के दौरान चलाया जा सकता है, लेकिन इसमें किसी तरह की देरी का मतलब होगा 17 सितंबर, 2017 से कोई कर नहीं. जीएसटी और नोटबंदी दोनों ही अर्थव्यवस्था की तस्वीर बदलने वाले होंगे, लेकिन सुधारों का विरोध करने वाले राज्यों को लेकर निवेशक सतर्कता बरतेंगे. उन्होंने कहा कि 6 सितंबर 2017 से पहले जीएसटी लागू करना संवैधानिक बाध्यता है.