नई दिल्ली। मोहाली, रायबरेली, हाजीपुर एवं गुवाहाटी के राष्ट्रीय औषधि शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (एनआईपीईआर) के निदेशकों की एक बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री मनसुख मंडाविया की अध्यक्षता में आज आयोजित हुई। अनुसंधान एवं नवोन्मेषणों, विशेष रूप से उन तरीकों के संबंध में, जिनमें एनआईपीईआर ने कोविड-19 के खिलाफ देश की लड़ाई में योगदान दिया है और दे सकते हैं, में उनके प्रदर्शन की समीक्षा की गई।
इस अवसर पर श्री मंडाविया ने जोर देकर कहा कि अनुसंधान एवं परीक्षण कार्यकलापों के जरिये अपने खुद के संसाधन सृजित करके एनआईपीईआर आत्म-निर्भर बन सकते है।
उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि एनआईपीईआर को न केवल उत्पाद विकास पर फोकस करना चाहिए बल्कि उनके व्यावसायीकरण की संभावनाओं की भी खोज की जानी चाहिए।
मंत्री ने यह भी सुझाव दिया कि एनआईपीईआर को राजस्व सृजन के एक स्रोत के रूप में फार्मा उत्पादों के लिए राष्ट्रीय स्तर की परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना करने का प्रयास करना चाहिए। सरकारी और निजी क्षेत्र की फार्मास्यूटिकल कंपनियां और एजेन्सियां व्यावसायिक स्तर पर जांच प्रयोगशालाओं के उपयोग के लिए एनआईपीईआर से संपर्क कर सकती है।
श्री मंडाविया ने विभिन्न एनआईपीईआर द्वारा उठाये गए मुद्दों पर टिप्पणियां कीं।
एनआईपीईआर में से पहली प्रस्तुति मोहाली के एनआईपीईआर के निदेशक ने दी। उन्होंने संस्थान द्वारा अनुसंधान एवं विकास तथा फार्मा शिक्षा के क्षेत्र में विभिन्न उपलब्धियों को रेखांकित किया। उन्होंने रायबरेली के एनआईपीईआर के लिए भी प्रस्तुति दी जिसके वह प्रभारी निदेशक हैं। गुवाहाटी के एनआईपीईआर के निदेशक तथा हाजीपुर के एनआईपीईआर के निदेशक ने भी अपने संस्थानों से संबंधित प्रस्तुति दी।