बर्खास्त पीटीआई टीचर्स ने गुरुग्राम में मुख्यमंत्री मनोहर लाल का घेराव किया, जमकर नारेबाजी की

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गुरुग्राम :  हरियाणा में बर्खास्त पीटीआई टीचर्स ने आज गुरुग्राम प्रवास पर आए प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल का घेराव किया.  अपनी बर्खास्तगी के विरोध में पीटीआई टीचर ने न्यू पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस पहुंचकर प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.  अब तक जिला उपायुक्त कार्यालय के समक्ष धरने पर बैठे शिक्षक अचानक पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस पहुंच गए और उन्होंने अपने विरोध से पुलिस व प्रशासन के हाथ पांव फुला दिए आदि क्योंकि यह रेस्ट हाउस के मुख्य गेट के लगभग अंदर प्रवेश कर चुके थे.  सभी शिक्षक सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हुई उनकी बर्खास्तगी को लेकर सरकार को कोस रहे थे.  उन्होंने पुन: नियुक्ति की मांग करते हुए प्रदेश सरकार को इस मामले में तत्काल कदम उठाने पर बल दिया.

 

 उल्लेखनीय है कि वर्ष 2010 में 1983 पीटीआई टीचर की भर्ती की गई थी. तब भर्ती प्रक्रिया में तथाकथित कुछ खामियों के विरोध में कुछ लोगों ने चंडीगढ़ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.  हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई  के बाद इस भर्ती को निरस्त करने का निर्णय सुनाया था.  इस पर हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ पीटीआई शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की.  तत्कालीन प्रदेश सरकार के शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल ने इस मामले में कानूनी सलाह लेने की बात की थी और इनका पक्ष मजबूती से रखने का वायदा किया था.  लेकिन आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की पराजय के बाद भारतीय जनता पार्टी पूर्ण बहुमत से सरकार में आई और मामला उलट गया.

 

 हालांकि इस मामले को लेकर वर्तमान सरकार ने भी कई बार बयान जारी कर यह आश्वासन दिया था कि उनकी ओर से पीटीआई शिक्षकों का पक्ष सुप्रीम कोर्ट में मजबूती के साथ रखा जाएगा.  लेकिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद हाईकोर्ट के निरस्त करने वाले फैसले को ही सही ठहराया गया और सभी 1983 पीटीआई शिक्षकों को बर्खास्त करने का निर्णय सुना दिया गया.

 

 

 सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद 1983 पीटीआई शिक्षक अब अपनी आजीविका के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं और वर्तमान सरकार पर उन्हें पुनः नियुक्त करने का दबाव डाल रहे हैं.  इसके लिए पीटीआई शिक्षकों ने प्रदेश के सभी जिले में जिला उपायुक्त कार्यालय के समक्ष धरना देना शुरू कर दिया.  हालांकि प्रदेश सरकार की ओर से अब तक इस मामले में कोई ठोस बयान नहीं आया है इसलिए पीटीआई शिक्षकों में प्रदेश सरकार के खिलाफ गुस्सा है और वह इस सरकार को जमकर कोसा लगे हैं.

 

 हरियाणा सर्व कर्मचारी संघ के नेताओं का कहना है कि वर्तमान सरकार की मंशा इस मामले में पहले ही जाहिर हो चुकी थी तब जब सुप्रीम कोर्ट के निर्णय आने से पहले ही हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन की ओर से पीटीआई टीचर की भर्ती का विज्ञापन जारी कर दिया गया था.  इस बात की आशंका प्रबल हो चुकी थी कि वर्तमान सरकार 1983 पीटीआई टीचर के पक्ष में नहीं है और वह दोबारा इन पदों पर नियुक्ति करना चाहती है.  हालांकि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस मामले में इनके साथ न्याय करने का वायदा किया था लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद स्थिति बदल चुकी है.

 

 आज इसी मामले को लेकर पिछले कई दिनों से जिला कार्यालय के सामने धरने पर बैठे पीटीआई टीचर ने अचानक न्यू पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस का रुख कर दिया और सुबह लगभग 7:00 बजे  के आसपास ही मुख्यमंत्री का घेराव कर दिया.  उल्लेखनीय है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल सोमवार से ही गुड़गांव प्रवास पर हैं और जिले में कोविड-19 वायरस संक्रमण की रोकथाम की दृष्टि से की जा रही व्यवस्था की समीक्षा करने पहुंचे हैं.  उन्होंने कल जिले के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की थी और स्थिति की समीक्षा की थी.

 

 पीटीआई शिक्षक सरकार से अपनी पुन:  नियुक्ति की मांग कर रहे हैं.  तर्क यह है कि लगभग 10 साल से अधिक समय से सभी पीटीआई टीचर अपनी सेवा विभिन्न स्कूलों में दे रहे हैं और अब इस प्रकार का निर्णय आने से उनके समक्ष आजीविका का संकट पैदा हो गया है.  हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में यह साफ कर दिया है कि जिन शिक्षकों ने अपनी सेवा पिछले 10 साल तक दी है उनसे सरकार वेतन की वसूली नहीं करेगी और ना ही जो शिक्षक रिटायर्ड हो चुके हैं उनसे भी वेतन की रिकवरी करेगी.  लेकिन अब इन शिक्षकों का कहना है कि इस उम्र में वह कहां जाएंगे उनके पास आजीविका के लिए अपने परिवार का भरण पोषण करने का दूसरा कोई साधन नहीं है उनकी उम्र भी अब काफी हो चुकी है ऐसे में उनके पास और कोई विकल्प नहीं बचा है.

 

 इस मामले को लेकर प्रदेश में राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो चली है. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने कहा है कि 1983 पीटीआई का मौजूदा सरकार ने कोर्ट में मजबूती से पक्ष नहीं रखा। इसलिए अदालत ने उन्हें हटाने का फ़ैसला दिया है। लेकिन सरकार को उनके रोज़गार की रक्षा करने के लिए अपनी विधायी शक्तियों का इस्तेमाल करना चाहिए। सरकार का काम युवाओं को रोज़गार देना होता है, उन्हें बेरोज़गार करना नहीं।  महामारी के दौर में सरकार की तरफ से लगातार कर्मचारियों की छटनी हो रही है।भर्तियां पूरी होने का इंतज़ार कर रहे युवाओं को नौकरियां नहीं दी जा रही है। TGT इंग्लिश समेत 9 कैटेगरी की भर्तियों को रद्द करने की कोशिश हो रही है। यही वजह है कि प्रदेश में आज बेरोज़गारी दर 43% तक पहुंच गई है।

 

 

कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता व हरियाणा के पूर्व मंत्री रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि PTI अध्यापको की नियुक्ति में सुप्रीम कोर्ट द्वारा कोई भ्रष्टाचार नही पाया गया. मैंने आज मुख्यमंत्री जी को पत्र लिखा है, फिर अनुरोध करता हूं. एक कानून का मसौदा भी तैयार करके भेजा है,अगर उस कानून को हरियाणा सरकार पारित कर दें, तो इन 1,983 PTI अध्यापको की नौकरियाँ फिर बहाल हो जाएंगी. सरकार का काम रोजगार देना है, छीनना नही.  बर्खास्त पीटीआई अध्यापकों को कानून बना बहाल करे खट्टर सरकार . पीटीआई अध्यापक निर्दोष है. प्रक्रियागत ख़ामियों के लिए शिक्षक दोषी नही.  खट्टर सरकार हरियाणा के युवा के साथ है या नौकरियां बर्खास्त करना ही BJP-JJP का ध्येय बन गया है!

 

 

किरण चौधरी ने कहा है कि पहले नई नौकरियों पर रोक और फिर जो PTI शिक्षक 10 साल से अपना कार्य बखूबी कर रहे थे उन्हें बर्खास्त किया जाता है। प्रदेश में बेरोजगारी पहले ही चरम पर है, ऐसे में क्या इन शिक्षकों का रोजगार छीनना सही है? मेरी सरकार से अपील है कि फैसले पर पुनर्विचार कर शिक्षकों को बहाल किया जाये।बिना कर्मचारियों के हित में कोई ठोस योजना बनाये सरकारी विभागों के निजीकरण की अनुमति क्यों?

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